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भारत के पास पाकिस्तान से ज्यादा न्यूक्लियर वॉरहेड? एयरक्राफ्ट में भरकर तुर्की से असलहा-बारूद रावलपिंडी पहुंचने का सच

Pahalgam Attack के बाद बढ़े तनाव के बीच एक खबर आई है कि India ने करीब दो दशक बाद Nuclear Warhead के मामले में पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है. उधर तुर्की ने सोशल मीडिया में वायरल हो रही उन ख़बरों को गलत बताया है, जिसमें दावा किया गया था कि एयर क्राफ्ट में भरकर हथियार और गोला-बारूद तुर्की से पाकिस्तान भेजे गए हैं.

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परमाणु क्षमता में भारत पाक से आगे निकल गया है (PHOTO-India Today)
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मानस राज
29 अप्रैल 2025 (Updated: 5 मई 2025, 11:34 AM IST) कॉमेंट्स
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पहलगाम (Pahalgam Attack) में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. 29 अप्रैल की सुबह खबर आई कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर फिर से फायरिंग की है. पाकिस्तान के कई वर्तमान और पूर्व मंत्री लगातार धमकी दे रहे हैं कि अगर भारत ने कोई कड़ा कदम उठाया तो पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा. और तो और भारत को न्यूक्लियर वॉर (Nuclear War) की धमकी भी दे रहे हैं. लेकिन क्या पाकिस्तान वाकई में इस काबिल है कि वो परमाणु क्षमता में भारत को टक्कर दे सके? 

परमाणु क्षमता

परमाणु युद्ध के अलावा भारत, पाकिस्तान से हर तरह की लड़ाई लड़ चुका है. 1948, 1965, 1971 और 1999. इन चारों जंग में भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी है. भारत ने हर बार संयम से काम लिया है. चाहे किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, भारत ने कभी भी परमाणु युद्ध की धमकी नहीं दी. अगर न्यूक्लियर हथियारों (न्यूक्लियर वॉरहेड) की संख्या को देखें तो पाकिस्तान हमेशा भारत से आगे रहा है. वॉरहेड की संख्या में हमेशा पाकिस्तान को बढ़त रही है. 

लेकिन पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच एक खबर आई है कि भारत ने करीब दो दशक बाद वॉरहेड के मामले में पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स नाम की संस्था की ओर से जारी हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के पास जहां 170 वॉरहेड्स हैं, वहीं भारत के पास 180 वॉरहेड्स हैं.

nuclear warheads india vs pak
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स द्वारा जारी संख्या (PHOTO-FAS)

इस बदलाव का अनुमान 2024 की स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) रिपोर्ट में लगाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के पास लगभग 172 परमाणु हथियार हैं जबकि पाकिस्तान के 170. दो दशकों में ये पहली बार था जब भारत ने पाकिस्तान को मामूली अंतर से पीछे छोड़ा था. भारत की परमाणु यात्रा 1974 में शुरू हुई, जब उसने पोखरण में अपना पहला परीक्षण किया. भारत तब परमाणु क्षमता का प्रदर्शन करने वाला दुनिया का छठा देश बन गया था. पाकिस्तान ने इसके कई सालों बाद 1998 में अपने न्यूक्लियर वेपन टेस्ट किए. इससे दोनों देश एक परमाणु प्रतिस्पर्धा में फंस गए. पिछले दो दशकों में, पाकिस्तान ने भारत की परमाणु ताकत के साथ बैलेंस बनाने के लिए कई टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार बनाए. इससे उसने कई सालों तक थोड़ी ही सही पर संख्या के मामले में बढ़त बनाए रखी.   

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने परमाणु आधुनिकीकरण अभियान, खास तौर पर 2025 की शुरुआत में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल्स (MIRVs) से लैस अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण किया था. MIRV एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक मिसाइल को कई लक्ष्यों पर हमला करने के लिए बनाया जाता है. ये भारत की क्षमता में एक बड़ी छलांग थी. न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन के लिए भी स्थिति को मुश्किल बनाती है. भारत और पाकिस्तान दोनों अब MIRV क्षमताओं को विकसित करने की होड़ में हैं. इससे उनकी परमाणु हथियारों की होड़ में एक नया चैप्टर शुरू हो रहा है.

2025-26 में भारत का रक्षा बजट बढ़कर लगभग 79 बिलियन डॉलर हो चुका है. 2024 की तुलना में इसमें  लगभग 10% की वृद्धि देखने को मिली है. इसके उलट, पाकिस्तान का बजट मात्र 8 बिलियन डॉलर के आसपास है. कुलजमा बात ये है कि भारत अपनी सेना पर पाकिस्तान से लगभग दस गुना अधिक खर्च कर रहा है. साथ ही भारत ने राफेल फाइटर जेट्स, एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और अपनी सेना, नौसेना और वायु सेना का आधुनिकीकरण भी किया है. उधर पाकिस्तान एक बड़ी सेना और परमाणु क्षमता के भारी बोझ से दबा हुआ है. 

तुर्किए ने मना कर दिया

भारत से टेंशन के बीच खबरें आईं कि तुर्किए ने हथियारों से लदे 6 विमान पाकिस्तान की मदद के लिए भेजे हैं. लेकिन तुर्किए ने 29 अप्रैल को इन दावों का खंडन कर दिया. तुर्किए के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा तुर्किए वायु सेना का एक ट्रांसपोर्ट विमान अपने निर्धारित रूट पर आगे बढ़ने से पहले केवल फ्यूल भरने के लिए पाकिस्तान में उतरा था. इसके बाद विमान ने निर्धारित रूट पर अपनी उड़ान जारी रखी.

पहले इस्तेमाल नहीं

भारत की परमाणु नीति ‘पहले इस्तेमाल न करने’ यानी No First Use की नीति पर केंद्रित है. लेकिन बीते कुछ सालों में इस पॉलिसी में लचीलापन देखने को मिला है. कई वरिष्ठ भारतीय नेताओं ने संकेत दिया है कि एक बड़ा आतंकवादी हमला परमाणु रिस्पॉन्स के रास्ते खोल सकता है. खासकर अगर भारत पर रासायनिक या जैविक हथियारों से हमला हुआ. इस बीच भारत के पास पूरी तरह से सक्रिय न्यूक्लियर ट्रायड है.यानी भारत उन देशों में शामिल है जो जमीन, समंदर और हवा; तीनों तरफ से परमाणु हमला करने की क्षमता रखते हैं. अग्नि-V और आगामी अग्नि-VI जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि चीनी शहरों को रेंज में लाने के लिए डिजाइन की गई हैं.

कुलजमा बात ये है कि बीते कुछ सालों में भारत ने परमाणु शक्ति के मामले में काफी तरक्की की है. भारत ‘No First Use’ पॉलिसी को मानता तो है, लेकिन समय के साथ इसमें लचीलापन देखने को मिल सकता है. हालांकि भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) जैसी जगहों पर सक्रिय रूप से भाग लेता है. साथ ही और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में भी सदस्यता चाहता है. न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप, परमाणु हथियारों के नियंत्रण को लेकर हुई Nuclear Non-Proliferation Treaty (NPT) और Comprehensive Test Ban Treaty (CTBT) से बाहर है. 

(यह भी पढ़ें: पाकिस्तान से टेंशन के बीच भारत का नया इक्का, न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम राफेल-एम की डील फाइनल)

वीडियो: दुनियादारी: भारत-पाक में जंग छिड़ी तो कौन किसकी तरफ़ होगा?

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