पुलवामा हमले की जांच में क्या हुआ? सरकार के पास एक साल बाद भी कोई जवाब नहीं
और एक साल बाद भी दाखिल नहीं हुई चार्जशीट.
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पुलवामा हमले के बाद NIA और CRPF ने शुरू की जांच, जो अभी कहीं तक नहीं पहुंची है.
14 फरवरी 2019, दक्षिण कश्मीर के पास पुलवामा. सड़क से CRPF का काफिला गुज़र रहा था. काफिले के एक ट्रक में RDX से लदी हुई मारुति ईको काफिले में मौजूद बस से लड़ गयी. गाड़ी के परखचे उड़ गए. 40 जवान मारे गए. हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली. पुलिस ने पहचान की. कहा कि आदिल अहमद डार ने ये आत्मघाती हमला किया था. आदिल 2018 में जैश से जुड़ा था.इसके बाद शुरू हुई मामले की जांच. जिस दिन हमला हुआ. उसी दिन नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (NSG) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम पुलवामा के लिए रवाना हो गयी. दोनों ने संयुक्त रूप से जांच की कमान सम्हाली. इसके साथ ही जांच की ज़िम्मेदारी ली CRPF के Court of Inquiry (COI) ने. घटना के एक साल हो चुके हैं. दोनों एजेंसियों की जांच से क्या-क्या बातें सामने आयीं? हम ये देखने आये हैं.
सबसे पहले NIA की बात
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में अभी तक कोई चार्जशीट दायर नहीं की है. नियम है कि यदि किसी घटना के तहत Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया जाता है, तो जांच कर रही एजेंसी को 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करनी होती है. लेकिन इस समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है, अगर मामले के आरोपियों की मौत हो चुकी हो, या जांच एजेंसियों को और समय चाहिए हो तो.

यहीं पर सवाल उठते हैं कि घटना घटने के एक साल बाद NIA को किस बात का इंतज़ार है. और सबसे बड़ी बात ये कि विस्फोटक कहां से आये? और इस्तेमाल किये गए विस्फोटक की मात्रा कितनी थी? क्योंकि कई खबरों में 80 किलो विस्फोटक या 300 किलो विस्फोटक में बात उलझी हुई है. इसके लिए हमने NIA को सवाल भेजे. क्या सवाल?
# पुलवामा में हुए हमले की NIA द्वारा की गयी जांच किस चरण में है?# क्या विस्फोटकों का सोर्स क्या है, इस पर कोई बढ़त मिल सकी है?# किस कारण से इस मामले में अभी तक चार्जशीट नहीं दाखिल की गयी है?# इस मामले के किन पहलुओं की ओर NIA जांच के लिहाज़ से ध्यान दे रही है?इस खबर के लिखे जाने तक NIA की ओर से इन सवालों पर कोई जवाब नहीं आया है. जब आएगा, तो ज़रूर बताएंगे. लेकिन अलग-अलग मीडिया एजेंसियों ने क्या कहा? वो जानते हैं.
बीबीसी से बातचीत में NIA ने कहा,
"जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता मोहम्मद हसन ने हमले के फ़ौरन बाद इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए कई मीडिया समूहों को अपना बयान भेजा था. जैश के प्रवक्ता ने अपना बयान भेजने के लिए जिस आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया था उसको ट्रेस किया गया जो पाकिस्तान में था."जांच के बारे में आगे जानकारी देते हुए NIA ने कहा,
"पुलवामा हमले की जांच के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया जो घाटी में सक्रिय था. जैश के इन समर्थकों पर मामला दर्ज किया गया. इसमें UAPA के तहत 8 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है. इसके कारण दक्षिण कश्मीर में जैश की कमर टूट गई."यानी चार्जशीट तैयार है. और तैयार है तो दाखिल क्यों नहीं हुई? NIA ने कहा कि जो कारण बताए गए हैं, उन्हीं कारणों से चार्जशीट अब तक जमा नहीं की गई है.
सवाल उठता है कि तब जांच में NIA को सफलता कहां मिली? इस पर NIA ने कहा, "वाहन के मालिक से लेकर हमलावर की पहचान के अलावा, किस तरह का विस्फोटक इस्तेमाल किया गया था इसकी पहचान की गई है साथ ही इस हमले की साज़िश का पता लगाया जा रहा है."

लेकिन India Today में प्रकाशित कमलजीत संधू की रिपोर्ट का हवाला देना ज़रूरी है. इस रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा है कि NIA की चार्जशीट दायर करने की कोई योजना नहीं है. सूत्रों ने कहा है, "चूंकि इस हमले में शामिल लोग मारे जा चुके हैं, इसलिए इस हमले को पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ने के लिए हमें एक 'ज़िंदा' लिंक की तलाश है."
यही रिपोर्ट ये भी दावा करती है कि जांच एजेंसियों ने आदिल अहमद दर की पहचान DNA जांच से पुष्ट कर पाने में सफलता हासिल की है.
अब बात CRPF की
जहां NIA ने चार्जशीट, विस्फोटक के सोर्स, और बाकी सवालों पर जवाब नहीं दिया. वहीं CRPF का भी हाल यही. हमने CRPF के प्रवक्ता मोज़ेस धिनाकरण से संपर्क करने की कोशिश की. COI की जांच से जुड़े प्रश्न सौंपे. क्या प्रश्न?
# COI, CRPF की जांच की क्या स्थिति है?# क्या अंदरूनी और बाहरी तौर पर COI, CRPF ने किसी ऐसे तत्व की पहचान की, जिस वजह से हमला हुआ?# क्या COI, CRPF को विस्फोटकों का सोर्स खोजने में कोई सफलता मिली?# क्या COI, CRPF ने कोई कार्रवाई की? या कोई गिरफ्तारी की?# केस के किन पहलुओं पर COI, CRPF ध्यान दे रहा है?# जैसा मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है, क्या CRPF ने COI की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है? अगर ऐसा सही है, तो ऐसा कदम क्यों लिया गया?सवालों का जवाब नहीं. और आप पूछ रहे होंगे कि आखिरी सवाल क्यों? क्योंकि The Hindu में प्रकाशित खबर बताती है कि CRPF ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. पानीपत के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने 9 और 10 जनवरी को CRPF के डायरेक्टर से RTI के ज़रिये पुलवामा हमले की जांच की कॉपी मांगी. इसमें ड्यूटी में लापरवाही बरत रहे अधिकारियों के बारे में जानकारी, और जिन्हें दण्डित किया गया, उनके बारे में भी जानकारी मांगी थी. ये भी पूछा था कि मारे गए जवानों के घर वालों को CRPF की ओर से क्या सहायता दी गयी? और क्या मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया गया?

लेकिन ये अपील खारिज कर दी गयी. जवाब में CRPF ने सूचना के अधिकार क़ानून, 2005 के अध्याय 6 के अनुच्छेद 24 (1) का हवाला दिया. कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार के समय ही जवाब दिए जा सकते हैं. अन्य मामलों में सुरक्षाबलों को जवाब न देने की छूट है. ऐसे में पीपी कपूर ने कहा है कि जवानों पर हमला मानवाधिकार का उल्लंघन है. वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.
हमले के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने नकार दिया था कि पुलवामा हमले के दौरान किसी तरह का intelligence failure हुआ था. लेकिन सितम्बर 2019 में आई जांच रिपोर्ट से जुड़ी India Today की एक खबर बताती है कि इस समय IED से जुड़े खतरे के बारे में आगाह किया गया था, लेकिन कार के ज़रिये आत्मघाती हमला किया जाएगा, ये नहीं पता था. रिपोर्ट में कहा गया कि खुफिया एजेंसियों द्वारा कार द्वारा आत्मघाती हमला करने के बारे में कोई इनपुट नहीं शेयर किया गया, ताकि सुरक्षाबल कोई एहतियात बरत सकते. इसकी आड़ में गृह मंत्रालय की नकार देखें. अंदाज़ लगता है कि पुलवामा में खुफिया तंत्र कहीं न कहीं नाकाम हुआ ज़रूर था.
इस रिपोर्ट पर CRPF अधिकारियों ने कोई भी बयान देने से इंकार कर दिया. अलबत्ता, एक मीडिया स्टेटमेंट सामने आया. कहा गया कि CRPF की आतंरिक जांच की रिपोर्ट के ज़रिये जो निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं, वो CRPF की रिपोर्ट में नहीं लिखे गए हैं.
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