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HDI: जिसे पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी ने मिलकर बनाया लेकिन टॉप पर नॉर्वे है

मोदी की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', 'स्वच्छ भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी योजनाओं ने काफी फायदा किया, लेकिन ये फायदा भी ऊंट के मुंह में जीरा था.

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भारत ने HDI सूचकांक में 130 वां स्थान हासिल किया है. और ये 'रोऊं या हंसूं' वाली स्थिति है.
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17 सितंबर 2018 (Updated: 17 सितंबर 2018, 01:57 PM IST)
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हर साल एक नहीं, कई तरह की रैंकिंग निकलती हैं. उन रैंकिंग्स में विश्व के सभी देशों को क्रमबद्ध तरीके से रखा जाता है. इन रिपोर्ट्स को, रैंकिंग को, सूचकांक या इंडेक्स को अलग-अलग एजेंसियां निकालती हैं. और इन सूचियों से पता चलता है कि कोई देश अलग-अलग क्षेत्रों में कैसा परफॉर्म कर रहा है. जैसे जीडीपी वाली लिस्ट से देशों का आर्थिक पहलू पता चलता है. 




जीडीपी वाली लिस्ट के अलावा भी कई लिस्ट हैं. जैसे -
# ‘इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस’ द्वारा जारी सूचकांक में 2017 में भारत 163 देशों में 137वें पायदान पर था. ये सूचकांक बताता है कि किस देश में कितनी ‘शांति-शांति है’? इस लिस्ट को टॉप किया था आइसलैंड ने.
# संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी ‘विश्व खुशहाली सूचकांक’ की सबसे रीसेंट रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 133 है. ये रिपोर्ट बताती है कि किस देश के लोग कितने खुशहाल हैं. इस लिस्ट में पाकिस्तान और बांग्लादेश तक भारत से ऊपर हैं. और टॉप किया है फिनलैंड ने.
नॉर्वे ने इस लिस्ट को टॉप किया है लेकिन उन्हें इसमें कोई नै बात नहीं लगी. ऐसा लगातार आंठवी बार जो हुआ है. नॉर्वे ने इस लिस्ट को टॉप किया है लेकिन उन्हें इसमें कोई नई बात नहीं लगी. ऐसा लगातार आंठवी बार जो हुआ है.

# ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी ‘ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017’ में हमारे देश का 81वां स्थान है. ये इंडेक्स बताता है कि भारत या किसी भी देश में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है. इस लिस्ट को संयुक्त रूप से टॉप किया था न्यूजीलैंड और डेनमार्क ने. (टॉप किया था का मतलब सबसे कम भ्रष्टाचार, न कि भ्रष्टाचार के मामले में.)
# ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में 195 देशों की सूची में भारत 154 वें स्थान पर है. लिस्ट में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है. वहीं, स्वीडन और नार्वे क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं.
# रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर से किए गए एक अध्ययन में प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में भारत 136वें स्थान पर है.


वो लिस्ट जिसे पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने बनाया, उस लिस्ट में पाकिस्तान की रैंक है - 150. वो लिस्ट जिसे पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने बनाया, उस लिस्ट में पाकिस्तान की रैंक है - 150.

अब रीसेंट रिपोर्ट आई है एचडीआई की. मने ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की. इसका शुद्ध हिंदी में अनुवाद है - मानव विकास सूचकांक. ये क्या है आइए पहले इसकी जानकारी लेते हैं -
# ये रपट हर साल प्रकाशित की जाती है, और प्रकाशित करता है - संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी).
# मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) को कैलकुलेट करने के लिए इन चीज़ों को कैल्क्यूलेट करना पड़ता है –
1) जीवन प्रत्याशा - ये हिंदी में जितना भारी टर्म है उतना ही अंग्रेजी में – लाइफ एक्स्पेक्टेंसी. इसका हमारी वाली हिंदी में मतलब होता है कि किसी देश, समुदाय, राज्य या ऐसे ही किसी व्यक्तियों के ग्रुप में कोई इंडीविज़ुअल कितना लंबा जीएगा.
2) शिक्षा – मने एजुकेशन. मने किसी देश में एजुकेशन की क्या स्थिति है. बेसिक एजुकेशन - हायर एजुकेशन सारी चीज़ें ध्यान में रखकर इस वाले पॉइंट के नंबर दिए जाते हैं.
3) प्रति व्यक्ति आय – मने देश में हर आदमी औसतन कितना कमा लेता है. ज़्यादा कमाई का मतलब देश एचडीआई में ज़्यादा ऊपर. 
भारत के नोबल पुरुस्कार विजेता अमृत्य सेन. भारत के नोबेल पुरुस्कार विजेता अमृत्य सेन.

# इसके अलावा असमानताएं (जैसे आय में अंतर - यानी देश के सबसे अमीर लोगों और देश के सबसे गरीब लोगों की आय में, जेंडर इनइक्वलिटी यानी मर्द और औरत के बीच भेदभाव; वगैरह) भी एचडीआई में रैंक बढ़ाने (या घटाने) में भूमिकाएं निभाती हैं.
# मानव विकास के छह बुनियादी स्तंभ माने गए हैं. और इन्हीं के आधार पर किसी देश का और उस देश के नागरिकों की जीवन शैली का हिसाब लगाया जाता है. ये छह कारक हैं –
अ) समानता (हर क्षेत्र में, हर तरह की) आ) स्थायित्व (माने समाज और सरकार में उथल-पुथल की हालत न होना)  इ) उत्पादकता (देश में पैदा होने वाला काम और उत्पाद) ई) सशक्तिकरण (आम लोगों को मिले हक) उ) सहयोग (लोगों के बीच तालमेल) ऊ) सुरक्षा (युद्ध और हिंसा का न होना)
# ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक और भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने बनाया था. इसका उपयोग संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा देश के विकास को मापने के लिए किया जाता है.


तो पिछले हफ्ते इसी मानव विकास सूचकांक की सबसे लेटेस्ट रिपोर्ट आई है. आइए जानें इस रिपोर्ट में क्या-क्या है?
असमानता को पोट्रेट करती एक तस्वीर असमानता को पोट्रे करती एक तस्वीर

# रिपोर्ट आए हुए बेशक अभी जुम्मा-जुम्मा दो-एक दिन हुए हों लेकिन रिपोर्ट है साल 2017 की.
# भारत ने इस सूचकांक में 130 वां स्थान हासिल किया है. सूचकांक में हर देश को 0 से 1 के बीच स्कोर दिया जाता है. 1 मतलब होता है कि देश परफेक्ट है. माने जितना 1 के नज़दीक, उतना परफेक्शन के नजदीक. इस बार हमारा स्कोर रहा 0.638. पिछले साल यानी 2016 में हम 131 वें स्थान पर थे. तब हमारा स्कोर था 0.062.
# फ्रांसिन पिकअप (जो भारत में यूएनडीपी की कंट्री डायरेक्टर हैं) ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के चलते भारत ने इस बार सूचकांक में पिछली बार की बनिस्बत अच्छा प्रदर्शन किया है.
कहां नंबर कटे हमारे?
# भारत के सबसे ज़्यादा मार्क्स कटे हैं असामनता वाले पॉइंट पर. इसके चलते भारत का एचडीआई 26.8 % कम हुआ है. ये असमानता केवल आय (इनकम) को लेकर ही नहीं बल्कि जेंडर, जाति, धर्म, डेमोग्राफी (शहर/गांव) तक फैली हुई है. कुछ असमानताएं -
- आय का असमान वितरण - बीते साल भारत में जितनी कमाई हुई उसका दो तिहाई हिस्सा देश के 1 फीसदी लोगों के हाथों में चला गया. और लगभग आधी जनसंख्या को मिला इस कमाई का महज़ एक प्रतिशत.
- लैंगिक असमानता – इस मामले में भारत की रैंकिंग 127वीं है. जहां दो तिहाई पुरुष माध्यमिक स्तर की पढ़ाई पूरी कर पाते हैं, वहीं केवल 40% महिलाएं ऐसा कर पाती हैं. चाहें तो इस बात में थोड़ी राहत ले सकते हैं कि महिला सशक्तिकरण के लिहाज से भारत फिर भी दो तिहाई देशों से बेहतर है.
अब तक कितना सुधार किया है भारत ने?
# पहली बार ये रिपोर्ट 1990 में प्रकाशित हुई थी. तब से लेकर भारत के एचडीआई में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पहली रिपोर्ट में ये 0.427 थी अब 0.640 है.
# 1990 में भारत में लाइफ एक्स्पेक्टेंसी 57.9 वर्ष थी, वहीं 2017 में ये 68.8 हो गई है. महिलाओं की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी जहां 70.4 वर्ष है, वहीं पुरुषों की लाइफ एक्स्पेक्टेंसी 67.3 वर्ष है. यानी औसतन भारत में महिलाएं पुरुषों से अधिक जीती हैं.
# 1990 से 2017 के बीच भारत के प्रति व्यक्ति ग्रॉस नेशनल इनकम (देश और विदेश में देश के सारे नागरिकों की कुल जमा आय में से देश में विदेशियों द्वारा की गई कमाई घटा देने पर ये निकलता है) में 266.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
जितना डार्क हरा उतना बेहतर, जितना डार्क लाल उतना बुरा! जितना डार्क हरा उतना बेहतर, जितना डार्क लाल उतना बुरा!

# इस लिस्ट को टॉप किया है नॉर्वे ने. उसके स्कोर रहा 0.953.
# वैसे नॉर्वे को फर्स्ट आने की आदत पड़ी हुई है. उसने लगातार आठवीं बार और कुल चौदहवीं बार टॉप किया है. कनाडा इस लिस्ट को आठ बार टॉप कर चुका है, जापान तीन और आइसलैंड दो बार.
# पूरे विश्व के HDI में उत्तरोत्तर सुधार देखने को मिला है. जहां आज 59 देश इस लिस्ट में टॉप वाली श्रेणी में और 38 देश सबसे नीचे वाले श्रेणी में हैं, वहीं 2010 में ये संख्या क्रमशः 46 और 49 थी. मने पिछले आठ सालों में टॉप कैटेगरी में 13 देश बढ़े हैं और सबसे नीचे वाली कैटेगरी में से 11 देश घटे हैं.
# नीचे से जिस देश ने टॉप किया है, उसका नाम है – नाइजर और उसके पॉइंट हैं 0.354. 189 देशों की सूची में इसका 189 वां स्थान है.
क्या मिलता है इस तरह की रैंकिंग से?
कई बार हम इस तरह की रैंकिंग को ये कहकर खारिज कर देते हैं कि महज़ एक चार्ट में ऊपर या नीचे होने से क्या मिल जाएगा. कम से कम HDI की रैंकिंग इस तरह खारिज करने से बचना चाहिए. क्योंकि जिन चीज़ों के आधार पर ये रैंक तय होता है, वो बड़े अहम हैं. नीचे दिए तीन तथ्यों पर ध्यान दीजिए-
लाइफ एक्स्पेक्टेंसी – सिएरा लियोन में 52.2 वर्ष है और हॉन्ग कॉन्ग में 84.1.
शिक्षा – सबसे नीचे आने वाले साउथ सूडान में व्यक्ति अपने जीवन के 4.9 वर्ष पढ़ाई/स्कूल में बिताता है और टॉप करने वाले देश जर्मनी में 22.9 साल यानी अंतर 4 गुना से भी ज़्यादा है.
प्रति व्यक्ति आय - टॉप करने वाले देश में प्रति व्यक्ति आय सबसे नीचे रहने वाले देश की 176 गुना है. मने क़तर में प्रति व्यक्ति आय 116,818 डॉलर है, और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में 663 डॉलर.
ये तीन तुलनाएं पिछड़े देशों को सुधार करने की प्रेरणा दे सकती हैं. और यही HDI का लक्ष्य भी है; इंसानी ज़िंदगी को बेहतर बनाना.


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