The Lallantop
Advertisement

खालिस्तानी आतंकियों का सफाया कर रहीं भारतीय खुफिया एजेंसियां? इन हत्याओं से उठा सवाल

पाकिस्तान में भी आतंकी डर के मारे घरों में दुबके हुए हैं.

Advertisement
Khalistani terrorist panjwar, nijjar, khanda
(बाएं से दाएं) अवतार सिंह खांडा, हरदीप सिंह निज्जर और परमजीत सिंह पंजवार. (फोटो सोर्स- आज तक)
21 जून 2023 (Updated: 21 जून 2023, 23:30 IST)
Updated: 21 जून 2023 23:30 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बीते दो महीने में तीन चर्चित खालिस्तानी आतंकियों की मौत हो गई है. सोमवार 19 जून को खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स (KTF) के चीफ़ हरदीप सिंह निज्जर की गोली मार कर हत्या कर दी गई. इसके पहले बीते हफ्ते अवतार सिंह खांडा की एक अस्पताल में मौत हो गई थी. और मई महीने में परमजीत सिंह पंजवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी. इस सिलसिले को भारतीय खुफ़िया एजेंसियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल खालिस्तान समर्थक संगठनों के लोगों का आरोप है कि इन हत्याओं के पीछे भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों का हाथ है.

हरदीप सिंह निज्जर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा के सरे शहर में सोमवार सुबह 6 बजे के करीब निज्जर की दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. निज्जर इलाके के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे का मुखिया था. अंग्रेजी अख़बार द हिंदू की एक खबर के मुताबिक हमलावरों ने गुरुद्वारे के परिसर में जाकर उसे नजदीक से गोलियां मारीं. उस वक़्त निज्जर अपनी कार में था.

अंग्रेजी अख़बार फर्स्ट पोस्ट की एक खबर के मुताबिक, निज्जर बीते 4 सालों से गुरुद्वारा चला रहा था. आशंका थी कि वो गुरूद्वारे में आने वाले पैसे का गबन कर उसका इस्तेमाल पंजाब में आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए कर रहा था. उसको भारत में जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी करार दिया गया था. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने सितंबर 2020 ने भारत में उसकी संपत्ति जब्त कर ली थी. इससे पहले साल 2016 में इंटरपोल ने उसके खिलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था. साल 2018 में आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के संदेह पर कनाडा के सरे शहर की पुलिस ने उसे घर में नजरबंद कर दिया था. बाद में निज्जर को छोड़ दिया गया.

इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक, कनाडा के वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन (WSO) ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत की खुफिया एजेंसियों का हाथ होने का आरोप लगाया है. इस संगठन ने कनाडा के प्रशासन से निज्जर की हत्या की पूरी तरह जांच करने की मांग की है. ये भी दावा किया है कि निज्जर को डर था कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियां उसे निशाना बना सकती हैं.

निज्जर मूल रूप से पंजाब के जालंधर जिले का रहने वाला था. और साल 1995 में कनाडा चला गया था. तबसे ही उसका 'खालिस्तानी आतंकवाद' से जुड़ाव हो गया था. शुरुआत में वो बब्बर खालसा नाम के खालिस्तानी संगठन से जुड़ा रहा. साल 2007 में लुधियाना में शिंगार सिनेमा ब्लास्ट हुआ और साल 2009 में पटियाला में राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुल्दा सिंह की हत्या. इन दोनों घटनाओं में निज्जर का हाथ बताया गया. नवंबर 2020 में डेरा अनुयायी मनोहर लाल अरोड़ा और रोपड़ के एक गांव के सरपंच  अवतार सिंह की हत्या में निज्जर का नाम आया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निज्जर कनाडा के सरे शहर में गैंगस्टर अर्शदीप सिंह गिल उर्फ ​​अर्श डाला का भी साथी बन गया था. पंजाब और कनाडा में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वो पैसे से जुड़े अपराधों में भी शामिल था. और इसीलिए वो कनाडा के कई और गिरोहों के निशाने पर भी था.

परमजीत सिंह पंजवार

बीती 6 मई को परमजीत सिंह पंजवार की पाकिस्तान के लाहौर में दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. पंजवार पर हमला तब हुआ जब वो सुबह टहलने के लिए निकला था. वो लाहौर के जौहर इलाके में सनफ्लॉवर हाउसिंग सोसाइटी में रहता था. उसकी सुरक्षा में दो गार्ड भी थे. तभी मोटरसाइकिल पर आए बंदूकधारियों ने उसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी.

पंजवार की उम्र 63 साल थी, वो खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स- पंजवार ग्रुप का मुखिया था. जुलाई 2020 में भारत ने पंजवार को UAPA एक्ट के तहत आतंकी घोषित किया था. उस पर लाहौर के बाहर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी करने का आरोप था. ये भी आरोप था कि वो इससे आने वाली रकम का इस्तेमाल कर भारत में खालिस्तान आंदोलन को हवा देना चाह रहा था.

अवतार सिंह खांडा

'वारिस पंजाब दे' नाम के खालिस्तान समर्थक संगठन के मुखिया अमृतपाल सिंह के जिक्र के साथ ही आपने अवतार सिंह खांडा का नाम सुना होगा. अवतार सिंह, 'अमृतपाल का गुरु' बताया जाता था. और खुद भी खालिस्तान समर्थक था. वो लंबे वक़्त से बीमार चल रहा था. और बीते हफ्ते उसकी इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर के एक अस्पताल में मौत हो गई. 

लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हुए हमले में खांडा के शामिल होने की बात सामने आई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक जब अमृतपाल सिंह भारतीय पुलिस और जांच एजेंसियों से बचते हुए भाग रहा था, तब खांडा लगातार उसके संपर्क में था.

यूनाइटेड किंगडम के सिख फेडरेशन ने कहा है कि अवतार सिंह को ब्लड कैंसर था. हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि उसकी मौत की वजह संदिग्ध है. कुछ लोगों का कहना था कि उसे जहर दिया गया. हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, खांडा के समर्थक चाहते थे कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट में जहर दिए जाने की पुष्टि हो और वो इसका आरोप भारतीय खुफिया एजेंसियों पर लगा सकें.

पहले भी हुई हैं खालिस्तानी आतंकियों की हत्या

ये तो बीते करीब दो महीने की घटनाएं हैं. इसके पहले भी भारत के बाहर कई खालिस्तानी आतंकियों की हत्याएं हुई हैं. मसलन, इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर के मुताबिक, जनवरी 2020 में हरमीत सिंह उर्फ़ हैपी पीएचडी को लाहौर में गोली मार दी गई थी. भारतीय जांच एजेंसियों ने कहा था कि वो भारत में और कुछ खाड़ी देशों में खालिस्तान लिबरेशन फ़ोर्स (KLF) के लोगों को ट्रेनिंग दे रहा था. साल 2016 से 2017 के बीच उसने पंजाब में कई टारगेट किलिंग्स को अंजाम दिया था. इसके अलावा कनाडा के सरे शहर में ही बीते साल 15 जून को बब्बर खालसा से जुड़े रिपुदमन सिंह मलिक की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

हालांकि पंजवार की लाहौर में दिन-दहाड़े हुई हत्या को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की यूज़ एंड थ्रो पॉलिसी से जोड़कर भी देखा गया. आजतक के जितेंद्र बहादुर सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, ISI अब बुजुर्ग हो चले आतंकी सरगनाओं पर भरोसा नहीं कर रही है. और इसीलिए उनका सफाया किया जा रहा है. ISI खुद ही आतंकियों की जान की दुश्मन बनी हुई है. बीते कुछ महीनों में पाकिस्तान में कई कुख्यात आतंकी मारे गए हैं. ये भी कहा गया है कि ISI के डर से दाउद इब्राहिम, हाफ़िज़ सईद और सैयद सलाउद्दीन सरीखे आतंकी घरों से नहीं निकल रहे हैं. हालांकि इस थ्योरी पर यकीन करना जल्दबाजी हो सकती है.

वहीं, खालिस्तानी आतंकवादियों की हत्याओं के पीछे बड़ी वजह क्या है और उनका सफाया करने में किसका हाथ है, ये अभी पूरी तरह साफ नहीं है. फिलहाल खालिस्तान समर्थकों के दावे हैं जिन पर सीधा यकीन करना जल्दबाजी ही होगी. बड़ा सवाल ये है कि आखिर इन हत्याओं को भारतीय खुफिया एजेंसियों से जोड़कर देखा जाना कितना सही है.

इस बारे में हमने वरिष्ठ क्राइम पत्रकार और 'क्राइम तक' के मैनेजिंग एडिटर शम्स ताहिर खान से बात की. उनका कहना है कि ये दूसरे गिरोहों का काम भी हो सकता है. और इसके पीछे खुफिया एजेंसियों के होने की संभावना से भी पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता.

लाहौर में पंजवार की हत्या पर शम्स कहते हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भी उन लोगों को अपने रास्ते से हटा देती है जो उनके काम के नहीं रहते. शम्स कहते हैं कि आजकल इन घटनाओं में छिपी हुई चीजें जल्दी बाहर आ जाती हैं. आगे इन हत्याओं को लेकर नए दावे भी सामने आ सकते हैं.

thumbnail

Advertisement

Advertisement