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दिल्ली के लगभग सारे जिम बंद क्यों हो रहे हैं?

हाल फिलहाल जिम जाना शुरू किया है तो खबर आपके लिए है

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सांकेतिक फोटो (क्रेडिट- फिटनेस एरीना)
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सुमित
3 अक्तूबर 2019 (Updated: 4 अक्तूबर 2019, 06:03 AM IST)
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लोगों की सेहत के सेंटर पॉइंट अब आउट ऑफ़ सेंटर होने की कगार पर हैं. दिल्ली के वो सारे जिम जो 12 अगस्त, 2008 के बाद खुले हैं उन्हें नोटिस थमाया जा रहा है. और सिर्फ़ जिम ही नहीं बल्कि इस बंदी के घेरे में योगा और फिटनेस सेंटर भी आ गए हैं. वजह है सीलिंग. और इस सीलिंग की वजह है सीलिंग को लेकर बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी यानी निगरानी समिति, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बनाया है. निगरानी समिति ने 12 अगस्त, 2008 के बाद शुरू हुए जिम और योग केंद्रों को सील करने के निर्देश MCD और DDA को दिए हैं.


# इस पर बवाल मचा हुआ है

बताया जा रहा है कि इस बंदी में दिल्ली के 90 फ़ीसदी से ज़्यादा जिम आ रहे हैं. तक़रीबन 9 हज़ार से ज़्यादा जिम. सुप्रीम कोर्ट की समिति का ये निर्देश दिल्ली मास्टर प्लान-2021 पर आधारित है. इसमें केवल मॉल और डीडीए के कमर्शियल प्लॉट पर ही फिटनेस सेंटर खोलने की परमिशन है. इस पर कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी का यह फैसला 24 सितंबर को आया. और 2008 के बाद खोले गए जिम 18 अक्टूबर तक बंद करने के निर्देश दिए हैं.


जिम मालिक कह रहे हैं कि देश की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है
जिम मालिक कह रहे हैं कि देश की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है

# क्यों हो रहा है ऐसा

अक्टूबर 2008 के बाद वाले जिम ही क्यों बंद करने की बात हो रही है? क्योंकि साल 2008 में ही ये नियम आया था कि रिहायशी इलाकों में जिम नहीं खुलेंगे. अगर जिम मालिकों के पास ट्रेड लाइसेंस हो भी तो उनका जिम उस ज़मीन पर होना चाहिए जो कमर्शियल हो. या फिर DDA के मार्केट में ही जिम होने चाहिए. तब वजह बताई गई थी कि ज़्यादातर जिम अंडरग्राउंड हैं और बिना DDA की परमिशन के बनाए गए हैं. हालांकि 2013 में इस नियम में सुधार किया गया. 2008 तक के जिम क़ानूनी किए गए.


# जिम एसोसिएशन का क्या कहना है?

जिम एसोसिएशन अब चैम्बर ऑफ ट्रेड इंडस्ट्री के साथ मिलकर इस आदेश के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी में है. दिल्ली के कनॉट प्लेस में 29 सितंबर रविवार को जिम ऑपरेटर्स और चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के लोगों की मीटिंग हुई. जिम मालिक रेस्टोरेन्ट्स की तर्ज पर राहत चाहते हैं. इनका कहना है कि जिस तरह कुछ दिन पहले DDA ने मास्टर प्लान में संशोधन करके ‘नोटिफाइड मिक्स लैंड रोड’ की सड़कों पर बने रेस्टोरेन्ट्स की कट ऑफ डेट 2012 से बढ़ाकर 17 सितंबर, 2019 करके उनको सीलिंग से राहत दी, उसी तरह जिम और फिटनेस सेंटरों की कट ऑफ डेट को 2008 से बढ़ाकर सितंबर 2019 किया जाए. यानी जो जिम और फिटनेस सेंटर सितंबर, 2019 तक खुले हैं उन्हें चलने दिया जाए.


# केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी क्या कहते हैं

हरदीप पुरी ने जिम एसोसिएशन को विश्वास दिलाया है कि जिम बंद नहीं होंगे. DDA के मास्टर प्लान में बदलाव लाए जाएंगे. सीलिंग में सबको अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलेगा. दिल्ली के जिम मालिकों को घबराने की ज़रूरत नहीं है.


जिम मालिकों का एक तर्क ये भी है कि जिम अगर रिहायशी इलाके में नहीं होंगे तो कहां होंगे. वो कहते हैं कि जिम अगर घरों से दूर होंगे तो लोग जिम तक जाने के लिए वाहनों का इस्तेमाल करेंगे, जिससे प्रदूषण बढ़ेगा.


हरदीप पुरी के इतना समझाने पर भी जिम मालिक पूरी तरह निश्चिन्त नहीं हैं
हरदीप पुरी के इतना समझाने पर भी जिम मालिक पूरी तरह निश्चिन्त नहीं हैं

# मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन का क्या कहना है-

दिल्ली में सीलिंग को लेकर बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन भूरेलाल ने सीलिंग के लिए एमसीडी समेत दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़ते अवैध निर्माण और सीलिंग के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) और दिल्ली सरकार तीनों ही जिम्मेदार हैं.

जब दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘दिल्ली में मॉनिटरिंग कमेटी जिस तरीके से सीलिंग कर रही है, वह पूरी तरह से गैरकानूनी है.’


चेयरमैन भूरेलाल पर भाजपा और आप दोनों हमलावर हुई जा रही हैं और भूरेलाल का कहना है कि वो तो कोर्ट के आदेश पर काम कर रहे हैं
चेयरमैन भूरेलाल पर भाजपा और आप दोनों हमलावर हुई जा रही हैं और भूरेलाल का कहना है कि वो तो कोर्ट के आदेश पर काम कर रहे हैं

तो इसका जवाब देते हुए मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन भूरेलाल ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, वो सुप्रीम कोर्ट के कहने पर हो रहा है. ये कमेटी किसी सरकार की बनाई हुई नहीं है. इसलिए जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वो बिल्कुल गलत हैं. अवैध निर्माण को रोकने का काम लोकल एजेंसियों का है, हमें अवैध निर्माण के बारे में जानकारी मिलती है तो हम जांच करने के बाद ही कार्रवाई करते हैं.


# और मोदी जी को लिखी चिट्ठी-

व्यापारी संगठन चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) की ओर से पीएम मोदी को एक चिट्ठी लिखी गई है.

सीटीआई के संयोजक हैं बृजेश गोयल. उन्होंने बताया कि चिट्ठी में लिखा गया है कि ‘यदि 12 अगस्त 2008 के बाद खुले फिटनेस सेंटर, जिम और योगा केंद्र बंद हो जाएंगे, तो पीएम मोदी जी द्वारा शुरू किए गए फिट इंडिया मूवमेंट का क्या होगा? उन्हीं की पहल पर पिछले 4 साल से दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. इसके बाद जनता भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है और दिल्ली में बड़े पैमाने पर फिटनेस सेंटर, जिम और योगा केंद्र खोले गए.’


जिम करने वाले लाखों लोगों के पैसे डूबते नज़र आ रहे हैं, जिम मालिक अलग हलकान हो रहे हैं
जिम करने वाले लाखों लोगों के पैसे डूबते नज़र आ रहे हैं, जिम मालिक अलग हलकान हो रहे हैं

# क्या असर होगा इसका

दिल्ली के ज़्यादातर जिम पैकेज सिस्टम पर काम करते हैं. मतलब आप जब जिम में एडमिशन लेते हैं तो आपसे तीन महीने, छह महीने या साल भर की फ़ीस एक साथ ले ली जाती है. अब जब ख़बरों में सीलिंग आ चुकी है तो जिम मेम्बर्स में हड़बड़ी मची हुई है. ज़्यादातर लोगों ने जिम में मोटा पैसा देकर प्लान लिया हुआ है. अब सबको लग रहा है कि पैसे डूब जाएंगे. जिम मालिकों पर पैसा वापस देने का दबाव है. जो जिम इस सीलिंग की जद में आने वाले हैं वो छोटे और इंडिपेंडेंट जिम हैं. पूंजी ज़्यादा होती नहीं इस तरह के जिम में. जबकि जिम में दी गई फ़ीस ज़्यादातर स्टाफ़ और बाक़ी ख़र्चों में निपट चुकी होती है. अब सवाल ये है कि अगर जिम 18 अक्टूबर तक बंद हो गए तो लाखों लोगो की एडवांस फ़ीस का क्या होगा? जिम मालिकों की बाक़ायदा एसोसिएशन है. लेकिन मेंबर कहां जाएंगे. मामला अटका हुआ है. जिम मालिकों का कहना है कि एक साथ 9 हज़ार जिम बंद नहीं किए जा सकते. ज़ाहिर सी बात है कि बाज़ार में फ़िटनेस के बड़े खिलाड़ी चाहते हैं कि ये छोटे जिम बंद हो जाएं. मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के बीच अलग कसरत चल रही है. और इन सबके बीच में फंसे हैं लाखों लोग.




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