‘धुरंधर’ का मेजर इकबाल क्या इलियास कश्मीरी से प्रेरित है? मुंबई अटैक से जुड़ा नाम फिर चर्चा में
फिल्म ‘Dhurandhar’ में अर्जुन रामपाल का किरदार ‘Major Iqbal’ दर्शकों के बीच काफी चर्चा में है. माना जा रहा है कि ISI से जुड़े इस खतरनाक किरदार की प्रेरणा आतंकवादी ‘Ilyas Kashmiri’ हो सकता है. फिल्म के मेकर्स ने इस दावे की कभी पुष्टि नहीं की. फिर भी फिल्म की कहानी, जासूसी माहौल और आतंकवाद की पृष्ठभूमि इसे रियल लाइफ घटनाओं से जुड़ा हुआ महसूस कराती है.

एक स्पाई कहानी, एक खौफ और एक नाम जो परदे के बाहर भी सिहरन पैदा करता है. परदा खुलता है. अंधेरी कोठरी. सामने कुर्सी से बंधा एक भारतीय जासूस. लाइट बुझी हुई. अचानक टॉर्च जलती है. आवाज़ भारी है, ठंडी है, और चेहरे पर शिकन नहीं. यही है धुरंधर का वो सीन, जहां अर्जुन रामपाल का किरदार मेजर इकबाल दर्शक की धड़कन पकड़ लेता है. अगले ही पल एक और सीन आता है, मीटिंग, नक्शे, फोन कॉल्स और एक ऐसा आदेश, जो इतिहास में 26 नवंबर की तारीख को हमेशा के लिए काला कर देता है. यहीं से शुरू होती है चर्चा. फिल्म के बाहर भी.

बात शुरू करने से पहले ये साफ करना जरूरी है कि ‘धुरंधर’ फिल्म के मेकर्स ने कभी ये दावा नहीं किया कि मेजर इकबाल का किरदार इलियास कश्मीरी से प्रेरित है. लेकिन चर्चा है. तेज़ है. लगातार है. क्यों?
क्योंकि मेजर इकबाल का प्रोफाइल, ISI का बैकड्रॉप, ग्लोबल जिहादी नेटवर्क से कनेक्शन और बड़े आतंकी हमलों की साजिशें, ये सब मिलकर दर्शकों को एक नाम की तरफ ले जाते हैं. इलियास कश्मीरी. फिल्मी दुनिया कहती है ये फिक्शन है. दर्शक कहते हैं, कुछ तो सच्चाई से उठाया गया है.
इलियास कश्मीरी कौन था?अब जब नाम चल ही पड़ा है, तो जान ही लेते हैं कि इलियास कश्मीरी था कौन? दरअसल, इलियास कश्मीरी कोई मामूली नाम नहीं था. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जन्मा, अफगान जंग से निकला, और फिर साउथ एशिया के सबसे खतरनाक आतंकियों में गिना जाने वाला शख्स. वो हरकत उल जिहाद ए इस्लामी का टॉप कमांडर रहा. अल कायदा के साथ उसकी नज़दीकी जगजाहिर थी.

अमेरिकी एजेंसियों की नजर में वो सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि ऐसा ऑपरेशनल माइंड था जो इंटरनेशनल लेवल पर हमले प्लान कर सकता था. कहा गया कि वो ISI के कुछ धड़ों के बेहद करीब था. कहा गया कि उसे स्पेशल ट्रेनिंग और प्रोटेक्शन मिलती रही. कहा गया कि वो ओसामा बिन लादेन के बाद अगला बड़ा नाम बन सकता था. सब कहा गया. सब साबित नहीं हुआ. लेकिन खौफ बना रहा.
26 नवंबर और बेनजीर भुट्टो की परछाईं26 नवंबर 2008. मुंबई. आधिकारिक तौर पर इस हमले की साजिश और अमल लश्कर ए तैयबा के नाम दर्ज है. डेविड हेडली, ट्रेनिंग कैंप, समुद्री रास्ता, सब रिकॉर्ड पर है. लेकिन खुफिया हलकों में सालों तक ये फुसफुसाहट रही कि इलियास कश्मीरी ने इस तरह के हमले का आइडिया अल कायदा लीडरशिप तक पहुंचाया था.

मास्टरमाइंड साबित नहीं हुआ. नाम बार बार उछला. इसी तरह बेनजीर भुट्टो की हत्या. यहां भी कोई कोर्ट वाला सीधा सबूत नहीं. लेकिन इंटरनेशनल इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में उसका नाम संदिग्ध कड़ी के तौर पर सामने आता रहा.
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मौत जो भी एक सीन बन गईसाल 2011…अफगान पाकिस्तान बॉर्डर…अमेरिकी ड्रोन हमला…खबर आई कि इलियास कश्मीरी मारा गया. कुछ वक्त तक अफवाह चली कि वो बच गया. फिर अल कायदा से जुड़े बयानों और एजेंसियों की रिपोर्ट्स ने कहानी पर फुल स्टॉप लगा दिया. खलनायक खत्म. लेकिन मिथक आज भी ज़िंदा है.
धुरंधर का मेजर इकबाल और सिनेमा का सचधुरंधर कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं है. मेजर इकबाल कोई बायोपिक नहीं है. ये एक फिल्मी किरदार है, जो कई सच्ची घटनाओं, कई खतरनाक नामों और कई जासूसी थ्योरीज़ को मिलाकर गढ़ा गया है. इसलिए कहना सही होगा कि चर्चा है कि ये किरदार इलियास कश्मीरी से प्रेरित है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि मेकर्स ने ऐसा कभी नहीं कहा.

आखिरी सीन की कल्पना कीजिए…धुंध…रेडियो पर शोर…एक फाइल बंद होती है. कैमरा स्लो ज़ूम करता है. एक तरफ मेजर इकबाल, जो सिर्फ परदे पर है. दूसरी तरफ इलियास कश्मीरी, जो परदे के बाहर था. एक फिक्शन. एक हकीकत. बीच में वही धुंध, जिसमें स्पाई फिल्मों की जान बसती है. और शायद इसी धुंध का नाम है…'धुरंधर'.
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