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36 दिन का दिल्ली का वो सुल्तान, जिसने मंगोलों को हराया

इसने अलाउद्दीन खिलजी के बेटों को अंधा करवा दिया था. और बेग़मों को जेल में डाल दिया था.

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अनिमेष
4 मार्च 2017 (Updated: 4 मार्च 2017, 01:42 PM IST) कॉमेंट्स
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हिंदुस्तान का इतिहास रोचक किस्सों से भरा हुआ है. वो किस्से, जिन्हें सुनकर चौंक जाओ. ऐसा ही एक किस्सा है जब 36 दिन तक हिंदुस्तान का बादशाह एक ट्रांसजेंडर था. नाम था मलिक काफूर. इसके सुल्तान बनने का समय बहुत ही कम था. मगर काफूर को कई वजहों से इतिहास में जाना जाता है. कहा तो ये भी जाता है कि काफूर हिंदुस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा क्रिमिनल कॉन्सपिरेटर था जो सुल्तान भी बना. मार्च और अप्रैल में फागुन की तारीफ में तमाम गीत और कविताएं लिखी जाती हैं. 14वीं शताब्दी में इन्हीं महीनों में मलिक काफूर का खौफ दिल्ली और हिंदुस्तान को दहला रहा था. काफूर के बारे में मुस्लिम इतिहासकार ज़ियाउद्दीन बरनी, अमेरिकी स्कॉलर वैंडी डॉनिंगर और आदित्य बहल की किताब 'लव स्टब्ल मैजिक' में काफी विस्तार से लिखा गया है.

क्यों है मलिक काफूर खास

# मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी के जनरल के तौर पर तमिलनाडु तक जीत दर्ज की. काफूर इतनी बड़ी जीत दर्ज करने वाला पहला सेनानायक है.
# काफूर ने ही वारंगल के अभियान में कोहिनूर हीरा लूटा. हिंदुस्तान के इतिहास में कोहिनूर का ज़िक्र यहीं से शुरू होता है.
# काफूर ने अमरोहा की लड़ाई में अजेय माने जानेवाले मंगोलों को हराया.

कौन था मलिक काफूर

1297 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर चढ़ाई की. इतिहासकार बरनी के अनुसार, इस अभियान में गुजरात में पाटन के राजा कर्ण सिंह ने भागकर पड़ोस के राज्य में शरण ली. मगर कर्ण सिंह की रानी कमला देवी को सेना ने गिरफ्तार करके सुल्तान खिलजी के सामने पेश किया. खिलजी ने कमला देवी से शादी करके उन्हें हरम में भेज दिया. ये किसी मुसलमान बादशाह से हिंदू रानी/राजकुमारी की पहली शादी थी. इसी दौरान खिलजी की नज़र एक खूबसूरत जवान लड़के मलिक मानिक पर पड़ी. खिलजी ने उस गुलाम को लाने वाले को हज़ार दीनार दिए और मानिक को बंध्या बनवाकर अपने पास रख लिया. उसे नया नाम दिया गया मलिक काफूर.

काफूर और खिलजी

काफूर देखते ही देखते खिलजी का खास बन गया. उसकी मिलिट्री स्किल्स के चलते खिलजी साम्राज्य दिल्ली स्ल्तनत का सबसे बड़ा साम्राज्य बन गया. साथ ही खिलजी के साथ काफूर के प्रेम संबंध भी थे. अपनी तेज़ी से हुई तरक्की के चलते काफूर ने बाकी के सरदारों को अपना दुश्मन बना लिया. ऊपर से कई ऐसे लोग भी थे जो एक ऐसे वज़ीर से हुक्म लेना पसंद नहीं करते थे जो मर्द नहीं था.
अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य
अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य सोर्स-विकीपीडिया

खुद हार कर भी जीतने वाले का पूरा खजाना ले लिया

काफूर मिलिट्री स्किल्स के साथ-साथ कूटनीति में भी माहिर था. पांड्य साम्राज्य पर हमला कर के काफूर ने घेराबंदी कर ली थी. भीषण गर्मियों में की गई इस घेराबंदी में कावेरी नदी भी शामिल थी. मगर एक रात पांड्य सेना ने अचानक हमला कर के काफूर की आधी से ज़्यादा सेना को खत्म कर दिया. काफूर ने हार मानने की जगह पांड्य राजा से समझौता किया अगर राजा वीर पांड्यन उसे वापस जाने दें वो अपने कब्ज़े में आए मीनाक्षी मंदिर और शहर को छोड़ देगा. कमज़ोर सेना के बाद भी काफूर ने मंदिर वापस देने का वादा कर वीर पांड्यन का पूरा खजाना, आधा राशन और सारे हाथी ले लिए. खिलजी ने खुश होकर इसके बाद काफूर को 'मलिक नायक'  बना दिया. वैसे समझौता होने के पहले तक मीनाक्षी मंदिर का बड़ा हिस्सा तोड़ा जा चुका था जो 15वीं शताब्दी में दुबारा बना.
मीनाक्षी मंदिर
वर्तमान मंदिर सोर्स-विकीपीडिया

खिलजी के खिलाफ साजिश

काफूर की ख्वाहिशें बढ़ती ही जा रहीं थी. खिलजी के बीमार पड़ने पर उसने सुल्तान को नज़रबंद कर लिया. कुछ इतिहासकारों का ये भी मत है कि काफूर ने ही धीमा जहर देकर खिलजी को मौत तक पहुंचाया. बहरहाल हत्या के तुरंत बाद काफूर ने खिलजी के बेटों को अंधा करवा दिया. बेग़मों को जेल में डाला. सारे सरदारों को कत्ल करने का हुकुम दे दिया और खिलजी के 3 साल के बेटे को गद्दी पर बैठाने की बात करके खुद सुल्तान बन गया.

क्रूरता के दौर और फिर हत्या

काफूर ने 35 दिनों में खूब कत्ल-ए-आम किया. शाही परिवार के साथ-साथ उसे जो भी नापसंद हुआ मारा गया. खिलजी के बेटे शादी खां को उसने सीरी के किले में कैदी बना लिया. काफूर के हुकुम पर शहज़ादे की आंखें उस्तरे से चीरा लगाकर निकाली गईं, जैसे फांकों से तरबूज़ छीलकर निकाला जाता है.
इन सबके बीच अलाउद्दीन का तीसरा बेटा मुबारक खिलजी किसी तरह बच निकला. उस दौर के इतिहासकार बरनी के दस्तावेजों में ज़िक्र मिलता है कि काफूर ने जिन सैनिकों को मुबारक को मारने भेजा था, वो मुबारक से मिल गए. इन्हीं सैनिकों ने वापस आकर सोते समय काफूर की गर्दन काट दी. इस तरह एक महीने के शासन के बाद काफूर इतिहास की किताबों का किस्सा बनकर रह गया.


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