The Lallantop
Advertisement

कनाडा और खालिस्तानियों पर भारत ने कौन सा खुलासा कर दिया?

दोनों देशों के बीच का तनाव अपने चरम पर पहुंच रहा है, लेकिन ये अब बस दो देशों का तनाव नहीं रह गया है, इसमें वैश्विक राजनीति शामिल हो गई है. अमरीका जैसे देश शामिल हो गए हैं. नागरिक हैं, जिनको जल्द मामले का निस्तारण चाहिए. आतंकी हैं, जिन्हें जल्द इलाज चाहिए.

Advertisement
india_vs_canada
भारत-कनाडा के बीच चल रहे विवाद के बीच आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
pic
सिद्धांत मोहन
25 सितंबर 2023 (Published: 10:30 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

कैसे भारत और कनाडा ने एक दूसरे को कई जानकारियां सौंपने के दावे किए और ये  भी दावा जोड़ दिया कि सामने वाले देश ने हमारी जानकारी पर एक्शन नहीं लिया. फिर इसी आरोप-प्रत्यारोप के बीच आते हैं NIA के खुलासे, आतंकियों को लेकर किए जा रहे खुलासे, कनाडा की गंदी राजनीति और फिर आता है भारत सरकार का एक्शन.

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर. 18 जून 2023 को इसका मर्डर हुआ. जांच के बाद कनाडा ने हत्या का ठीकरा भारत सरकार की खुफिया एजेंसियों पर फोड़ दिया. इतना तो आपको पता होगा. लेकिन ये विवाद अब एक कदम आगे चला गया है. अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 24 सितंबर को एक खबर छापी. खबर बताती है कि कनाडा ने ये जो इंडिया पर आरोप लगाया था, उसके लिए जरूरी जांच अमरीका ने की थी. साथ ही कनाडा को भी कुछ सबूत मिले थे. इसके बाद कनाडा ने इन जानकारियों को आधार बनाया. और भारत सरकार पर इल्ज़ाम लगाए.

जांच से निकली जानकारी दो देशों के बीच कैसे सर्कुलेट हुईं? फाइव आइज़ नाम के खुफिया सूचना ग्रिड के जरिए. इस ग्रिड में अमरीका, कनाडा, यूके, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया हैं. इन देशों की जांच एजेंसियां एक दूसरे के साथ मिलकर काम करती हैं.

दरअसल निज्जर के मर्डर के बाद कनाडा ने जांच शुरु की. न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, अमरीका की खुफिया एजेंसियों ने कनाडा को मदद देने की पेशकश की थी. कनाडा ने अमरीका की पेशकश को स्वीकार कर लिया था. साझा जांच शुरु हुई. जांच के बाद कनाडा को भारत पर आरोप लगाने के कारण मिले.

इसके बाद जब कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया था, तो अमरीका ने भी कनाडा की साइड पकड़ ली थी. अमरीका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकन ने भी भारत को सलाह दी थी कि वो निज्जर के मर्डर में कनाडा का सहयोग करे. खबर की मानें तो अमरीका सीधा भारत पर कोई आरोप लगाकर कोई झगड़ा मोल नहीं लेना चाहता, इसलिए उसने बस जांच में सहयोग देने का आग्रह किया.

ये खबर आज देश के बड़े अखबारों में छपी. लेकिन एक और खबर है, इसी खबर से जुड़ी हुई. इसी खालिस्तान के कनाडा स्वरूप से जुड़ी हुई. और इस चैप्टर को देखें तो इस पूरे मामले में कनाडा का रोल और सवालों के घेरे में आ जाता है. साल 2016 की बात है. Economic Times की एक खबर बताती है कि इस साल भारत सरकार ने हरदीप निज्जर के बारे में बहुत सारी सूचनाएं कनाडा की सरकार को दी थी. इन सूचनाओं में उन वीडियो का पुलिंदा भी था, जिनमें कई खालिस्तान समर्थक कनाडा की जमीन पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे थे. भारत सरकार का कहना था कि इस तरह के ट्रेनिंग कैंप को आयोजित करने में हरदीप निज्जर का हाथ है. और ये अधिकतर कैंप ब्रिटिश कोलम्बिया की पहाड़ियों में चलाए जा रहे थे. लेकिन कनाडा की एजेंसियों ने कोई कदम नहीं उठाया. क्यों नहीं उठाया?

इसका जवाब मिलता है हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर से. कनाडा की एजेंसियों ने क्यों कार्रवाई नहीं की? क्योंकि उस समय कनाडा और भारत के बीच इन्टेलिजन्स शेयर करने को लेकर कोई तंत्र मौजूद नहीं था, और साथ ही भारत ने जो इन्टेलिजन्स सौंपी थी, वो सूचना भर थे, सबूत नहीं. यानी भारत ने जो खुफिया जानकारी कनाडा के साथ शेयर की थी, कनाडा ने उसकी बिना पर एक्शन लेने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि  कनाडा को वो सूचनाएं सबूत नहीं लग रही थीं.

अब यहां पर एक महीन लाइन समझ लीजिए. भारत सरकार ने जो सूचनाएं दी हैं, उनके मुताबिक निज्जर एक खालिस्तानी आतंकी था. उसकी ऑटोमैटिक राइफल लिए फोटो वायरल होती है. लेकिन कनाडा का कहना है कि निज्जर एक धार्मिक गुरु था और कनाडा का निवासी था. सूचना बनाम सबूत. हालांकि इसमें पॉलिटिक्स भी चल रही है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे.

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बाद के सालों में कनाडा सरकार के साथ एक डोज़ियर भी शेयर किया था. इस डोज़ियर में कुछ आतंकियों और कुछ संगठनों का नाम शामिल था. ये सब कनाडा में एक्टिव रहे हैं और इनका प्रमुख एजेंडा है खालिस्तान एजेंडा को जिंदा रखना. तो इस डोज़ियर में कौन-कौन से नाम प्रमुखता से आते हैं? सबसे पहले संगठन के नाम  :
 

इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF)
खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF)

ये तो संगठन के नाम हो गए. किन-किन लोगों के नाम लिए गए थे?

गुरजीत सिंह चीमा
गुरजिन्दर सिंह पन्नू
गुरप्रीत सिंह बराड़

ये तीनों ही लोग किसी न किसी रूप में ISYF या KLF से जुड़े हुए थे. इनका मुख्य काम था पैसे जुटाना और हथियार जुटाना. ये सारे नाम और काम भारतीय एजेंसियों ने कनाडा को सौंपे थे, लेकिन कनाडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.

लेकिन इस इंटेल शेयरिंग पर जब बात हो रही है, तो साथ ही NIA की कार्रवाई और उसके द्वारा किये गए खुलासों की भी बात हो रही है. पहले NIA की कार्रवाई की बात करते हैं. NIA ने बीते हफ्ते कनाडा में एक्टिव कई ऐसे लोगों ने नाम-फोटो शेयर किए, जिनका नाम इन हाल-फिलहाल की हिंसाओं में आता रहा है. 40 से ज्यादा लोगों की लिस्ट सामने रखकर NIA ने गुहार लगाई कि अगर इनकी संपत्ति की जानकारी हो, तो बताइए. फिर अगली खबर आई 23 सितंबर को. इस दिन NIA ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के पंजाब स्थित घर और दूसरी संपत्तियों को जब्त कर लिया. इस संपत्ति में खेती योग्य भूमि भी शामिल है. NIA ने पन्नू के घर के चंडीगढ़ वाले घर को जब्त करने के बाद बाहर जब्ती का नोटिस भी लगा दिया. इस नोटिस की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं.

इसके साथ ही NIA के खुलासे सामने आ रहे हैं. खुलासे हैं लगभग 6 महीने पहले दायर की गई चार्जशीट की डीटेल में. दरअसल मार्च 2023 में NIA ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के आतंकी कनेक्शन की जांच करते हुए एक चार्जशीट दायर की थी. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में. चार्जशीट दायर करने के कुछ दिनों में ये खबर आई कि NIA ने बिश्नोई और उसके सहयोगियों के खालिस्तान मूवमेंट से लिंक तलाशे थे. साथ ही उनके नेक्सस में पाकिस्तान का हाथ होने की भी खबर आई थी. इसके बाद कुछ दिनों तक इस चार्जशीट से जुड़ी कुछ खास जानकारियां सामने नहीं आ सकीं.

फिर आया सितंबर का महीना. इस महीने में कनाडा-भारत के संबंध तल्ख हुए. इंडिया टुडे ने इस चार्जशीट के कुछ और हिस्से तलाशे. इन हिस्सों के सामने आने के बाद पता चला कि कनाडा में बस खालिस्तान मूवमेंट नहीं चल रहा है, या इससे जुड़े लोग वहां पनाह-नागरिकता ही नहीं पा रहे हैं. खालिस्तान समर्थक और आतंकी कनाडा में निवेश भी कर रहे हैं. टूर्नामेंट करवा रहे हैं, जहाज-नाव खरीद रहे हैं, सिनेमा इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं, फिल्म मेकिंग में पैसे लगा रहे हैं.

इसके साथ ही इस चार्जशीट में 2019 से 2021 के बीच के ऐसे 13 मौके गिनाए गए हैं, जब हवाला के जरिए भारत से कनाडा और थाईलैंड पैसे पहुंचाए गए. कितने पैसे पहुंचाए गए? 5 लाख से 60 लाख के बीच. NIA ने कहा था कि इस पूरे ऑपरेशन को चलाने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने. सारे पैसों को इधर से उधर करने में लॉरेंस बिश्नोई ने ही दिमाग लगाया था.

और ऐसा करने में बिश्नोई को साथ मिला था बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लखबीर सिंह लंडा का. फिर NIA ने बताया है कि पैसे कैसे इधर से उधर किये जाते थे?
ये पैसे रंगदारी, उगाही, शराब और हथियारों की स्मगलिंग से जुटाए जाते थे. फिर इन्हें कनाडा में दो लोगों के पास भेजा जाता था -
- सतविन्दरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़
- सतबीर सिंह उर्फ सैम

मकसद साफ होता था कि खालिस्तान समर्थन की गतिविधियों को बढ़ावा देना. लेकिन ऐसा तो नहीं होता था कि पैसे की गड्डियाँ लेकर घूमी जा रही हों, इन्हें किसी न किसी रूप में लगाया जाता था. NIA के मुताबिक, इसमें दिमाग लगाता था सतबीर सैम.

ये तो कनाडा का रूट हो गया. अब थाईलैंड में इस मनी लॉन्ड्रींग में कौन शामिल होता था? यहां पर नाम आता है मनीष भंडारी का. तमाम तरीकों से उगाहे गए पैसों को लॉरेंस बिश्नोई गैंगस्टर वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा, उसके पिता जोगिंदर सिंह, और राजू बसोड़ी को दे देता था. ये लोग हवाला के जरिए पैसों को थाईलैंड में मनीष भंडारी को दे देते थे. बिश्नोई गैंग का कोई भी बंदा थाईलैंड जाता, तो भंडारी उसके रहने और आने-जाने की व्यवस्था कर देता था.  

यानी एक बात साफ है कि लॉरेंस बिश्नोई इस पूरे खेल के केंद्र में मौजूद था. लेकिन NIA के हवाले से अभी तक ये जानकारी सामने नहीं आ पा रही है कि कनाडा में पल रहे खालिस्तानी आतंकियों को भी यही चैनल पैसे मुहैया करा रहा था? या इस चैनल को लेकर एजेंसी की जांच कहां तक पहुंची है? और तो और ... लॉरेंस बिश्नोई ने कितने जुर्म कुबूले हैं? उसका क्या रोल था?

लेकिन बाहर के बड़े-बड़े गुंडों-आतंकियों के संपर्क में लॉरेंस बिश्नोई आया कैसे? इसका जवाब NIA ने कुछ इस तरह दिया है कि बब्बर खालसा के वाधवा सिंह और हरविंदर सिंह रिंदा खुद पाकिस्तान में बैठे हुए थे, और इनको इंडिया में शूटर चाहिए थे. इनको मदद पहुंचाई लॉरेंस ने, जिसके पहले से ही पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, दिल्ली,  यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात, महराष्ट्र, बिहार और झारखंड में तार फैले हुए थे. और ऐसे कनेक्शन बन गया.

ऐसे में एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न उठता है. वो कितनी बड़ी संख्या है जो कनाडा में रहकर ऑपरैट कर रही है. और भारतीय एजेंसियां उनकी धरपकड़ के लिए हाथ-पैर मार रही हैं. कुछ लोगों के नाम तो हम और आप मौके-मौके पर सुनते ही रहते हैं. गोल्डी बराड़, अर्शदीप डाला, लखबीर लंडा... सूत्रों के हवालों से छप रही खबरों की मानें तो कनाडा में ऐसे लगभग दो दर्जन से ज्यादा लोग हैं, जिनके बारे में भारत सरकार का ये मानना है कि कनाडा सरकार को इन्हें प्राथमिकता पर अरेस्ट करना चाहिए.

कनाडा की सरकार अरेस्ट क्यों नहीं कर रही है? क्या पॉलिटिकल गेम चल रहा है? इसके लिए आपको एक नाम  फिर से रीकॉल करना होगा. जगमीत सिंह धालीवाल. वो वहां की  न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP)से सांसद हैं और मुखर रूप से खालिस्तान के सपोर्टर भी. और यही नहीं, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के ज्यादा करीब हैं. कई खबरों में तो यहां तक लिखा गया है कि खालिस्तान समर्थकों और आतंकियों को जिस तरह कनाडा की सरकार हाल ही में अपना निर्दोष-नागरिक करार देने लगी है, उसके पीछे ट्रूडो और धालीवाल की सांठगांठ का बड़ा रोल है. तो कौन हैं ये धालीवाल? आइए जानते हैं. उनके माता-पिता पंजाब से कनाडा गए थे. जगमीत ने बायोलॉजी और लॉ की पढ़ाई की. पॉलिटिक्स में आने से पहले वो क्रिमिनल लॉयर थे. 2011 से पॉलिटिक्स में आए. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP)से जुड़ गए.

2017 में जगमीत पार्टी के मुखिया बने. तब तक खालिस्तानी कनेक्शन सामने नहीं आया था. पार्टी लीडर बनने के बाद जगमीत ने अपना असली रंग दिखाना शुरू किया. खालिस्तानी आतंकियों का बचाव करने लगे. इसी वजह से 2013 में भारत ने जगमीत को वीजा देने से मना कर दिया था. फिर आया 2021. कनाडा में प्रधानमंत्री वाला चुनाव हुआ. NDP के खाते में 25 सीटें आईं. पार्टी चौथे नंबर पर थी. लेकिन पहले नंबर पर रही ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास भी बहुमत नहीं था. तब जगमीत ने समर्थन दिया. सरकार बनी और अब तक उसी के समर्थन से टिकी हुई है. कहा जाता है कि इसी वजह से ट्रूडो सरकार खालिस्तान के मुद्दे पर सख्ती बरतने से हिचकती है. जब ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया, तब जगमीत ट्रूडो के सपोर्ट में सबसे आगे थे. सपोर्ट में दूसरे नंबर पर रहने वाले का नाम था  - गुरपतवंत सिंह पन्नू. वही पन्नू, जो अपनी संपत्ति NIA के हाथ गंवा बैठा.

ऐसे में एक बात कनाडा में खासकर हो रही है. ट्रूडो अपने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि भारत का नाम दरअसल जानबूझकर लाया जा रहा है, जबकि असली मामला है वहां ऑपरैट कर रहे लोगों के आपसी झगड़े का.

अब कनाडा में इतना हो रहा है, तो सवाल उठ रहे हैं कि भारत में क्या हो रहा है? और भारत में क्या होगा? जानकारों की मानें तो कनाडा में पनाह लिए खालिस्तानी आतंकियों की प्रॉपर्टी और निवेशों की जांच-शिनाख्त की जा रही है, ताकि पैसे के फ़्लो को तोड़ा जा सके.  वहीं उन्हें भारत में एंट्री से रोका जाएगा, ऐसी भी खबरें चलने लगी हैं. जी हां. भारत ने कुछ दिनों पहले कनाडाई मूल के व्यक्तियों के लिए हर तरह की वीज़ा सर्विस बंद कर दी थी. अब खबर उड़ने लगी है कि भारत सरकार उन लोगों के OCI रजिस्ट्रेशन को भी कैन्सल करने वाली है, जो खालिस्तान समर्थक या भारतविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. OCI मतलब  Overseas Citizenship of India. भारत के वो लोग जिन्होंने विदेश की नागरिकता ले ली है. ऐसे लोग अगर OCI कार्ड बनवा लें, तो उन्हें कई तरह की छूट मिल जाती है, चाहे उनका पासपोर्ट भारत का न हो. ये रजिस्ट्रेशन कैन्सल हो सकता है, ऐसी बात की जा रही है.

यानी दोनों देशों के बीच का तनाव अपने चरम पर पहुंच रहा है, लेकिन ये अब बस दो देशों का तनाव नहीं रह गया है, इसमें वैश्विक राजनीति शामिल हो गई है. अमरीका जैसे देश शामिल हो गए हैं. नागरिक हैं, जिनको जल्द मामले का निस्तारण चाहिए. आतंकी हैं, जिन्हें जल्द इलाज चाहिए.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement