कौन हैं 'EVM हैकिंग' से जुड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाने वाले आशीष रे
रिश्ते में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार लगते हैं आशीष रे, लेकिन इनका कांग्रेस से क्या नाता है?
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ये आशीष रे हैं. आशीष पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने कांग्रेस के इशारों पर EVM वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाई. उनका ट्विटर हैंडल कांग्रेस के प्रचार-प्रसार वाले ट्वीट्स से भरा है. बाईं तरफ वाली फोटो हमने उन्हीं के ट्विटर हैंडल से ली है. और कहीं इतनी साफ फोटो नहीं मिल रही थी. इसके लिए उनका शुक्रिया.
क्या लंदन में हुई हैकिंग प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे कांग्रेस का हाथ है?21 जनवरी को लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. इसमें एक नकाबपोश आदमी दिखे. नाम बताया, मैं सैयद शुजा. शुजा ने कहा कि वो भारत में इस्तेमाल होने वाले EVM का पर्दाफ़ाश करना चाहते हैं. मगर एक कहानी सुनाने, कुछ विस्फोटक दावे करने के अलावा उन्होंने कुछ ठोस किया नहीं. शुजा के अलावा इस अरेंजमेंट से जुड़े एक और शख्स का नाम हेडलाइन्स में है- आशीष रे. आशीष इंडियन जर्नलिस्ट्स असोसिएशन (यूरोप) नाम के संगठन के अध्यक्ष हैं. इसी संगठन ने लंदन वाली ये प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलवाई थी. लोग आशीष को कांग्रेस का आदमी बता रहे हैं. रविशंकर प्रसाद ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आशीष को कांग्रेसी बताया. बोले, कांग्रेस के नैशनल हेरल्ड अखबार से भी जुड़े हुए हैं आशीष. कांग्रेस का एक तात्कालिक रेफरेंस तो ये भी है कि लंदन वाले इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कपिल सिब्बल भी मौजूद थे. हालांकि हैकिंग से जुड़ी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी पार्टियों समेत चुनाव आयोग को भी बुलाया गया था. कांग्रेस ने कहा कि कपिल सिब्बल को पार्टी ने नहीं भेजा, वो व्यक्तिगत तौर पर गए. कपिल सिब्बल का कहना है कि वो लंदन किसी रिश्तेदार के पास गए थे और प्रेस कॉन्फ्रेंस में आशीष रे से मिलने गए थे. तो बहुत सारी बातें हैं. आरोप-प्रत्यारोप हैं. इस सबके बीच लाज़मी है आशीष को जानना. वो कौन हैं, क्या करते हैं, कांग्रेस कनेक्शन क्या है, वगैरह वगैरह. सबसे पहले, कौन हैं आशीष रे? आशीष की पहली पहचान है बोस परिवार. रिश्ते में ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़भतीजे लगते हैं. जैसे पड़पोता होता है, वैसे ही तीसरी पीढ़ी के. पैदा हुए वियना में. पिता थे डॉक्टर. मां घर संभालती थीं. दार्जिलिंग में स्कूल किया. 19 के थे, जब ऑल इंडिया रेडियो पर लाइव प्रोग्राम किया. 1977 में BBC वर्ल्ड सर्विस में काम मिला. उसी सिलसिले में लंदन जाना हुआ. वो अब भी लंदन में रहते हैं. पत्रकार हैं. रिसर्चर हैं. किताबें लिखी हैं. हाल ही में नेताजी पर लिखी उनकी किताब आई थी- लेड टू रेस्ट: द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चंद्र बोसेज़ डेथ. इस किताब की प्रस्तावना लिखी बोस की 75 बरस की बेटी अनीता ने.
और क्या-क्या किया है आशीष रे ने? पत्रकारिता में एक चीज होती है- फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट. वो आदमी जो विदेशी मामलों की रिपोर्टिंग करता है. आशीष ने भी ये काम किया है. BBC और CNN के साथ. आनंद बाज़ार ग्रुप, ट्रिब्यून और टाइम्स ऑफ इंडिया में भी रहे. अफगानिस्तान वॉर भी कवर किया इन्होंने. कहते हैं कि अफगानिस्तान के सिविल वॉर को कवर करते समय उन्होंने काबुल से एक लाइव रिकॉर्डिंग की थी. ये शायद टीवी का पहला लाइव शॉट था. बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद उस समय के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने पहला इंटरव्यू CNN को ही दिया था. इंटरव्यू लिया था आशीष रे ने. क्रिकेट से भी रिश्ता है आशीष रे का क्रिकेट में भी बहुत दिल लगता है. कुछ लोग कहते हैं कि वो दुनिया के सबसे युवा टेस्ट मैच कॉमेंटेटर थे. ये कारनामा किया उन्होंने साल 1975 में. 1983 के वर्ल्ड कप में लॉर्ड्स वाला जो फाइनल था, उसमें BBC के लिए कॉमेंटरी इन्होंने ही की थी. इंडियन जर्नलिस्ट्स असोसिएशन का कनेक्शन? 1983 का साल था. जब आशीष रे पहली बार इंडियन जर्नलिस्ट्स असोसिएशन (IJA) के प्रेजिडेंट बने. हमने इसकी वेबसाइट खोलने की बड़ी कोशिश की. ताकि पता लगे कि ये काम क्या करता है. मगर वेबसाइट खुली ही नहीं. फिलहाल इसी संगठन के यूरोप विंग के मुखिया हैं आशीष रे. वेबसाइट खुलती तो मालूम चलता कि संगठन से और कौन-कौन जुड़ा हुआ है. नेताजी की मौत पर क्या कहते हैं? अगस्त 1945. दूसरे विश्व युद्ध में हारकर जापान ने सरेंडर कर दिया. नेताजी एक विमान में बैठकर बैंकॉक से मंचूरिया को रवाना हुए. प्लेन क्रैश हुआ. उस बात को 72 साल बीत गए. कई जांच हुई. कमीशन बैठे. मगर ये बात पुख़्ता नहीं हुई कि उस प्लेन क्रैश में नेताजी मरे कि ज़िंदा बचे. एक बहुत बड़ा धड़ा मानता है कि नेताजी बहुत बाद तक ज़िंदा थे. कुछ कहते हैं, वो तब ही मर गए थे. आशीष रे दूसरी कैटगरी में आते हैं. कहते हैं, नेताजी 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में हुए विमान हादसे में मारे गए थे. 22 अगस्त को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनकी राख तोक्यो के रेंकोजी मंदिर में संभाल ली गई. आशीष कहते हैं कि नेताजी की राख भारत लाई जानी चाहिए. और उसे गंगा में बहा देना चाहिए. वो कहते हैं कि नेताजी को लेकर लोग भावुक हैं, ये बात समझ आती है. मगर अब लोगों को समझना चाहिए कि उनकी मौत का विवाद बहुत लंबा खिंच चुका है. इसे अब खत्म कर देना चाहिए. बोस परिवार के कई लोग प्लेन क्रैश की इस थिअरी को ठुकराते आए हैं.The organizer of the so-called EVM Hackathon organized in London today thinks like a typical Congress man. @pynchonlama pic.twitter.com/6Nr7n4oIFU
— Anuj Dhar (@anujdhar) January 21, 2019
कांग्रेस कनेक्शन के आरोप पहले भी लगे हैं कांग्रेस पर आरोप लगते आए हैं. कि उसने नेताजी के ज़िंदा रहने की बात छुपाई. आशीष पर आरोप लगते हैं कि वो ताइवान प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत होने की बात कहकर कांग्रेस की मदद करते हैं. लोग इसके लिए कांग्रेस नेताओं से उनके रिश्तों की बात करते हैं. बोस परिवार के बहुत सारे सदस्य कांग्रेस को लेकर क्रिटिकल रहे हैं. वैसे आशीष रे के ट्विटर हैंडल की ताकझांक से ये तो लगता है कि कांग्रेस को लेकर उनका सॉफ्ट कॉर्नर है. मोदी सरकार को टारगेट भी करते रहते हैं. हमको ये समझ आता है कि सरकार बीजेपी की है, तो उसको ज़्यादा माइक्रोस्कोप से देखा जाएगा. सरकार के काम की, उसके फैसलों की समीक्षा भी होगी. मगर फिर ये बात भी है कि आलोचना पॉलिटिकली प्रेरित न हो. अपने कई ट्वीट्स में आशीष रे पार्टी बन जाते हैं. कांग्रेस के प्रचार वाले ट्वीट भी रिट्वीट करते हैं. अंदाज ऐसा होता है कि कांग्रेस को सहला रहे हैं, बीजेपी को दाग रहे हैं. ऐसा करेंगे, तो कांग्रेस के बताए ही जाएंगे. उनकी टाइमलाइन पर आपको कांग्रेस के खूब सारे ट्वीट मिलेंगे. उनके कुछ सैंपल ट्वीट देखिए-A brief profile of the gentleman who organized the so-called EVM Hackathon in London today. The clipping is from HT (Kolkata), 9 September 2016. #CongBackedHackathon #EVMHackinghttps://t.co/BCuoHCGumt
— Anuj Dhar (@anujdhar) January 21, 2019



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