भारत की 'ट्रिपल स्ट्राइक फोर्स', पाकिस्तान-चीन की सांसें टाइट, तुर्की तक में खलबली
India Defence Technology DRDO Latest: DRDO का दावा है कि आने वाले वर्षों में भारत मिसाइल सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर्स और निगरानी तकनीकों का एक बड़ा निर्यातक बन सकता है. रुद्रम, पिनाका और I‑STAR की तिकड़ी महज हथियार नहीं हैं, ये उस बदलते भारत की कहानी हैं जो अब हथियार खरीदने की कतार में नहीं, बल्कि हथियार बेचने की रेस में है.

“अबकी बार, दुश्मन के पास न वक्त होगा न जवाब.” ये लाइन अब महज पोस्टर का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत की नई रक्षा तकनीक का आईना बनती जा रही है. DRDO और देश के रक्षा वैज्ञानिक जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, वह सिर्फ आत्मनिर्भर भारत का सपना नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए डर का नया चेहरा बनता जा रहा है.
भारत के पास अब ऐसे हथियार तैयार हो रहे हैं, जो न सिर्फ रडार से बच सकते हैं, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन के कमांड सेंटर को भस्म कर सकते हैं-और वो भी चुपचाप.
रुद्रम मिसाइल: हवा से चलेगी, रडार को सुला देगीरुद्रम मिसाइल श्रृंखला, भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल प्रणाली है. यह सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि हवा में दुश्मन की आंख और कान को हमेशा के लिए बंद करने का जरिया है.
रुद्रम-1: रेंज 200 किमी, सुपरसोनिक स्पीड, दुश्मन के रडार और कम्युनिकेशन सिस्टम को नेस्तनाबूद करने में सक्षम.
रुद्रम-2: लगभग 300 किमी रेंज और हाइपरसोनिक स्पीड के साथ स्ट्राइक और रेडिएशन मिशनों के लिए तैयार.
रुद्रम-3: दो चरणों वाली मिसाइल, 550 किमी तक मारक क्षमता. यह दुश्मन के गहरे इलाकों में जाकर हमला करने में सक्षम है.

अब बारी है रुद्रम-4 की-ये कोई आम हथियार नहीं, बल्कि दुश्मन की नींद उड़ाने वाला सपना है. DRDO के सूत्रों के हवाले के द प्रिंट का दावा है कि इस मिसाइल की रफ्तार Mach 5 से ज्यादा होगी यानी यह ध्वनि से 5 गुना तेज होगी. इसे सुखोई-30, मिराज 2000 और संभावित रूप से राफेल जैसे विमानों पर लगाया जा सकता है. इसकी खासियत? इतनी तेज और चुस्त कि दुनिया की कोई भी एयर डिफेंस प्रणाली इसे रोक नहीं सकती.
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पिनाका मार्क-4: ज़मीन से उठेगी तबाही की बौछारजहां रुद्रम हवा से हमला करता है, वहीं ज़मीन से दुश्मन की नींव हिलाने के लिए भारत के पास है-पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम.
पिनाका मार्क-3: 120 किमी की रेंज के साथ बेहद सटीक निशाना लगाने वाला रॉकेट सिस्टम.
पिनाका मार्क-4: अगला स्तर, 300 किमी तक दुश्मन के ठिकानों को बिना पायलट भेजे ध्वस्त करने की ताकत. इसमें 250 किलो का घातक वारहेड होगा और ये गाइडेड सिस्टम के तहत लक्ष्य भेदेगा.

खास बात ये कि अब DRDO अकेला नहीं है. फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक Solar Industries, L&T, Bharat Dynamics जैसी कंपनियां इसमें हिस्सेदारी कर रही हैं, जिससे न केवल उत्पादन तेजी से हो रहा है, बल्कि यह रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की मजबूत एंट्री भी है.
I-STAR विमान: हवा में आंखें, ज़मीन पर हज़ार कहानियांअब बात करते हैं उस सिस्टम की जो दुश्मन की हर हरकत पर नज़र रखेगा, वो भी बिना बॉर्डर पार किए. I-STAR, यानी Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance, भारतीय वायुसेना के लिए DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा एक निगरानी एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट है, जिसकी कुल लागत ₹10,000 करोड़ है. ये विमान दिन-रात, हर मौसम में काम कर सकेंगे.

इन पर होंगे हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सेंसर और अत्याधुनिक रडार सिस्टम. सीमाओं पर लगातार निगरानी से लेकर दुश्मन के मूवमेंट और टारगेट पोजिशनिंग तक-सब कुछ लाइव ट्रैक होगा. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक यह भारत को एक मजबूत नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर क्षमता प्रदान करेगा, यानी जंग अब सिर्फ हथियारों से नहीं, डेटा से भी जीती जाएगी.
चीन-पाकिस्तान की नींद क्यों उड़ी है?रुद्रम-4, पिनाका मार्क-4 और I-STAR जैसे हथियारों से चीन और पाकिस्तान दोनों को रणनीतिक रूप से गंभीर खतरा है. रुद्रम-4 की हाइपरसोनिक गति और एंटी-रेडिएशन क्षमता पाकिस्तान के एयर डिफेंस और चीन के सीमावर्ती रडार सिस्टम को ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही नष्ट कर सकती है. पिनाका मार्क-4 की 300 किमी रेंज बिना सीमा पार किए पाकिस्तान के आतंकी लॉन्चपैड, लॉजिस्टिक हब और चीन के फॉरवर्ड बेस को मिनटों में तबाह कर सकती है.
वहीं I-STAR निगरानी विमान, एलओसी और एलएसी पर दुश्मन की हर गतिविधि-चाहे वो ड्रोन लॉन्च हो, सैनिकों की मूवमेंट या मिसाइल तैनाती-को रियल टाइम में पकड़कर भारत को एक जबरदस्त नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर एडवांटेज देता है. इन तीनों की तैनाती भारत को रक्षात्मक नहीं, आक्रामक और निर्णायक शक्ति में बदल देती है-यही बात चीन-पाकिस्तान को सबसे ज़्यादा डराती है.
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भारत के हथियारों से तुर्कीए क्यों परेशान है?IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की भारत के रुद्रम-4, पिनाका मार्क-4 और I-STAR जैसे हथियारों से इसलिए डरा हुआ है क्योंकि ये सीधे तौर पर तुर्की के पाकिस्तान और अज़रबैजान जैसे रक्षा साझेदार देशों में चल रहे हथियार निर्यात मॉडल को चुनौती दे रहे हैं. रुद्रम-4 की एंटी-रेडिएशन क्षमता तुर्की द्वारा पाकिस्तान को दिए गए ASELSAN रडार सिस्टम को निष्क्रिय कर सकती है, पिनाका-4 की लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता युद्ध के पहले ही मिनट में तुर्की-निर्मित स्मार्ट हथियारों और ड्रोन अड्डों को तबाह कर सकती है, और I-STAR जैसे निगरानी विमान तुर्की के ड्रोन जैसे Bayraktar TB2 की हर गतिविधि को बॉर्डर पार किए बिना ट्रैक और जैम कर सकते हैं. भारत की यह तकनीकी आत्मनिर्भरता तुर्की की रक्षा डिप्लोमेसी और उसका एक्सपोर्ट-आधारित प्रभाव क्षेत्र दोनों को खतरे में डाल रही है.
नया भारत, नया तेवररुद्रम, पिनाका और I‑STAR की तिकड़ी महज हथियार नहीं हैं, ये उस बदलते भारत की कहानी हैं जो अब हथियार खरीदने की कतार में नहीं, बल्कि हथियार बेचने की रेस में है.
DRDO का दावा है कि आने वाले वर्षों में भारत मिसाइल सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर्स और निगरानी तकनीकों का एक बड़ा निर्यातक बन सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी के "आत्मनिर्भर भारत" अभियान का सबसे दमदार चेहरा अब रक्षा क्षेत्र बनता जा रहा है. और इन तकनीकों से यह साफ है कि भारत अब सिर्फ लड़ाई के लिए तैयार नहीं, बल्कि लीड करने के लिए तैयार है.
अगर आज कोई दुश्मन भारत की ओर आंख उठाकर देखता है, तो उसे ये जान लेना चाहिए कि भारत के पास अब सिर्फ जवानों का जोश नहीं, तकनीक की वो ताकत है जो हवा से भी तेज़ उड़ सकती है, ज़मीन से भी गहरा मार सकती है और आसमान में बैठकर हर चाल देख सकती है.
और यही है आज का भारत-तैयार, तेज़ और तकनीकी रूप से टिकाऊ.
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