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नए लेबर कोड से इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी? सरकार ने कैलकुलेट करके बता दिया

सरकार ने बताया कि PF का कैलकुलेशन अभी भी 15,000 की कैप पर ही होगा, जब तक एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी दोनों सहमति से ज्यादा पर PF न दें.

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New Labour Codes No impact on take-home salary if PF stays on Rs 15,000 EPFO statutory limit
सैलरी अगर 15 हजार रुपये से ज्यादा है और आप अभी भी सिर्फ 15,000 पर ही PF कटवाते हैं, तो टेक-होम सैलरी वही रहेगी. (फोटो- freepik)
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प्रशांत सिंह
10 दिसंबर 2025 (Published: 11:07 PM IST)
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नए लेबर कोड्स ने सैलरी स्ट्रक्चर और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स की गणना पूरी तरह बदल दी है. ये कोड आने के बाद से कर्मचारियों के बीच एक बड़ा सवाल टेक-होम सैलरी (हाथ में आने वाली तनख्वाह) को लेकर था. क्या ये सच में कम हो जाएगी? इसको लेकर सरकार ने जवाब दिया है. सरकार ने कहा है कि नए लेबर कोड्स में टेक-होम सैलरी नहीं घटेगी. ये PF कटौती की स्टैच्यूटरी वेज सीलिंग (वर्तमान में 15 हजार रुपये प्रति माह) पर निर्भर करेगा. इसकी मैथ्स क्या है, आइए डिटेल में समझते हैं.

कर्मचारियों में बढ़ती बेचैनी के बीच श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नए लेबर कोड्स से किसी भी हाल में टेक-होम सैलरी कम नहीं होगी. नतीजा एक अहम शर्त पर निर्भर करता है. ये कि, PF कंट्रीब्यूशन स्टैच्यूटरी वेज सीलिंग (15 हजार रुपये) पर होना चाहिए या असल सैलरी पर.

फिलहाल EPF नियम यही कहते हैं कि अगर, कर्मचारी और एम्प्लॉयर आपसी सहमति से ज्यादा राशि कंट्रीब्यूट न करने का फैसला करें तो PF का कैलकुलेशन सिर्फ 15 हजार रुपये महीना तक ही अनिवार्य है. यानी अगर आपकी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये से कम या बराबर है, तो कोई बदलाव नहीं होगा. टेक-होम पहले जितनी थी, उतनी ही रहेगी. सैलरी अगर 15 हजार रुपये से ज्यादा है और आप अभी भी सिर्फ 15,000 पर ही PF कटवाते हैं, तो टेक-होम सैलरी वही रहेगी. अगर कंपनी और कर्मचारी दोनों पूरी बेसिक सैलरी पर PF कंट्रीब्यूट करने लगें, तब टेक-होम सैलरी कम हो सकती है.

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सरकार ने दिया जवाब.

सरकार ने इसके लिए एक उदाहरण भी दिया.

मान लीजिए कि एक एंप्लॉयी 60 हजार रुपये महीना कमाता है.

कर्मचारी की सैलरी ब्रेकअप

बेसिक + DA = 20,000 रुपये  
अलाउंसेज = 40,000 रुपये  
कुल सैलरी = 60,000 रुपये

न्यू लेबर कोड्स से पहले की स्थिति

सिर्फ 20,000 रुपये को ही वेज माना जाता था. लेकिन PF कैलकुलेशन 15,000 रुपये की कैप पर होता था.

एम्प्लॉयर PF (12%) = 1,800 रुपये
एंप्लॉयी PF (12%) = 1,800 रुपये
टेक-होम सैलरी = 60,000 − 1,800 = 56,400 रुपये

न्यू लेबर कोड्स लागू होने के बाद

नया नियम ये है कि अलाउंसेज कुल CTC के 50% से ज्यादा नहीं हो सकते. यहां अलाउंसेज 40,000 रुपये हैं. यानी 66.67%. ये नियम से ज्यादा है. इसलिए 10,000 रुपये अलाउंसेज को वापस बेसिक में जोड़ा जाएगा.

माने, नया स्टैच्यूटरी वेज (बेसिक + DA) = 20,000 + 10,000 = 30,000 रुपये.

अभी भी टेक-होम सैलरी = 60,000 − 1,800 = 56,400 रुपये ही रहेगी.

लेकिन PF का कैलकुलेशन अभी भी 15,000 की कैप पर ही होगा, जब तक एम्प्लॉयर और एंप्लॉयी दोनों सहमति से ज्यादा पर PF न दें.

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सैलरी ब्रेकअप.

ये बदलाव क्यों हुआ?

सरकार ने ये बदलाव Code 3 – The Code on Social Security, 2020 के तहत किया. जिसका मकसद समानता और निष्पक्षता लाना है. पहले ये होता था कि कई कंपनियां सैलरी स्ट्रक्चर को चालाकी से बनाती थीं. बेसिक सैलरी बहुत कम रखती थीं. बाकी पैसा Allowances (HRA, Special Allowance वगैरह) में डाल देती थीं.

इसका फायदा?

PF, ग्रेच्युटी, पेंशन जैसी कानूनी देनदारी बहुत कम बनती थी, क्योंकि ये सिर्फ बेसिक + कुछ खास कंपोनेंट पर ही कैलकुलेट होते थे. मतलब एंप्लॉयी को कम फायदा, कंपनी को ज्यादा बचत.

अब नया नियम क्या कहता है?  

टोटल CTC का कम से कम 50% हिस्सा "Wages" में होना जरूरी है. अगर कोई Allowance (या बाकी कंपोनेंट्स) कुल सैलरी के 50% से ज्यादा हो जाते हैं, तो उसका अतिरिक्त हिस्सा अपने-आप "Wages" में जोड़ दिया जाएगा. यानी PF, ग्रेच्युटी, बोनस सब पर उस अतिरिक्त अमाउंट का भी हिसाब लगेगा.

वीडियो: खर्चा पानी: न्यू लेबर कोड से नौकरियों पर खतरा?

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