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बिहार में 'डायन' के नाम पर परिवार की हत्या, क्यों नहीं खत्म हो रही ये अंधविश्वासी प्रथा?

बिहार से एक खबर आई, जिस पर ‘सिर्फ शर्म किया जा सकता है’. खबर पूर्णिया जिले के एक गांव से है, जहां एक ही परिवार के 5 लोगों को ‘डायन’ बताकर जिंदा जला दिया गया.

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Bihar Witch Hunt
पूर्णिया में डायन बताकर एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या (फोटोः Grok)
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राघवेंद्र शुक्ला
9 जुलाई 2025 (Published: 08:19 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत के सुधांशु शुक्ला इन दिनों अंतरिक्ष में है. इसके जरिए धरती की परिधि पार कर अनंत ब्रह्माण्ड के रहस्यों को उजागर करने की दिशा में भारत ने एक लंबी छलांग लगाई है. पूरा देश इस पर गर्व कर रहा है. ठीक इसी वक्त में बिहार से एक खबर आई है, जिस पर ‘सिर्फ शर्म किया जा सकता है’. खबर पूर्णिया जिले के एक गांव से है, जहां एक ही परिवार के 5 लोगों को ‘डायन’ बताकर जिंदा जला दिया गया. 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्णिया के टेटगामा गांव के रहने वाले रामदेव उरांव के बेटे की बीमारी के चलते मौत हो गई. इसके कुछ ही दिनों बाद दूसरा बेटा भी बीमार पड़ गया. रामदेव को शक हुआ कि इन सबके पीछे किसी डायन का हाथ है. डायन भी कौन? उन्हीं के समुदाय के बाबूलाल उरांव की मां सातो देवी. गांव की पंचायत ने फैसला किया कि उन्हें मार दिया जाए. रात को 2 बजे बाबूलाल के घर पर हमला किया गया. उनकी मां सातो देवी के अलावा पत्नी सीता देवी, बेटे मंजीत और उसकी पत्नी रानी देवी के साथ मारपीट की गई. उन्हें जिंदा जला दिया गया. फिर शव को गांव के तालाब में छिपाकर जलकुंभी से ढंक दिया गया.

घातक अंधविश्वास की इस दर्दनाक वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया.  

लेकिन, बिहार में ‘डायन कुप्रथा’ के चलते हत्या की यह नई घटना नहीं है. तीन साल पहले की बात है. बिहार के ही गया जिले में 40 साल की हेमंती देवी को झारखंड से आए ओझाओं ने डायन करार दिया. इसके बाद महिला को मौत की सजा सुनाई गई. फिर क्या था. गया के पचमह गांव की उन्मादी भीड़ ने हेमंती देवी की जिंदा जलाकर मार डाला. 

हिंदुस्तान में कल यानी सोमवार 7 जुलाई की खबर है. बिहार के नवादा जिले की एक महिला को भीड़ ने ‘डायन’ कहकर जमकर पीटा. उसके घर में तोड़फोड़ की और सारा सामान बाहर फेंक दिया. हुआ ये था कि गांव में एक लड़के की मौत हो गई थी. लोगों ने आशंका जताई थी कि ये मौत पीड़ित महिला और उसके देवता की वजह से हुई है. इसी बात पर लोगों ने महिला के घर हमला बोल दिया. उसके घर को आग लगाने की भी कोशिश हुई लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद उसकी जान बच गई.

डायन प्रथा का दंश

बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और असम के आदिवासी इलाकों में ‘डायन प्रथा’ आज से नहीं, सालों से चली आ रही है. अशिक्षित और अंधविश्वासी समाज में आज भी ओझाओं का ठीक-ठाक प्रभाव है, जो झाड़-फूंक से लोगों को स्वस्थ करने का दावा करते हैं. वही ये एलान करते हैं कि ‘किस गांव की कौन सी महिला डायन है.’ 

अजय जायसवाल झारखंड में महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आशा नाम की संस्था चलाते हैं. वह बताते हैं कि 90 के दशक में बुधनी देवी नाम की महिला को ‘डायन’ कहकर मारा गया था. इसके बाद 1995 में छुटनी महतो नाम की महिला को ‘डायन’ कहकर मैला खिलाया गया. उनके बाल काट दिए गए. वो किसी तरह से जान बचाकर भागीं. बाद में ‘आशा संस्था’ से जुड़कर ‘डायन प्रथा’ की पीड़ित महिलाओं के लिए काम करने लगीं. 

जायसवाल ने कहा, 

जब ऐसे कई मामले हमने देखे तो फिर अपना काम शुरू किया. सर्वे किया. जागरूकता अभियान चलाया. 1999 में बिहार की सीएम राबड़ी देवी थीं. हम लोगों की मांग थी कि डायन प्रथा के खिलाफ एक कानून बनना चाहिए. कानून को हम लोगों ने ड्राफ्ट कर दिया और सरकार के पास लेकर गए.

जायसवाल ने कहा, 

राबड़ी देवी की सरकार ने कानून को विधानसभा में पास करा दिया. ये एक्ट बिना बहस और विरोध के विधानसभा में पास हो जाए, इसलिए ड्राफ्ट में हमने सजा के प्रावधान को बहुत सख्त नहीं बनाया. सजा कम ही रखी लेकिन अब हम चाहते हैं कि इस कानून में सजा के प्रावधान और सख्त किए जाएं.

क्या कहता है कानून?

20 अक्टूबर 1999 को बिहार विधानसभा (तब झारखंड भी बिहार का हिस्सा था) में 'डायन-बिसाही प्रथा प्रतिषेध अधिनियम' पास हुआ था. इस कानून में 1 से लेकर 7 तक धाराएं हैं. 

धारा 3 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन कहता है या इशारा करता है या किसी भी तरीके से डायन-बिसाही के तौर पर पहचानता है तो उसे अधिकतम 3 महीने की जेल या 1000 जुर्माना या दोनों हो सकता है. 

धारा 4 के अनुसार, डायन कहकर किसी को नुकसान पहुंचाने या प्रताड़ित करने पर अधिकतम 6 महीने की जेल या 2000 जुर्माना या दोनों हो सकता है. 

धारा 5 में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन कहने के लिए किसी और को उकसाता है, साजिश करता है, मदद करता है या सहयोग करता है तो उसे अधिकतम 3 महीने की जेल या 1000 जुर्माना या दोनों हो सकता है.

धारा 6 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दावा करता है कि वह डायन को ठीक कर रहा है और इसके लिए किसी महिला पर झाड़-फूंक, टोटका आदि करता है, जिससे महिला को शारीरिक या मानसिक नुकसान होता है तो उसे अधिकतम 1 साल की जेल और दो हजार का जुर्माना या दोनों हो सकता है.

धारा 7 में कहा गया है कि ये सभी मामले गंभीर अपराध (Cognizable) माने जाएंगे यानी पुलिस इसमें सीधे गिरफ्तारी कर सकती है. साथ ही ये अपराध जमानती (Non-bailable) नहीं होंगे. 

'डायन' कुप्रथा आई कहां से?

अजय जायसवाल के मुताबिक, ‘डायन' एक अंधविश्वासी प्रथा है, जो अधिकांशतः अशिक्षित समुदायों के बीच देखने को मिलती है. इसमें किसी महिला पर ‘काले जादू’ का आरोप लगाकर अप्रिय घटनाओं का जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. अजय जायसवाल बताते हैं,

अक्सर तीन-चार की तरह की महिलाओं को डायन कहा जाता है. इनमें बूढ़ी महिलाएं, विधवा महिलाएं, कुंवारी लड़कियां शामिल होती हैं. कई बार संपत्ति के लालच में लोग महिलाओं को डायन घोषित कर मार देते हैं. या फिर किसी युवती या महिला पर बुरी नीयत रखने वाले लोग उसे डायन बताकर उस पर हमला करते हैं. इसमें ओझा की मुख्य भूमिका होती है. 

ओझा क्या होते हैं? 

अजय जायसवाल के मुताबिक, जनजातीय समुदाय में आधुनिक मेडिकल सेवाएं कम ही पहुंचती हैं. ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ गया तो लोग डॉक्टर के पास नहीं ओझा के पास लेकर जाते हैं. ओझा झाड़-फूंक करता है. बदले में उसके लिए नशे और खाने का इंतजाम किया जाता है. वह झूठ-मूठ में किसी को भी ‘डायन’ घोषित कर देता है और लोग उसकी बातों का भरोसा भी कर लेते हैं. वह धोखे से ‘त्रिकालदर्शी’ होने का स्वांग रचकर लोगों को विश्वास में लेता है कि फलां महिला डायन है. फिर लोग ओझा की बातों में आकर उसको मार देते हैं. 

जायसवाल कहते हैं कि डायन प्रथा असल में एक सामूहिक हत्या है.

प्रशासन भी जिम्मेदार

बिहार के पूर्णिया में डायन बोलकर पूरे परिवार को खत्म कर देने के मामले ने फिर से चिंता बढ़ा दी है. 21वीं सदी में भी अंधविश्वास के प्रभाव में ऐसी हिंसक वारदात करने वाले लोगों को रोकने के लिए प्रशासन की शिथिल कोशिश को भी जिम्मेदार बताया जाता है. जायसवाल कहते हैं कि कानून है लेकिन उसका क्रियान्वयन ठीक से नहीं होता. कानून के बनने के बाद भी डायन प्रथा के तहत हत्याएं कम नहीं हुईं. 

वह कहते हैं कि असम में जो कानून है, उसमें सजा का प्रावधान कठिन है. वहां 5 लाख के जुर्माने के साथ 10 साल की सजा मिलती है लेकिन बिहार में कानून लचीला है. ऐसे में कोशिश की जा रही है कि बिहार और झारखंड में भी ऐसे अपराध की सजा को कठिन बनाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाए.

वीडियो: डायन के शक में हत्या! पांच लोगों को ज़िंदा जलाया गया, राजनीति हुई तेज़

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