दिल्ली के इतिहास की सबसे खास तस्वीरें, जब कनॉट प्लेस माधौगंज हुआ करता था
1857 में फांसी चढ़ते शहीदों से लेकर सर झुकाते महाराजाओं तक सब को देखिए.
Advertisement
दिल्ली, दिल वालों का शहर, इस शहर से इश्क करने वालों की कमी नहीं. 7 बार वीरान हुई और 8 बार बसी. दिल्ली शहर के हर बार बसने के साथ किसी रेशमी थान में ज़री के काम की तरह इसकी बुनावट में एक और परत बनती गई.
इन परतों में दिल्ली कितनी बदली है, इसको बड़ी आसानी से समझा जा सकता है. शाहजहां ने अपनी बेटी के कमरे से चांदनी का नज़ारा दिखाने के लिए तालाब बनवाया और नाम रखा चांदनी चौक. अंग्रेज़ों के आते आते वो ट्राम के चलने वाला मशहूर बाज़ार चांदनी चौक बन गया. 1857 के गदर में मेरठ से आई फौजें 'शहर से दूर' महरौली में डेरा डाल कर बैठी थी. बादशाह ज़फर अंग्रेज़ों से बचने के लिए दूर जमुनापार कूच कर गए थे. आज दिल्ली की मेट्रो में बैठ हम इन तीनों को कुछ मिनटों में पार कर लेते हैं.आज 13 फरवरी है. आइये देखते हैं दिल्ली की कुछ दुर्लभ और खास तस्वीरें जिनमें दिल्ली ही नहीं हिंदुस्तान का इतिहास है-
यही अंग्रेज़ हिंदुस्तान की राजधानी को कलकत्ता ले गए. और बोले कि जो बंगाल आज सोचता है वो हिंदुस्तान 20 साल बाद सोचेगा. 1912 में दिल्ली दरबार हुआ, जॉर्ज पंचम आए. इसके लगभग 20 साल बाद 13 फरवरी 1931 को उस दिल्ली का उद्घाटन हुआ, जिसे हम आज देखते हैं. एडविन लुटियन की बनाई दिल्ली जिसे अंग्रेज़ों ने हुकूमत करने की सहूलियत के लिए बसाया था. इसी लुटियन्स में इसके लगभग 20 साल बाद 1950 में फिर हम भारत के लोग दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र का जश्न मना रहे थे.
वैसे जिस 13 फरवरी को दिल्ली में इसके उद्धघाटन का जश्न मनाया जा रहा था. उसी 13 फरवरी को साल 1739 में नादिरशाह की फौजों ने दिल्ली के इतिहास का सबसे भयावह कत्ल-ए-आम किया था.
1. गदर के दौरान दिल्ली
#16 जनवरी 1858 को दिल्ली शहर का नक्शा देखिए. आज की दिल्ली से कुछ मिलता जुलता ढूंढ़ पाएंगे क्या?फोटो- हाउसिंग.कॉम
# 1958 के लाहौरी गेट का नज़ारा.
फोटो- रॉबर्ट और हैरिएट टाइटलर, ब्रिटिश लाइब्रेरी
# सल्तनत के आखिरी दिनों में पुरानी दिल्ली में नाच-गाने की महफिल.
फोटो- आईबीएन लाइव
# 1857 की जंग की मार खाया कश्मीरी गेट.
फोटो- आईबीएन लाइव
# 1857 के विद्रोहियों को फांसी देते अंग्रेज़.
फोटो- आईबीएन लाइव
2- मुगलों की जागीर में अंग्रेज़ आ गए
# 1902 में लाल किले के दीवान ए आम में एडवर्ड तृतीय की ताजपोशी का जश्न मनाते अंग्रेज़.फोटो- आईबीएन लाइव
# 1911 के दिल्ली दरबार में जाते किंग जॉर्ज पंचम.
फोटो- आईबीएन लाइव
# दिल्ली दरबार को जाता जॉर्ज पंचम का काफिला.
फोटो- आईबीएन लाइव
# दिल्ली दरबार.
फोटो- विकीपीडिया
# जहां आज तिरंगा लहराता है वहां 1911के दिल्ली दरबार में यूनियन जैक को सलामी दी जा रही है.
फोटो- ब्रिटिश लाइब्रेरी
# दिल्ली दरबार में अंग्रेज़ किंग के सामने सर झुकाए हैदराबाद के निज़ाम.
फोटो- हैनरी विलियम्स
# ब्रिटेन की महारानी से मिलने जातीं भोपाल की बेगम.
फोटो- अलकज़ाई कलेक्शन ऑफ फोटोग्राफी
# दिल्ली दरबार के लिए खास बनाई गई रॉल्स रॉयस फ्लीट. तब इनमें से हर एक की कीमत लगभग 1 लाख रुपए थी. अभी 5 करोड़ से ऊपर कीमत है इसकी.
फोटो- टाइम्स ऑफ इंडिया
# टाइम्स ऑफ इंडिया में रॉल्स रॉयस का विज्ञापन.
फोटो- टाइम्स ऑफ इंडिया
# 1908 में दिल्ली में चलती ट्राम.
फोटो- इंडियन एक्सप्रेस
# चांदनी चौक की गलियों से गुज़रती ट्राम.
फोटो- आईबीएन लाइव
# वैसे चांदनी चौक की गलियां हमेशा से इतनी तंग नहीं थीं.
फोटो- टाइम्स ऑफ इंडिया
3. जब लुटियन्स ने दिल्ली को नया रंग दिया
# 1931 में बनता इंडिया गेट.फोटो- टंबलर
# लुटियंस की दिल्ली बनने का हवाई शॉट, 1930.
फोटो आईबीएन लाइव
4. दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस की कहानी
# 20-कनॉट प्लेस बनने से पहले ये जगह माधोगंज के नाम से जानी जाती थी.फोटो- जैक कार्डिफ
# आज कार बैन करने की बात हो रही है1938 में बैलगाड़ी पर रोक थी. वैसै हिंदी कहां हैं?
फोटो- जैक कार्डिफ
# कार चलाती औरतें दिल्ली के लिए कोई नई चीज़ नहीं.
फोटो- जैक कार्डिफ
# स्कर्ट और बुरके में औरतें 1938 की दिल्ली में भी एक साथ दिख जाती थीं.
फोटो- जैक कार्डिफ
# साड़ी 1938 में भी इतनी ही फैशनेबल थी.
फोटो- जैक कार्डिफ
# महरौली के स्तम्भ को छूने पर तब रोक नहीं थी.
फोटो- जैक कार्डिफ
5. जब हम आज़ाद हुए
# आज़ादी से ठीक पहले पत्रकारों से बात करते जवाहर लाल नेहरू.फोटो- आईबीएन लाइव
# गांधी और जिन्ना के बीच एक तल्ख बातचीत.
फोटो- आईबीएन लाइव
# 21 अगस्त 1947, आज़ादी का जश्न मनाते लोग.
फोटो- आईबीएन लाइव
# बंटवारे की आग में दिल्ली छोड़कर पाकिस्तान जाते मुसलमान
फोटो- आईबीएन लाइव
# 1947 के दंगों को रोकने के लिए दिल्ली की सड़कों पर टैंक लेकर घूमती सेना.
फोटो- आईबीएन लाइव
# अाज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति बग्घी से दिल्ली घूमते हुए.
फोटो- आईबीएन लाइव
# महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार.
फोटो- आईबीएन लाइव
# मगर सिनेमा का जादू 1950 में भी ऐसा ही था.
फोटो- आईबीएन लाइव
# पहले गणतंत्र दिवस के बाद की अस्त व्यस्त तस्वीर.
फोटो- टाइम्स ऑफ इंडिया
# मगर कुछ चीज़ें वक्त से परे हैं.
ये भी पढ़ें :
जब मीना कुमारी की याद में डूबे कमाल अमरोही ने धर्मेंद्र का मुंह काला किया था
500 साल के इतिहास में हुआ है कोई इस हीरो के जैसा?
सच जान लो : हल्दीघाटी की लड़ाई हल्दीघाटी में हुई ही नहीं थी
राजपूत आज़ाद भारत में भी एक औरत की इज्जत के लिए लड़े थे, उसे ज़िंदा जलाने के लिए