फ्रांस में 9 दिसंबर को बिजली की कीमत शून्य हो गई, पता है सरकार को ऐसा क्यों करना पड़ा?
France Electricity Surplus: फ्रांस में 9 दिसंबर को कुछ घंटों के लिए बिजली फ्री हो गई. यानी उन घंटों में कितनी भी बिजली इस्तेमाल करो, कोई पैसा नहीं देना था. ऐसा किस वजह से हुआ? सब जानिए.

फ्रांस में बिजली इतनी ज्यादा बन गई कि मुफ्त में बेचनी पड़ी. जी हां यह सच है. हालांकि, यह कुछ घंटों के लिए ही था. फ्रांस में कई बार ऐसा होता है कि बिजली का उत्पादन ज्यादा हो जाता है और खपत कम. ब्लूमबर्ग के अनुसार 9 दिसंबर को भी कुछ घंटों के लिए फ्रांस में बिजली की कीमत शून्य हो गई. यानी उन घंटों में कितनी भी बिजली इस्तेमाल करो, वह फ्री थी.
दरअसल, पूरे यूरोप में अगले दिन के हर घंटे के लिए एक दिन पहले ही बिजली की कीमत तय हो जाती है. इसे ‘डे-अहेड’ मार्केट कहा जाता है. इसी में 9 दिसंबर को बिजली की डिमांड बेहद कम हो गई. वहीं इसका प्रोडक्शन काफी ज्यादा था. डिमांड इसलिए कम थी, क्योंकि मौसम गर्म था, इस वजह से हीटिंग की जरूरत नहीं थी. वहीं इंडस्ट्री भी सामान्य से कम बिजली का इस्तेमाल कर रहे थे.
बढ़ा हुआ है प्रोडक्शनवहीं तेज हवाओं के कारण विंड टर्बाइन से बनने वाली बिजली का प्रोडक्शन भी बढ़ गया था. न्यूक्लियर प्लांट अपनी बिजली बना ही रहा था और सोलर पॉवर से भी सप्लाई आ रही थी, इस वजह से प्रोडक्शन भी काफी ज्यादा था. ऐसे में जानबूझकर कीमतें गिराई जाती हैं, जिससे बिजली की डिमांड बढ़े और ग्रिड में सामान्य सप्लाई बनी रहे.
इसके इतर भी फ्रांस एक तरह से बिजली सरप्लस की समस्या से जूझ रहा है. वहां के बिजली ऑपरेटर RTE ने कहा है कि फ्रांस बिजली की ओवर कैपेसिटी के दौर में आ गया है. अब कंपनी ने यूरोप में इलेक्ट्रीफिकेशन को बढ़ावा देने की मांग की है, जिससे सरप्लस बिजली को बेचा जा सके. खास बात यह है कि फ्रांस में जो बिजली बनती है, वह लगभग पूरी तरह से ग्रीन है. यानी पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है.
न्यूक्लियर एनर्जी का किंगफ्रांस में बनने वाली कुल बिजली का 70% हिस्सा न्यूक्लियर एनर्जी से आता है. फ्रांस दुनिया का एक सबसे बड़ा न्यूक्लियर बिजली बनाने वाला देश है और यूरोप में सबसे प्रमुख न्यूक्लियर हिस्सेदारी वाला देश है. यही नहीं, फ्रांस दुनिया में बिजली का सबसे बड़ा नेट एक्सपोर्टर भी है. क्योंकि वहां बिजली पैदा करने की लागत बहुत कम है. वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के मुताबिक फ्रांस बिजली के एक्सपोर्ट से हर साल 3 बिलियन यूरो से ज्यादा कमाता है.
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इसके अलावा भी अन्य जिन सोर्स से वहां बिजली बनाई जाती है, वह रिन्युएबल एनर्जी होती है. वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के अनुसार न्यूक्लियर के अलावा फ्रांस में 14 % बिजली हाइड्रो पॉवर यानी पानी से बनाई जाती है. वहीं 8% विंड एनर्जी, 4% सोलर, 3% नैचुरल गैस और 2% बॉयोफ्यूल से बिजली बनाई जाती है. इस तरह 97% तक बिजली क्लीन या फिर ग्रीन एनर्जी की कैटेगिरी में आती है.
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