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कनाडा का सबसे बड़ा नरसंहार, कनिष्क हादसा, जिसमें सभी 329 पैसेंजर्स की मौत हुई

बब्बर खालसा की साजिश, 20 साल जांच चली और 130 मिलियन डॉलर खर्च हुए.

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इंद्रजीत सिंह रेयात को बम बनाने और उसे प्लांट करने के लिए दोषी पाय गया था. कुछ साल पहले उसे समाज की मुख्य धारा में जुड़ने के लिए कनाडा सरकार ने रिहा कर दिया था. | बाएं में हादसे के दिन के 'दी हिंदू' अख़बार की कटिंग
23 जून 2019 (Updated: 23 जून 2019, 05:39 IST)
Updated: 23 जून 2019 05:39 IST
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तारीख 23 जून 1985. एयर इंडिया फ्लाइट 182, बोइंग 747 प्लेन. फ्लाइट टोरंटो से चली. उसे लंदन होते हुए नई दिल्ली आना था. अटलांटिक महासागर के ऊपर एयरोप्लेन था. जमीन से ऊंचाई थी 31 हजार फीट. लंदन पहुंचने में कुछ ही देर थी. कि अचानक प्लेन में तेज धमाका हुआ. और प्लेन आग के गोले में बदल गया. जलता हुआ प्लेन आयरलैंड के पास समंदर में गिरा. बब्बर खालसा की साजिश, मारे गए थे सभी 329 पैसेंजर हवाई जहाज में बैठे सभी 307 पैसेंजर और 22 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी. ये था बदला. 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में की गई सरकार की कार्रवाई का बदला. खालिस्तान की मांग कर रहे सिखों का भारत सरकार से ये बदला था. इसके बारे में लोगों को बाद में पता चला जब खालिस्तान की मांग कर रहे सिख कट्टरपंथियों ने बाद में इसकी जिम्मेदारी ली. ब्लास्ट के पीछे बब्बर खालसा ग्रुप था और कनाडा का एक ग्रुप भी उनसे मिला हुआ था. एयर इंडिया के इस विमान का नाम भारत के महान सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था. कनिष्क, वो राजा जिसका साम्राज्य आधे चीन तक फैला हुआ था. विमान का नाम कनिष्क था. इसलिए इसे कनिष्क विमान क्रैश नाम से जाना जाता है. साजिश के पीछे था 'एम सिंह' प्लेन में एक पैसेंजर को चढ़ना था. जिसका नाम था 'एम सिंह.' पर वो चढ़ा नहीं. बस उसका सूटकेस प्लेन में चढ़ा दिया गया. उस 'एम सिंह' का न आज तक कोई पता चला है. न ही उसे पकड़ा जा सका है. इस क्रैश के बाद नारिटा, टोक्यो में भी हुआ क्रैश कनिष्क में ब्लास्ट के 55 मिनट बाद टोक्यो में नारिटा हवाई अड्डे पर भी एक बम ब्लास्ट हुआ था. जहां एयर इंडिया के दूसरे प्लेन को उड़ाने के लिए सामान में बम रख चेक इन कराया गया था. उस ब्लास्ट में एयरपोर्ट के सामान उठाने वाले दो कर्मचारी मारे गए. मॉडर्न कनाडा की हिस्ट्री में सबसे बड़ा नरसंहार कुल 329 लोगों की मौत इस प्लेन क्रैश में हुई. इनमें से 268 कनाडा के, 27 इंग्लैंड के, 10 अमेरिका के और 2 भारत के थे. पर हवाई जहाज की क्रू में शामिल सभी 22 लोग भारतीय थे. यानी कुल 24 भारतीय इस दुर्घटना में मारे गए. मॉडर्न कनाडा की हिस्ट्री में सबसे बड़ा नरसंहार था. 20 साल चली जांच, 130 मिलियन डॉलर खर्च हुए 20 साल इसकी जांच चली और 130 मिलियन डॉलर के लगभग पैसे खर्च हुए. ये कनाडा में किसी केस की सबसे महंगी जांच थी. और आखिर में पकड़ा गया एक गुनाहगार. उस ब्लास्ट का इकलौता दोषी इंद्रजीत सिंह रेयात. रेयात भी इस जनवरी में कनाडा की जेल से छूट गया है. रेयात ने बम ब्लास्ट के लिए डेटोनेटर,डायनामाइट और बैटरीज खरीदीं थी. उसे दस साल की सजा हुई थी. रेयात को अदालत में झूठी गवाही देने के लिए भी नौ साल की जेल हुई थी. कनाडा में ऐसे किसी केस में मिली ये सबसे बड़ी सजा थी.

जेल से छूटा कनिष्क विमान हादसे का इकलौता दोषी

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