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जस्टिस यूयू ललित बने नए CJI, जानिए सुप्रीम कोर्ट के जज कैसे बनते हैं?

देश की लोवर कोर्ट्स, हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति कैसे की जाती है?

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CJI
बाएं से दाहिने. CJI UU Lalit और पूर्व CJI NV Ramana
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आस्था राठौर
27 अगस्त 2022 (Updated: 27 अगस्त 2022, 12:27 PM IST)
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जस्टिस यूयू ललित भारत के 49वें चीफ जस्टिस बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलवाई. जब भी नए Chief Justice of India (CJI) नियुक्त होते हैं, लोग उनके बारे में जानने के लिए गूगल पर टूट पड़ते हैं. इनमें से एक सवाल ये भी होता है कि आखिर देश की शीर्ष अदालत के सबसे बड़े पद पर कैसे पहुंचा जाता है? ये सफ़र कितना लम्बा और कठिन होता है? लेकिन CJI बनने से पहले आपको बनना होगा सुप्रीम कोर्ट का जज. तो आज ये भी जानेंगे कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का जज बनते कैसे हैं?

सबसे पहले पढ़नी पड़ेगी वकालत! 

जज बनने के लिए सबसे पहला और जरूरी कदम है वकालत की पढ़ाई. LLB भी कहते हैं. आपने वकीलों के विजिटिंग कार्ड्स और बोर्ड्स पर पढ़ा होगा... “Adv XYZ, BA LLB” या “MA LLB”. 

कभी सोचा है नाम के साथ अकेला LLB लिखा क्यों नहीं दिखता? ऐसा इसीलिए, क्योंकि LLB हो भले ही बैचलर डिग्री, पर इसे करने के लिए भी बैचलर डिग्री होना यानी ग्रेजुएशन पूरा करना होता है. हालांकि 12वीं पास करने के बाद भी लॉ किया जा सकता है. ऐसे इंटीग्रेटेड कोर्सेज होते हैं जिनमें 5 साल में अंडरग्रेजुएशन डिग्री और LLB साथ में लिए जा सकते हैं. छात्र अमूमन ऐसा इसीलिए करते हैं ताकि एक साल बचा सकें. लेकिन ये तय है कि जुडिशरी के एग्जाम देने के लिए LLB होना आवश्यक है.

सांकेतिक तस्वीर - लॉ पढ़ना है जरूरी (फाइल फोटो)
अब बात लोअर जुडिशरी की

जुडिशरी में प्रवेश यानी न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया शुरू होती है लोअर जुडिशल परीक्षाओं से. इन्हें LJS/LJSE भी बोला जाता है.

-इन exams को लिखने के लिए, आपकी उम्र होनी चाहिए कम से कम 21 साल और ज्यादा से ज्यादा 35. आरक्षण वाले छात्रों को एज लिमिट मे राहत मिलती है. 

-इसके अलावा लॉ की डिग्री होना तो अनिवार्य है ही. 

-चूंकि हर राज्य अपनी अलग जुडिशल सर्विसेज की परीक्षाएं कराता है. इसीलिए, अभ्यर्थियों की एज लिमिट राज्य नियमों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है. 

-आवेदक का ऐडवोकेट यानी वकील होना भी अनिवार्य है. लेकिन ऐसा हर राज्य में नहीं है. ऐडवोकेट होने का मतलब ये कि वह बार काउंसिल में रजिस्टर्ड होना चाहिए. बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए भी एक एग्जाम देना होता है. हर राज्य की अपनी अलग बार काउंसिल होती हैं, जहां एक लॉ ग्रेजुएट को रजिस्टर करवाना होता है. कई राज्यों में जज बनने के लिए केवल लॉ डिग्री का होना ही पर्याप्त है – बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं. 

-राज्य के बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाते ही, Bar Council of India, आल इंडिया बार एग्जामिनेशन करवाती है. इसे क्लियर करते ही एक लॉ ग्रेजुएट (लॉयर), ऐडवोकेट हो जाता है. क्योंकि उसे लॉ प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिल जाता है. 

-ये परीक्षा राज्य लोक सेवा आयोग या उच्च न्यायालय संचालित करता है. 

-इसके तीन चरण होते हैं – प्री, मेन्स और इंटरव्यू यानी साक्षात्कार.

-एग्जाम कंडक्ट करने वाले कमीशन की वेबसाइट से आवेदकों को हर ज़रूरी जानकारी मिल जाती है. मसलन योग्यता का पैमाना, सिलेबस और एग्जाम पैटर्न . 

-ये परीक्षा पास करते ही, आप मजिस्ट्रेट सेकंड क्लास (क्रिमिनल) या सिविल जज (सिविल) के तौर पर काम करना शुरू करते हैं. एक अभ्यर्थी क्रिमिनल जज नियुक्त होता है या सिविल जज, ये फैसला कमीशन लेती है. हालांकि, हर तीन साल में उस जज की परफॉरमेंस का आंकलन होता है. जिसके बाद उसे सिविल से क्रिमिनल या क्रिमिनल से सिविल जज भी बनाया जाता है.

-न्यायतंत्र की व्यवस्था या हायरार्की हर राज्य में अलग होती है. लोअर जुडिशरी की हायरार्की कुछ इस तरह है:

लोअर जुडिशरी हायरार्की
हायर जुडिशरी सर्विसेज 

-हायर जुडिशल परीक्षा देने के लिए, दो क्राइटेरिया हैं – पहला, आपकी उम्र 35 साल या उससे ज्यादा होनी चाहिए. दूसरा, बतौर वकील आपकी 7 साल की प्रैक्टिस होनी चाहिए. 

-एग्जाम क्लियर करने के बाद लगभग हर राज्य में, कैंडिडेट सीधा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज बनता है. जो क्रिमिनल और सिविल, दोनों तरह के केसेज़ का फैसला सुनाता है. किसी भी राज्य में ये जज, अलग अलग डिस्ट्रिक्ट अदालतों में फैसला सुनाने जाते हैं.  

सांकेतिक तस्वीर - साकेत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, दिल्ली (सोर्स: पीटीआई)

-इन जजों का के भी काम का आंकलन किया जाता है. 

-आपको जानकर हैरानी होगी कि इस लेवल पर भी जज को demote किया जा सकता है. डीमोट करने का अर्थ होता है, प्रमोशन का बिल्कुल उलट. यानी पद घटा देना.

- एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज के बाद अगला बड़ा पद होता है डिस्ट्रिक्ट जज का. और यहां तक पहुंचने के बाद आती है बड़ी परीक्षा – हाई कोर्ट की.

हाई कोर्ट के जज कैसे बनते हैं?

भारतीय जुडिशरी में उच्च अदालतों में रिक्रूटमेंट दो तरह से होता है. एक लोअर जुडिशरी से और दूसरा, हायर जुडिशल सर्विसेज से. हायर जुडिशल सर्विसेज से हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट पहुंचना बेहतर विकल्प माना जाता है. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे ऊंचे पदों पर पहुंचने के आसार ज्यादा होते हैं. 

अब सवाल ये कि डिस्ट्रिक्ट जज हाई कोर्ट जज कैसे बनते हैं? इसके दो तरीके हैं. पहला हाई कोर्ट में 75% रिक्रूटमेंट होता है प्रमोशन से और 25% होता हैं डायरेक्ट रिक्रूटमेंट से. पहले बात प्रमोशन की. ये 75% जो प्रमोट होकर, हाई कोर्ट जाते हैं जरूरी नहीं की वे डिस्ट्रिक्ट जज ही हों. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज भी प्रमोशन के जरिए हाई कोर्ट पहुंचते हैं. 

अब बात करते हैं बाकी 25% की – जो डायरेक्टली रिक्रूट किए जाते हैं. उनके लिए क्या कंडीशंस होती हैं:

- अगर एक व्यक्ति ने 10 साल के लिए एक जुडिशल ऑफिस में काम किया हो. 

सांकेतिक तस्वीर - केरल हाई कोर्ट (सोर्स: पीटीआई)

- हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. (अनुच्छेद 214-217)

- हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति CJI और राज्य के गवर्नर की सलाह पर होती हैं.

- बाकी जजों की नियुक्ति के लिए CJI, सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे सीनियर जजों की सलाह लेते हैं. इसके बाद, चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, राष्ट्रपति को वो नाम भेजते हैं. 

हाई कोर्ट के जज की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल होती है. इस एज लिमिट के सन्दर्भ में कोई भी फैसला भारत के राष्ट्रपति, CJI की सलाह से करते हैं और राष्ट्रपति का निर्णय फाइनल होता है. 

सुप्रीम कोर्ट के जज बनने का तरीका

अब आते हैं सुप्रीम के जज बनने पर. भारत के सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति देश के राष्ट्रपति करते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की उम्र होने पर सेवानिवृत्त माने रिटायर हो जाते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए और कम से कम पांच साल के लिए, एक उच्च न्यायालय या दो या दो से अधिक उच्च न्यायालयों का न्यायाधीश होना चाहिए. या एक वकील के तौर कम से कम 10 वर्षों के लिए एक उच्च न्यायालय या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों के एक प्रतिष्ठित जूरिस्ट यानी वकील होना चाहिए.

अब एक नज़र चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की नियुक्ति पर. आमतौर पर, रिटायर होने वाले सीजेआई ये फैसला लेते हैं की किसे अगला CJI बनाया जाए. 1970 के दशक से, CJI का चयन सीनियॉरिटी के आधार पर होता आ रहा है.

शीर्ष अदालत के बाकी जजों की नियुक्तीं के लिए, CJI प्रपोजल से शुरुआत करते हैं. इसके बाद CJI, कॉलेजियम की सलाह लेते हैं. इसके अलावा, अगर हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति की जा रही है, उसके सीनियर जजों की सलाह भी ली जाती है. 

आखिर में आपके लिए दिलचस्प ट्रिविया. जस्टिस यूयू ललित को सीजेआई एनवी रमना की सिफारिश पर नियुक्त किया गया है, जो 26 अगस्त को रिटायर हो गए. जस्टिस ललित का मुख्य न्यायाधीश के रूप में 74 दिनों का कार्यकाल होगा, और 8 नवंबर को वो सेवानिवृत्त होंगे. ऐसा इसीलिए क्योंकि वे नवम्बर 9 को 65 साल के हो जाएंगे.

जस्टिस ललित को अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. वह जस्टिस एसएम सीकरी के बाद, दूसरे ऐसे मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्हें बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए. जस्टिस एसएम सीकरी, 1971 में देश के 13वें सीजेआई बने थे.

पटना वालों से जानिए वकील तारीख पर तारीख क्यों दिलवाते हैं?

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