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अफगानिस्तान को गेहूं देने के लिए भारत को पाकिस्तान की ज़रूरत क्यों है?

अक्टूबर में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को गेहूं की मदद पहुंचाने की बात कही थी.

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गेहूं के अलावा भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को कोरोना वायरस के टीके भी उपलब्ध कराने की बात कही है. प्रतीकात्मक तस्वीर- आज तक.
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प्रशांत मुखर्जी
6 दिसंबर 2021 (Updated: 6 दिसंबर 2021, 06:03 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत ने पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) को मानवीय मदद के तौर पर 5 करोड़ किलो गेहूं देने की बात कही है. ये गेहूं पाकिस्तान (Pakistan) के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान जाएगा. पाकिस्तान सरकार ने भी इस पर मंज़ूरी दे दी है. मंज़ूरी इस वजह से क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच ज़्यादातर चीजों के लिए एक्सपोर्ट-इंपोर्ट फ़िलहाल बंद है. आइए इस पेचीदे मामले को समझते हैं. क्या-क्या मदद भेजी जाएगी? पहले बात भारत द्वारा की जा रही मानवीय मदद की. अक्टूबर महीने में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को गेहूं की मदद पहुंचाने की बात कही थी. लेकिन ये तब संभव हो पाता, जब पाकिस्तान इसकी मंज़ूरी देता. क्योंकि ज़मीन के रास्ते भारत से अफ़ग़ानिस्तान जाने का रास्ता वाघा बॉर्डर से होते हुए जाता है. लिहाजा ये काम पाक सरकार की अनुमति के बिना नहीं हो सकता था. बीती 22 नवंबर को ये मौका आया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार भारत को अपनी ज़मीन के ज़रिए पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान को 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजने की इजाज़त देगी. गेहूं के अलावा भारत अफ़ग़ानिस्तान को कोरोना वायरस के टीके भी उपलब्ध कराएगा. वहीं, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को गेहूं, आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति, और बाक़ी चीज़ों के लिए 5 अरब रुपये की मानवीय सहायता तत्काल मुहैया कराने की बात कही है. भारत द्वारा अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय मदद पहुंचाने का इतिहास काफ़ी पुराना है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ पिछले एक दशक में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान को 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं मुहैया कराया है. पिछले साल भी भारत ने 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं देकर अफ़ग़ानिस्तान की सहायता की थी. ये जानकारी भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सितंबर 2021 में अफगानिस्तान के सियासी संकट पर हुई संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक में दी थी. भारत ने पाकिस्तान को MFN की लिस्ट से हटाया भारत और पाकिस्तान के रिश्तों इस समय ऐसे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान से चीजें पाकिस्तान के रास्ते भारत आ तो सकती हैं, लेकिन यहां से अफ़ग़ानिस्तान जा नहीं सकतीं. इसका भी अपना एक इतिहास है. अगस्त 2019 में भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को पाकिस्तान ने रद्द कर दिया था. भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर से जुड़ी धारा 370 के कुछ संवैधानिक प्रावधानों को रद्द किए जाने की वजह से पाकिस्तान ने ये फ़ैसला लिया था. उसने भारत के इस कदम को अवैध करार दिया था. इससे कुछ महीने पीछे चल कर देखें तो भारत ने भी कुछ ऐसा किया था जिससे पाकिस्तान और भारत के व्यापार को बड़ा झटका लगा था. बात है साल 2019 की, पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से आने वाले सामान पर 200 प्रतिशत टैक्स लगा दिया था. इसके साथ ही उसने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा भी रद्द कर दिया था. क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन? MFN का दर्जा वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन यानी कि WTO के टैरिफ और ट्रेड पर जनरल अग्रीमेंट के तहत निर्भर करता है. भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस समझौते का हिस्सा हैं. इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश एक-दूसरे और विश्व व्यापार संगठन के बाकी सदस्य देशों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते. साथ ही किसी भी देश के आयात-निर्यात में अलग-अलग टैक्स या टैरिफ़ नहीं हो सकता. भारत ने यही दर्ज़ा पाकिस्तान से छीन लिया और 200 प्रतिशत टैक्स लगा दिया था. 31 मार्च 2021 को पाकिस्तान ने भारत से इंपोर्ट होने वाले कॉटन और गन्ने पर से बैन हटाया था. बाक़ी सारे चीज़ों पर बैन जारी रहा. ये कदम पाकिस्तान ने इस वजह से उठाया था क्योंकि पाकिस्तान इन दोनों चीजों पर भारत पर काफ़ी हद तक निर्भर था. भारत को भी पाकिस्तान से व्यापार बंद होने की वजह से काफ़ी नुक़सान हुआ था. पाकिस्तान से भारत आने वाली चीजों से भारत को 3700 करोड़ रुपये से ज्यादा का फ़ायदा 2018-19 में हुआ था जो कि 2020-21 में घटकर महज़ 15 करोड़ रुपये पर सिमट गया था. पाकिस्तान ने कैसे दी भारत को इजाज़त? तो फिर ऐसा क्या हुआ कि इतने प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान की मदद के लिए भारत को इजाज़त दे दी. दरअसल, पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान की सहायता के लिए इंटर-मिनिस्ट्रियल कोऑर्डिनेशन सेल (AICC) का गठन किया है. इस कमेटी की एक बैठक का आयोजन कर के इमरान खान ने अफगानिस्तान के समर्थन के लिए ये विशेष कदम उठाया था. साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी सामूहिक जिम्मेदारी के बारे में याद दिलाया था. जहां तक भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों का सवाल है, वो ज्यों के त्यों हैं. मतलब पाकिस्तान से भारत चीजें आ सकती हैं लेकिन पाकिस्तान नहीं जा सकतीं, सिवाय कॉटन और गन्ने के.

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