विमान हादसों के लिए बदनाम है नेपाल प्लेन क्रैश वाला रनवे, भारत में कितने और कहां-कहां हैं?
Nepal plane crash एक टेबलटॉप रनवे पर हुआ है. किसी पठार या पहाड़ी के ऊपर बने रनवे को कहते हैं, table-top runway. इसके भूगोल की वजह से इसके एक या दोनों सिरे किसी खड़ी चट्टान से सटे होते हैं. दुनिया भर में ऐसे हादसों के लिए कुख्यात है.

नेपाल विमान क्रैश में हुई 18 मौतों के बाद दुनिया भर के रनवे के हालात पर चर्चा शुरू हुई है. नेपाल हादसा जिस त्रिभुअन एयरपोर्ट पर हुआ है, उस परिसर में एक टेबल-टॉप रनवे है. किसी पठार या पहाड़ी के ऊपर बने रनवे को कहते हैं, टेबल-टॉप. दुनिया भर में ऐसे हादसों के लिए कुख्यात. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में भी पांच ऐसे हवाई अड्डे हैं: शिमला (हिमाचल प्रदेश), कालीकट (केरल), मैंगलोर (कर्नाटक), लेंगपुई (मिज़ोरम) और पाकयोंग (सिक्किम).
इनमें से केरल और मैंगलोर के हवाई अड्डों पर अतीत में जानलेवा दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.
- 22 मई, 2010 को दुबई से मैंगलोर जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ़्लाइट लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस दुर्घटना में छह क्रू मेंबर्स समेत 158 यात्री मारे गए थे.
- 7 अगस्त, 2020 को दुबई से आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की एक फ़्लाइट केरल के कोझिकोड (कालीकट) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. दरअसल, विमान हवाई अड्डे पर रनवे से आगे निकल गया और टुकड़े-टुकड़े हो गया था. इस विमान में 186 लोग सवार थे; इस दुर्घटना में पायलट और सह-पायलट सहित 21 लोगों की मौत हो गई. बाक़ी लोग बुरी तरह घायल हुए थे.
दरअसल, टेबल-टॉप रनवे के भूगोल की वजह से इसके एक या दोनों सिरे किसी खड़ी चट्टान से सटे होते हैं. मतलब कि रनवे के एक या एक से ज़्यादा तरफ़ तीखी ढलान है. इससे पायलट के लिए चूक की गुंजाइश बहुत कम बच जाती है, क्योंकि अगर फ़्लाइट रनवे से आगे निकल गई, तो क्रैश. आज हुई दुर्घटना को इस ऐंगल से भी देखा जा रहा है.
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एविएशन क्षेत्र से रिटायर्ड एक अफ़सर ने द हिंदू के साथ बातचीत में बताया था कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के किसी भी दस्तावेज़ में ‘टेबल-टॉप एयरपोर्ट’ जैसा कोई शब्द नहीं है. लेकिन सिविल एविएशन की नियामक बॉडी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इन हवाई अड्डों को ये नाम दे दिया है. NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, DGCA टेबल-टॉप हवाई अड्डों की नियमित समीक्षा करता रहता है. 2022 में DGCA के एक अफ़सर ने मीडिया को बताया था कि वो ऐसे हवाई अड्डों पर लैंडिंग को कम चुनौतीपूर्ण बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
वरिष्ठ पायलट्स बताते हैं कि टेबल-टॉप रनवे के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग नहीं दी जाती है. हालांकि, जब भी छोटे रनवे से उड़ान भरनी होती है, तो रूट चेक किया जाता है.

मगर जोख़िम तो है, और आज ये तथ्य फिर से पब्लिक की चिंता का विषय बन गया है. तथ्य हमेशा से वहीं था. लोगों को मालूम था. मौत हुई, तो चिंता हरी हो गई. ऐसे ही कोझिकोड विमान दुर्घटना के बाद भी सवाल उठे थे. पूर्व वाइस-चीफ़ ऑफ़ एयर स्टाफ़ एयर मार्शल बीएन गोखले के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी. इस टीम ने दुर्घटना की जांच की और 191 पन्नों की रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में दुर्घटना के आशंकित कारणों के लिए एयरलाइन, हवाई अड्डे और यातायात नियंत्रण पर सवाल उठाए गए थे. इसके साथ ही उन्होंने रनवे में सुधार, सुरक्षा उपकरण जोड़ने और पायलट के लिए एक मार्गदर्शन प्रणाली बनाने के सुझाव दिए थे.
इसके अलावा दुनिया में जब टेबल-टॉप रनवे की चर्चा होती है, तो EMA(S) का ज़िक्र आता है. इंजीनियर्ड मटीरियल अरेस्टर/अरेस्टिंग सिस्टम. अमेरिका के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अनिवार्य है. हल्के और चूर हो जाने वाले सेलुलर सीमेंट या कंक्रीट से बना हुआ होता है और इसे रनवे के अंत में लगा दिया जाता है. ये फ़्लाइट को पट्टी से बाहर जाने से रोकता है.
नेपाल भी बहुत असुरक्षित हैहाल के बरसों में व्यापार और टूरिज़्म के कारण नेपाल की एविएशन इंडस्ट्री में उछाल तो आया है. लेकिन स्टाफ़ के अपर्याप्त प्रशिक्षण और सुस्त मेनटेनेंस के चलते सुरक्षा अभी भी एक चिंता है. यूरोपीय संघ ने इन्हीं चिंताओं की वजह से अपने हवाई क्षेत्र से सभी नेपाली फ़्लाइट्स पर बैन लगाया हुआ है.
इंसान की लापरवाही एक तरफ़, देश का भूगोल स्थिति को और जटिल बना देता है. यहां दुनिया के कुछ सबसे 'ट्रिकी' रनवे हैं, जिन से उड़ने और जिन पर उतरना अच्छे-अच्छे पायलट्स के लिए चुनौती है. फिर वैसे टेरेन में मौसम भी अप्रत्याशित है.
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15 जनवरी, 2023 को काठमांडू से पोखरा ही जाने वाली एक फ़्लाइट क्रैश कर गई थी. उस विमान में कुल 72 लोग सवार थे. 68 यात्री और 4 क्रू मेंबर्स. सबकी मौक़े पर ही मौत हो गई.
उससे पहले 1992 में पाकिस्तान इंटरनैशनल एयरलाइंस का विमान काठमांडू हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसमें सवार सभी 167 यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी थी. उसी साल की शुरुआत में थाई एयरवेज़ का एक विमान उसी हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 113 यात्री मारे गए थे.
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