UP का वो केस जिसमें पुलिसवाले को ही भगोड़ा और इनामी अपराधी घोषित कर दिया गया
महोबा कांड, मणिलाल पाटीदार और इंद्रकांत त्रिपाठी.
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मृत इंद्रकांत त्रिपाठी (बाएं) और IPS मणिलाल पाटीदार (दाहिने)
लेकिन इस मौत से पहले ही यूपी में बहुत कुछ घट चुका था. प्रशासनिक महकमा सकते में था. कहा गया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ख़ुद इस मामले में रुचि ले रहे हैं. और ऐसा क्यों? क्योंकि गोली लगने से ठीक एक दिन पहले यानी 7 सितंबर को व्यापारी के कुछ वीडियो वायरल हुए थे. इस वीडियो में व्यापारी ने कहा था कि उनकी जान को ख़तरा है. अपने जिले के पुलिस अधीक्षक से ही उन्होंने जान का खतरा बताया था.
वीडियो में कहा था कि पैसे मांगे जा रहे हैं. कहा कि लॉकडाउन और कोरोना की वजह से उनके पास इतने पैसे ही नहीं हैं कि वो दे सकें. व्यापारी ने साफ कहा कि अगर उनकी हत्या हुई तो जिम्मेदार जिले के एसपी होंगे. व्यापारी का नाम इंद्रकांत त्रिपाठी. और एसपी का नाम IPS का प्रीफ़िक्स लगाकर बोलें तो IPS मणिलाल पाटीदार.

इंद्रकांत त्रिपाठी के घायल हालत में मिलने के बाद ही आईपीएस पाटीदार को सस्पेंड कर दिया गया. उनके खिलाफ धारा 307 के तहत केस दर्ज किया गया, व्यापारी की मौत के बाद केस में धारा 302 (हत्या) जोड़ दी गई.
मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया. जिसने कहा कि इंद्रकांत त्रिपाठी ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से ख़ुद को गोली मारी थी. लेकिन उत्पीड़न और दबाव के पक्ष को देखते हुए SIT ने मणिलाल पाटीदार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुक़दमा दर्ज कर दिया. और अब मणिलाल पाटीदार पर 25 हज़ार का इनाम घोषित किया जा चुका है. वो फ़रार हैं. और यूपी पुलिस गुजरात और राजस्थान जाकर मणिलाल को अरेस्ट करने के लिए छापेमारी कर रही है.
लेकिन इस सबके बीच बहुत कुछ हुआ है, जिस पर बात होना बाकी है. क्या है कहानी? चलिए, सुनते हैं.
व्यापारी, पार्टनर और वीडियोबाज़ी
महोबा ज़िला अपने ग्रेनाइट के पत्थरों के लिए जाना जाता है. स्थानीय लोग जानकारी देते हैं कि यहां पर लगभग 400 स्टोन क्रशर काम करते हैं. मध्य प्रदेश की सीमा लगती है. पहाड़ हैं. पहाड़ों में ब्लास्टिंग से पत्थर तोड़े जाते हैं, फिर बड़े पत्थर स्टोन क्रशर चलाने वालों के यहां आते हैं. वहां उन्हें छोटे पत्थरों में तोड़ा जाता है. महोबा में एक कम्पनी है - VIP ट्रेडर्स. VIP ट्रेडर्स का काम है पहाड़ों में विस्फोट करने के लिए डायनामाइट और अमोनियम नाइट्रेट की सप्लाई करना. ये कम्पनी तीन पार्टनर मिलकर चलाते रहे हैं. पुरुषोत्तम सोनी, बल्लू महाराज और इंद्रकांत त्रिपाठी. इंद्रकांत महोबा के कबरई क़स्बे के निवासी थी.
इंद्रकांत के बड़े भाई विजय कुमार त्रिपाठी हमसे बातचीत में बताते हैं,
“इंद्रकांत के काम में लॉकडाउन के पहले तक कोई दिक़्क़त नहीं थी. लॉकडाउन में कुछ समय तक बहुत दिक़्क़त रही. फिर जून 2020 में पहली बार इंद्रकांत और मणिलाल पाटीदार की बात हुई. मणिलाल ने इंद्रकांत से कहा कि वो हर महीने उन्हें छह लाख रुपए दे तो उसे कोई दिक़्क़त नहीं होगी. शुरुआती नानुकुर के बाद इंद्रकांत मान गया.”लेकिन दो महीने पैसे देने के बाद इंद्रकांत की ये स्थिति नहीं रही कि वो इस स्कीम को चालू रख सके. विजय बताते हैं,
“मणिलाल को इंद्रकांत दो बार में 12 लाख रुपये दे चुका था. अब मांग भी उतनी नहीं थी कि कमाई हो. तो इंद्रकांत ने मणिलाल से और पैसे दे पाने में असमर्थता जतायी. कहा कि वो अब धंधा बंद करने की सोच रहा है क्योंकि अब उसकी कमाई रह नहीं गयी है. तो मणिलाल ने इंद्रकांत को धमकाया. कहा कि तुम्हारे ऊपर इतने केस लदवा दूंगा कि कभी बाहर नहीं निकल पाओगे. मुझे पता है कि तुम अपराधी प्रवृत्ति के हो. चुपचाप पैसे भिजवाते रहो.”इंद्रकांत और मणिलाल के बीच आख़िरी मुलाक़ात 3 सितम्बर को हुई. स्थानीय पत्रकारों की मानें तो ये मुलाक़ात मणिलाल के आवास पर हुई थी. इंद्रकांत ने कहा कि वो किसी भी हाल में पैसा नहीं दे सकता है. मणिलाल ने फिर से इंद्रकांत को धमकी दी. इसके बाद इंद्रकांत वहां से चला आया.
तारीख़ 7 सितम्बर. इंद्रकांत त्रिपाठी ने महोबा के कबरई से पहला वीडियो शूट किया. वही वीडियो जिसका हमने ऊपर ज़िक्र किया है. ये वीडियो कार के भीतर बैठकर शूट किया गया था. वीडियो में तमाम बातें थीं, तमाम आरोप थे. कहा कि पैसे मांगे जा रहे हैं और उनकी हत्या होती है तो उनकी मौत के ज़िम्मेदार मणिलाल पाटीदार होंगे. इस वीडियो में ये भी कहा गया कि इंद्रकांत 9 तारीख़ को एक प्रेसवार्ता में बाक़ी बातों का ख़ुलासा करेंगे. लेकिन 8 तारीख़ को वो अपनी कार में घायल मिले.
व्यापारी से इंद्रकांत बन गए सट्टा और जुआ संचालक
7 सितम्बर यानी जिस दिन इंद्रकांत त्रिपाठी ने अपना पहला वीडियो जारी किया था, उसी दिन तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया. पाटीदार ने कहा कि इंद्रकांत जुआ और सट्टे का संचालन करता है और साथ ही ग़ैरक़ानूनी रूप से विस्फोटकों का भी धंधा करता है. इस दिशा में कबरई थाने में दर्ज मुक़दमा संख्या 210/20 और IPC की धारा 332, 353 और जुआ अधिनियम 13 को भी प्रेस में जारी किया गया.

इसके बाद इंद्रकांत त्रिपाठी ने अपना दूसरा वीडियो बनाया. इस वीडियो में इंद्रकांत ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया. और अगले दिन 8 सितम्बर को एक वीडियो जारी हो गया. इस वीडियो में इंद्रकांत त्रिपाठी को जुआ खेलते हुए दिखाया गया. स्थानीय लोग बताते हैं कि सबसे पहले इस वीडियो को महोबा न्यूज़ नाम के पोर्टल द्वारा जारी किया गया. आरोप लगे कि पोर्टल के संचालक अनज शर्मा की मणिलाल पाटीदार से क़रीबी रही है, इस वजह से सबसे पहले इसी पोर्टल पर इस वीडियो को जारी किया गया. लेकिन अनज शर्मा इन बातों का खंडन करते हैं. हमसे बातचीत में उन्होंने कहा,
“वो तो हमारा एक वॉट्सऐप ग्रुप है. उसमें पुलिस अधिकारी और बहुत सारे पत्रकार हैं. पुलिस कोई ख़बर डालती है, तो हम लोग वहां से पिक करके उसे चलाते हैं. और सिर्फ़ मैंने नहीं, दूसरे कई सारे पोर्टल और चैनलों ने चलाया था. इसमें किसी का क़रीबी होने जैसी कोई बात नहीं थी.”इस दिन ही यानी 8 सितम्बर को इंद्रकांत घायल हालत में मिले. 11 सितम्बर को इंद्रकांत के छोटे भाई रविकांत त्रिपाठी ने क़बरई थाने में FIR दर्ज करवाई. IPC की धारा 387, 301, 120 और CrPC की धारा 7/13 के तहत. इस मामले में आरोपियों की लिस्ट में मणिलाल पाटीदार, कबरई थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला, ब्रह्मदत्त त्रिपाठी, सुरेश सोनी और कुछ पुलिसकर्मियों का ज़िक्र था.

ब्रह्मदत्त और सुरेश कौन? स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक़, सूर्या केमिकल्स के मालिक. इंद्रकांत त्रिपाठी के परिवार को शक है कि इन दोनों की मणिलाल पाटीदार से सांठगांठ थी और इंद्रकांत की हत्या में इनका भी हाथ था.
SIT की जांच और रिपोर्ट
इंद्रकांत की मौत के बाद FIR में 302 की धारा जोड़ी गयी. मामले में SIT का आगमन हुआ. टीम में थे विजय सिंह मीणा, शलभ माथुर और अशोक त्रिपाठी. SIT को इस मामले की 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट देनी थी. SIT ने जांच की. रिपोर्ट सबमिट की.
रिपोर्ट में SIT ने बताया कि 7 सितंबर को इंद्रकांत त्रिपाठी महोबा से जाकर मध्य प्रदेश के छतरपुर के होटल झंकार में जाकर रुक गए थे. वहां पर उनके साले बृजेश शुक्ला और मित्र बालकृष्ण द्विवेदी मिलने पहुंचे. वहां से अगले दिन इंद्रकांत होटल झंकार से चेकआउट करके निकले. और बाद में घायल अवस्था में अपनी कार में मिले थे.

SIT ने दावा किया कि इंद्रकांत ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से ख़ुद को गोली मार ली थी. SIT ने कहा कि मेडिकोलीगल टीम के एक्सपर्ट ने बताया है कि गोली शरीर में सामने से घुसी थी. SIT ने कहा कि इंद्रकांत के घरवालों ने इंद्रकांत की लाइसेंसी पिस्टल रख ली थी, और बहुत बार मांगने के बाद जांच के लिए SIT को सौंपी थी.
SIT ने ये भी कहा कि जिस जुए के केस में इंद्रकांत का नाम आया था, उसमें FIR दर्ज करते समय कहीं इंद्रकांत का नाम नहीं था. साथ ही पुलिस कस्टडी में क़ैद मुख्य अभियुक्त ने भी अपने बयान में कहीं इंद्रकांत का नाम नहीं लिया. कहा गया कि पुलिस द्वारा अस्वाभाविक विलंब से इंद्रकांत का नाम प्रकाश में लाया गया. जिससे महोबा पुलिस की कदाशयता — फ़ौरी अनुवाद करें तो ‘बुरा आशय’ — प्रतीत होती है. SIT ने दबाव डालने के लिए और आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए मणिलाल पाटीदार को आरोपी बनाया.
क्या SIT की जांच सही है?
SIT की जांच पर बहुत सारे आरोप लगते हैं. दी लल्लनटॉप से बातचीत में इंद्रकांत के बड़े भाई विजय बताते हैं,
“सबसे पहले तो लाइसेंसी पिस्टल की बात. SIT क़ह रही है कि इंद्रकांत ने लाइसेंसी पिस्टल से ख़ुद को गोली मार ली और बाद में हमने उस पिस्टल को जमा किया. लेकिन ऐसा तो है नहीं. जिस दिन इंद्रकांत घायल मिले थे, उस दिन पिस्टल तो घर पर ही थी. बाद में SIT की जांच शुरू हुई तो उन्होंने हमसे कहा पिस्टल जमा करने को. तो हम जमा करने गए थे.”

SIT ने अपनी रिपोर्ट में इंद्रकांत पर चली गोली का उनके पिस्टल से बैलिस्टिक रिपोर्ट से मिलान करने का दावा किया है. लेकिन विजय पिस्टल जमा करने की कहानी बताते हुए कुछ और दावा करते हैं,
“जब मेरा भाई रविकांत पिस्टल जमा करने गया था, तो वहां पर एक मन्नू यादव नाम का पुलिसकर्मी था. पिस्टल जमा करने की रसीद पाने के दौरान मन्नू कुछ देर के लिए पिस्टल लेकर बाहर गया था. शायद 10 मिनट के लिए. उस समय उन्होंने पिस्टल पर साइलेंसर लगाकर एक राउंड फ़ायर किया, अपनी गोली पिस्टल में डाल दी. और बाद में दावा कर दिया कि इसी पिस्टल से इंद्रकांत ने ख़ुद को गोली मारी थी.”

इंद्रकांत अपनी कार के भीतर घायल मिले थे. विजय बताते हैं कि अगर इंद्रकांत ने ख़ुद को गोली मारी थी, तो कार में ठीकठाक मात्रा में ख़ून मिलना चाहिए था. लेकिन इंद्रकांत की ड्राइवर वाली सीट पर, जिसकी तस्वीरें भी मौजूद हैं, पर ही ख़ून का हल्का धब्बा मिला था. विजय कहते हैं,
“इंद्रकांत ने ख़ुद को गोली नहीं मारी. इंद्रकांत को कार से बाहर किसी और ने गोली मारी है और बाद में उसे कार में लाकर बिठाया गया है. जिसकी वजह से कार में धब्बे मिले.”क्या पाटीदार को बचाया जा रहा है?
पाटीदार 2014 बैच के IPS अफ़सर है. SP के तौर पर उनकी पहली पोस्टिंग में महोबा जिले में ही हुई. इलाक़े के कुछ लोग बताते हैं कि शुरुआत से ही पाटीदार ने इलाक़े के क्रशर कारोबारियों से सांठगांठ बना ली थी. और धीरे-धीरे उगाही का काम शुरू किया था. बक़ौल इंद्रकांत के भाई विजय, पहले कारोबारियों को थाना या चेकपोस्ट पर पैसे पहुंचाने होते थे. इंद्रकांत ने भी पहुंचाए थे. लेकिन कुछ महीनों से पाटीदार ने ख़ुद ही पैसों की उगाही शुरू कर दी थी. स्थानीय पत्रकारों की मानें तो इसमें पाटीदार की मदद देवेंद्र शुक्ला और कॉन्स्टेबल अरुण यादव करते थे. अरुण यादव ने 1 दिसम्बर को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
विजय ने बताया कि जिस दिन इंद्रकांत ने अपना वीडियो वायरल किया था, यानी 7 सितंबर को, उस दिन देवेंद्र शुक्ला इंद्रकांत के भाई रविकांत से मिलने आया था. और मणिलाल पाटीदार से मिलकर सुलह करने की बात कह रहा था.
SIT पर आरोप लग रहे हैं कि वो पाटीदार को बचाना चाह रहे हैं, इसलिए हत्या को आत्महत्या के मामले में तब्दील किया जा रहा है. पाटीदार की गिरफ़्तारी के बारे में जानकारी देते हुआ प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में एडीजी ज़ोन प्रेम प्रकाश ने कहा था,
“हमें पाटीदार के वक़ील ने बताया है कि पाटीदार को कोरोना हो गया है, और इस समय वो कहीं आइसोलेशन में हैं.”लेकिन मीडिया को ये नहीं बताया गया कि पाटीदार कहां आइसोलेशन में हैं. साथ ही आइसोलेशन में रहने के कुछ दिनों बाद पाटीदार को भगोड़ा घोषित कर दिया गया, और अब उन पर इनाम है. इंद्रकांत के घरवाले मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि बिना मुख्य आरोपी मणिलाल पाटीदार से बयान लिए SIT ने कैसे जांच रिपोर्ट पेश कर दी? कैसे जांच पूरी हो गयी? चौराहे की चर्चा है कि IPS लॉबी का दबाव है कि मणिलाल पाटीदार पर हत्या का मुक़दमा न दर्ज हो, तमाम IPS अधिकारी इन आरोपों से इनकार करते हैं. और इंद्रकात के भाई विजय कहते हैं, “ये हत्या है और SIT इसे आत्महत्या साबित करने पर तुली हुई है.”