The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • Meaning of 'Michhami Dukkadam' a tradition for apology in Jain religion mentioned by PM Narendra Modi

मोदी ने 'मिच्छामी दुक्कड़म्' बोलकर देश से माफी मांग ली है

देश ही नहीं दुनिया से भी माफ़ी मांग रहे हैं.

Advertisement
Img The Lallantop
2 सितम्बर के दिन नरेंद्र मोदी विज्ञान भवन पहुंचे, वहां पूरे देश से बोला- मिच्छामी दुक्कड़म्
pic
लल्लनटॉप
4 सितंबर 2019 (Updated: 4 सितंबर 2019, 12:50 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
एक बार बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग में मोदी जी ने 'पुदुचेरी को वणक्कम' कहा था. जो उस समय खूब वायरल हुआ. सभी लोग गूगल पर सर्च करने लगे कि इसका मतलब क्या होता है. अब एक ऐसा ही शब्द मोदी जी ने अपने एक ट्वीट में लिखा है. वो शब्द है 'मिच्छामी दुक्कड़म्'. अब इसे आपको गूगल  सर्च न करना पड़े इसलिए हम ही बताए देते हैं. इसका मोटा-माटी अर्थ किसी से माफ़ी मांगना होता है. कि कोई भूल हो गई हो. गलती हो गई हो. कुछ ऐसा मुंह से निकल गया हो जो किसी के चुभ गया हो, माथे पर चढ़ गया हो तो उससे 'मिच्छामी दुक्कड़म्' कहकर माफ़ी मांग लेते हैं. फ़िलहाल मोदी जी किसके लिए माफ़ी मांग रहे हैं ताजा-ताजा ट्रैफिक नियमों के लिए, या नोटबंदी के लिए, नहीं मालूम. लेकिन आप ज्यादा गंभीर न होइए. मामला हल्का ही है. कोई सीरियस बात नहीं है. यकीं नहीं होता तो  खुद ही  ट्वीट देख लीजिए- वैसे इधर मामला सिर्फ मोदी जी का ही नहीं है, आमिर खान ने भी 'मिच्छामी दुक्कड़म्' बोलकर माफ़ी मांगी है. उन्होंने भी किस चीज के लिए माफ़ी मांगी है, इसका भी हमें नहीं पता. लेकिन कुछ दिन पहले उनकी एक फिल्म आई थी 'ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान', हो सकता है उसके लिए माफ़ी मांगी हो!

'मिच्छामी दुक्कड़म्' - पोप भी गलत हो सकता है

वेस्टर्न में एक कहावत है. कहावत क्या है, ये एक पूरी मान्यता ही है कि 'पोप कभी गलत नहीं हो सकता'. मतलब पोप ने जो कहा वो सही कहा. पोप ने जो व्याख्या की वह सही की. पोप ने जो किया वह अचूक है. लेकिन हमारे यहां जैन धर्म नहीं मानता कि आदमी से गलतियां नहीं होतीं. हिंदुस्तान के प्राचीन मनीषियों ने अपनी प्रथाओं में माना है कि हमसे गलतियां हो सकती हैं. जब गलती हो सकती है तो माफ़ी मांगने की भी व्यवस्था होनी चाहिए. इसलिए जैन धर्म ने एक व्यवस्था बनाई कि अगर जाने-अनजाने में कोई भूल-चूक हुई तो माफ़ी मांग लीजिए. इसके लिए बाक़ायदा एक पर्व मनाया जाता है.  'पर्युषण पर्व'. इसे 'आत्मशुद्धि का पर्व' भी माना जाता है. जैन धर्म में भी दो तरह के लोग होते हैं. एक श्वेताम्बर, दूसरे दिगंबर. श्वेताम्बर इस त्यौहार को 8 दिन तक मनाते हैं. वहीं दिगम्बर लोग 10 दिन तक मनाते हैं. इसी त्योहार के लास्ट वाले दिन को 'क्षमा दिवस' कहा जाता है. इसको 'विश्व-मैत्री दिवस' भी कहते हैं. इसी वाले दिन जैन धर्म के लोग अपने आसपास के लोगों से, फैमिली वालों से, रिश्तेदारों से, पड़ोसियों से, सबसे माफ़ी मांगते हैं. माफ़ी मांगते हैं 'मिच्छामी दुक्कड़म्' बोलकर. ये मूलतः प्राकृत भाषा का शब्द है. इसके साथ ये भी कहा जाता है - अगर मैंने मन, वचन, काया से जाने-अनजाने में आपका दिल दुखाया हो, तो उसके लिए मैं हाथ जोड़कर आपसे माफ़ी मांगता हूं.दो सितम्बर, जिस दिन ये त्यौहार भी था, मोदी विज्ञान भवन पहुंचे. वहां उन्होंने इस त्योहार की खूबसूरती के बारे में बताया. और पूरे विश्व से माफ़ी मांगी. उस कार्यक्रम का वीडियो यहां भी देख सकते हैं - जितना पुराना आदमी का इतिहास है. उतनी ही पुरानी उसकी गलतियों और लालच की उमर है. इन गलतियों से मन हल्का करने के लिए ही 'माफ़ी' शब्द ईजाद किया गया.  'मिच्छामी दुक्कड़म्' भी भारतीय संस्कृति के सबसे सुंदर अध्यायों में से एक है.

ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे श्याम ने की है.


वीडियो: पीएम नरेंद्र मोदी को बीजेपी के एक कार्यकर्ता के सवाल ने मुश्किल में डाल दिया?

Advertisement