26 जनवरी, 1950 एक ऐतिहासिक दिन. भारत का पहला गणतंत्र दिवस. इस दिन दिल्ली में बड़ेजश्न की तैयारी थी. पूरा देश ये जश्न देखने को आतुर था. दिल्ली से सटे उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब सहित कई सूबों के लोग रेल गाड़ियों, बसों मेंभर-भरकर दिल्ली पहुंच रहे थे. कुछ ऐसे भी थे जो लोकतंत्र का ये जश्न देखने के लिएचार दिन पहले पैदल ही घर से निकल पड़े थे. दिल्ली में भीड़ इतनी कि रायसीना हिल सेलेकर इरविन स्टेडियम तक केवल सिर ही सिर नजर आ रहे थे. लाखों लोग कतार में खड़े थे.पैर रखने की जगह नहीं, जो जहां टिक पाया टिक गया, घरों की छतें, पेड़, दुकानें सबलोगों से पटे हुए थे. दिल्ली की सबसे बड़ी जिस इमारत से कभी सबसे बड़ा अंग्रेजी अफसरनिकलता था और जिसके कई मीटर दूर तक आम भारतीयों को गुजरने की इजाजत नहीं थी. अब उसीइमारत से राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद बाहर निकल रहे थे. तालियों की गड़गड़ाहट रुकनहीं रही थी, नारों का शोर थम नहीं रहा था. राष्ट्रपति बार-बार अपना सिर लोगों केसामने झुकाते, हाथ जोड़ते, लेकिन जनसमूह अलग ही जोश में था. देखिए वीडियो.