The Lallantop
Advertisement

रिश्ते के भाई-बहन क्या आपस में शादी कर सकते हैं? जानिए, क्या कहता है कानून

छत्तीसगढ़ में चचेरे भाई-बहन शादी करने वाले थे, जहर देकर मार दिया गया.

Advertisement
छत्तीसगढ़ में चचेरे भाई-बहन आपस में शादी करना चाहते थे. उन्हें मार डाला गया. तो क्या कजिन्स को आपस में शादी करने की इजाजत नहीं है? (सांकेतिक तस्वीर)
Love Marriage In Khandwa 2
pic
लल्लनटॉप
14 अक्तूबर 2020 (Updated: 14 अक्तूबर 2020, 04:21 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

छत्तीसगढ़ में चचेरे भाई-बहन को जहर दे दिया गया. मौत के बाद रविवार, 11 अक्टूबर की देर रात शवों को नदी किनारे ले जाकर जला दिया गया. आरोप उन्हीं के सगे चाचा और भाई पर है. पुलिस को छानबीन में पता चला कि दोनों शादी करना चाहते थे. लेकिन परिवार इसके खिलाफ था. इस घटना से सवाल उठता है कि रिश्तेदारी में शादी के सवाल पर कानून क्या कहता है? क्या कजिन्स को आपस में शादी की इजाजत नहीं है? आइए, इस बारे में बताते हैं.

पहले घटना के बारे में जान लीजिए

यह घटना भिलाई शहर की है. ऐश्वर्या कोप्पल और श्रीहरि कोप्पल के पिता भाई-भाई हैं. यानी ऐश्वर्या और श्रीहरि चचेरे भाई-बहन हुए. इसी वजह से परिवार इनके रिश्ते के खिलाफ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों चेन्नई भाग गए थे. परिवार ने 21 सितंबर को केस दर्ज कराया. पुलिस 7 अक्टूबर को दोनों को ढूंढकर ले आई और परिवार को सौंप दिया. 9 अक्टूबर को ऐश्वर्या और श्रीहरि की हत्या कर दी गई.

आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ऐश्वर्या के सगे भाई चरण कोप्पल और चाचा रामू को दुर्ग पुलिस ने हत्या करने और शव जलाकर सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस का दावा है कि दोनों ने गुनाह भी कबूल कर लिया है.

अब बात कानूनी प्रावधान की

ऐश्वर्या और श्रीहरि हिंदू थे. हिंदुओं की शादियों से जुड़े नियम-कानून हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में लिखे हैं.  इस कानून के तहत हिंदू विवाह के लिए जरूरी शर्तें  धारा-5 में बताई गई हैं. ये हैं-

पहली शर्त - कोई भी हिंदू विवाह तभी संपन्न माना जाएगा, जब दोनों पक्ष यानी दूल्हा-दुल्हन हिंदू होंगे. इसके लिए किसी जाति विशेष की आवश्यकता नहीं है.

दूसरी शर्त -  हिंदू विवाह तभी पूरा माना जाएगा, जब विवाह के समय दोनों पक्ष में से न तो दूल्हे की कोई पत्नी हो और न ही दुल्हन का कोई पति हो.

तीसरी शर्त - विवाह की सहमति देने के लिए दूल्हा और दुल्हन की मानसिक स्थिति संतुलित होनी चाहिए.

चौथी शर्त - विवाह के समय दूल्हे की उम्र कम से कम 21 वर्ष और दुल्हन की उम्र 18 वर्ष होनी अनिवार्य है.

पांचवीं शर्त - दोनों पक्षकारों के बीच प्रतिषिद्ध नातेदारी का संबंध नहीं होना चाहिए.

प्रतिषिद्ध नातेदारी को सरल भाषा में कहें, तो ब्लड रिलेशन में शादी की मनाही. यानी दोनों पक्षों का रिश्ता भाई-बहन, चाचा-भतीजी, मामा-भांजी, फूफी-भतीजा, मौसी-भांजे आदि का नहीं होना चाहिए.

इसी अधिनियम की धारा-11 में कहा गया है कि अगर पक्षकारों में कोई भी निषिद्ध नातेदारी पाई जाती है, तो विवाह को अमान्य घोषित किया जा सकता है.

Marriage

लेकिन, साल 1970 में कामाक्षी बनाम के. मणि के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी प्रथा के अधीन प्रतिषिद्ध नातेदारी में विवाह को मान्यता प्राप्त है और यह प्रचलन पहले से चला आ रहा है, तो ऐसे विवाह पर इस अधिनियम की धारा-5 की शर्तें लागू नहीं होती हैं.

दूसरे धर्म में शादी के लिए क्या कानून है?

हमारे देश में सभी धर्मों के लोगों की शादी के लिए अपने-अपने पर्सनल लाॅ हैं. इनमें लड़का और लड़की एक ही धर्म का होना अनिवार्य है. मतलब ये कि अगर दो अलग-अलग धर्म के लोग आपस में विवाह करना चाहें, तो उनमें से एक को धर्म परिवर्तन करना पड़ता है. लेकिन अगर बिना धर्म बदले ही विवाह करना हो, तो ऐसे लोगों के लिए साल 1954 में स्पेशल मैरिज एक्ट बनाया गया.

स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 में विशेष रूप से विवाह, रजिस्ट्रेशन और तलाक जैसे सभी प्रावधान बताए गए हैं. इस एक्ट के तहत किसी भी धर्म के दो व्यक्ति बिना धर्म बदले कानूनन विवाह कर सकते हैं. ऐसे विवाह के लिए किसी समारोह की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement