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'ज़िंदा कौमें 5 साल इंतज़ार नहीं करतीं', ऐसा डॉ लोहिया ने हमें सिखाया.

इंडिया के पहले एंटी-कांग्रेस नायक डॉ राम मनोहर लोहिया का आज जन्मदिन है.

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रामनोहर लोहिया.
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कुलदीप
23 मार्च 2021 (Updated: 23 मार्च 2021, 09:03 IST)
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जेनेवा में लीग ऑफ नेशंस की सभा चल रही थी. वहां बीकानेर के महाराजा भारत के प्रतिनिधि के रूप में गए थे. बज़ाहिर, वह अंग्रेजों के समर्थक थे. जैसे ही वह बोलने के लिए खड़े हुए, दर्शकों की भीड़ से एक नौजवान ने खड़े होकर उनका विरोध किया.

नौजवान का कहना था कि महाराजा को भारत को रिप्रजेंट करने का कोई हक नहीं है, क्योंकि वह वहां की जनता के हितैषी नहीं हैं, ब्रिटिश शासकों के मित्र हैं. यह शख्स राम था. राम मनोहर लोहिया. इस घटना ने रातों-रात उन्हें भारत में मशहूर कर दिया. बाद में वह राजनीति में उतरे और आजादी की लड़ाई में शामिल हुए.

बहुत सारे लोग मानते हैं कि वह भारत की राजनीति के आखिरी विचारक राजनेता थे. एक मान्यता यह है कि उन्होंने विदेश से आयातित समाजवाद का आंशिक भारतीयकरण किया. वह जाति से वैश्य थे, पर हमेशा पिछड़ों, वंचितों और स्त्रियों के हक की बात की. कई किताबें लिखीं, उनके कई भाषण मशहूर हुए.

समाजवाद को स्थायी मंच देने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी बनाई. वह भारतीय राजनीति में गैर कांग्रेसवाद के शिल्पी थे और उनकी कोशिशों से ही 1967 में कई राज्यों में कांग्रेस की हार हुई. 23 मार्च 1910 को लोहिया का जन्मदिन होता है. 12 अक्टूबर 1967 के दिन उनका निधन हुआ था. पांच साल पहले यानी 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी गांधी को लिखी एक चिट्ठी ट्वीट की थी. पढ़िए:

https://twitter.com/narendramodi/status/712453906731651073

आइए, आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उनकी कही कुछ बातें याद करें.


1RAM MANOHAR1


2RAM MANOHAR2


3

RAM MANOHAR3


4RAM MANOHAR8


5RAM MANOHAR6


6RAM MANOHAR7


7RAM MANOHAR4

https://www.youtube.com/watch?v=OuhMawj6SOo https://www.youtube.com/watch?v=sDvbilvilIk

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