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कौन था एक करोड़ का इनामी माओवादी चलपती, जिसे एनकाउंटर में मारा गया है?

रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले 30 सालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर इलाकों में चलपती ने कई बड़े हमलों का नेतृत्व किया था. लंबे समय तक वो अंडरग्राउंड भी रहा.

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Chalapati naxalism
चलपती को कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड बताया जाता था. (फोटो- इंडिया टुडे)
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साकेत आनंद
21 जनवरी 2025 (Updated: 21 जनवरी 2025, 06:38 PM IST) कॉमेंट्स
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छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर 20 जनवरी को सुरक्षाबलों ने कम से कम 16 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया है. इन संदिग्ध नक्सलियों में रामाचन्द्रा रेड्डी उर्फ चलपती नाम का नक्सली भी शामिल था, जिसके ऊपर पुलिस ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था. चलपती फिलहाल सीपीआई (माओवादी) के ओडिशा स्टेट कमेटी का इन्चार्ज था. उसे कई सुरक्षाबलों के खिलाफ कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड बताया जाता था. नक्सलियों के खिलाफ इस कार्रवाई को सुरक्षाबल बड़ी सफलता मान रहे हैं. इस ऑपरेशन के बाद खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है.

कौन था चलपती उर्फ जयराम?

चलपती का कोई एक नाम नहीं था. उसे रामाचन्द्रा रेड्डी उर्फ अप्पाराव उर्फ जयराम उर्फ रामु उर्फ प्रताप रेड्डी नामों से भी लोग जानते थे. आंध्र प्रदेश के चिन्तुर के माटेमपैपल्ली गांव में जन्मे चलपती ने सिर्फ 10वीं तक की पढ़ाई की थी. इसके बावजूद वो माओवादी गुट में ऊपर के रैंक तक पहुंच गया. 60 साल के चलपती का कार्यक्षेत्र छत्तीसगढ़ का माड़ इलाका माना जाता था.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 के दशक के आखिर में चलपती का झुकाव सीपीआई (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के गुरिल्ला समूह पीपल्स वॉर ग्रुप (PWG) की तरफ हो गया था. 1980 में उसने इंटरमीडिएट छोड़ दिया. और फिर श्रीकाकुलम जाकर PWG में शामिल हो गया.

माओवादियों पर जानकारी इकट्ठा करने वाली स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो (SIB) की रिपोर्ट बताती है कि चलपती ने श्रीकाकुलम के उद्दानम इलाके में काम करना शुरू किया. बहुत जल्द ही वो पार्टी सदस्य से आगे बढ़ गया. उसे डिविजनल कमिटी का मेंबर बनाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2000 में उसे स्पेशल जोनल कमिटी का सदस्य बनाया गया. और आंध्र ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमिटी के स्टेट मिलिट्री कमीशन में शामिल किया गया. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चलपती को गुरिल्ला वॉर और मिलिट्री स्ट्रैटजी में महारत हासिल था, इसलिए वो लगातार संगठन में ऊपर उठता गया.

आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़े ऑपरेशन और नई भर्तियों के लिए सीपीआई माओवादी बहुत हद तक चलपती पर निर्भर था. पिछले 30 सालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर इलाकों में उसने कई बड़े हमलों का नेतृत्व किया था. लंबे समय तक वो अंडरग्राउंड भी रहा.

लैपटॉप में पत्नी के साथ सेल्फी

रिपोर्ट बताती है कि मई 2016 में पुलिस को चलपती के बारे में एक लीड मिली थी. तब विशाखापट्टनम में एक माओवादी की हत्या के बाद उसके लैपटॉप में चलपती और उसकी पत्नी की एक सेल्फी मिली थी. सूत्रों ने बताया कि वो घुटने की दर्द से जूझ रहा था. कई बार गुप्त तरीके से आंध्र प्रदेश-ओडिशा बॉर्डर के पास इलाज भी कराता था.

23 सितंबर 2018 को आंध्र प्रदेश के अराकू में एक बड़ा नक्सली हमला हुआ था. इस दौरान अराकू घाटी के टीडीपी विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पार्टी के पूर्व विधायक सिवेरी सोमा को नक्सलियों ने गोली मार दी थी. हमले में दोनों नेताओं की मौत हो गई थी. कहा जाता है कि इस हमले का मास्टरमाइंड चलपती ही था. उसकी पत्नी अरुणा ने इस हमले में नक्सलियों के ग्रुप का नेतृत्व किया था.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चलपती बस्तर के घने जंगलों से वाकिफ था. उसकी सुरक्षा में हमेशा 8 से 10 निजी गार्ड रहते थे. हमेशा एके-47 और SLR राइफल्स के साथ चलन वाले चलपती ने कुछ महीने पहले ही अपना ठिकाना बदला था. अबूझमाड़ में बढ़ते एनकाउंटर के बाद उसने ओडिशा सीमा के पास गरियाबंद में कैंप बना लिया था. उसके ऑपरेशन और क्षमता को देखते हुए ही पुलिस ने उस पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था.

गरियाबंद ऑपरेशन में पुलिस को बड़ी सफलता

20 जनवरी को छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर मैनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ शुरू हुआ. पुलिस के मुताबिक, इस मुठभेड़ में कम से कम 16 नक्सली मारे गए हैं. ऑपरेशन के बाद गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने मीडिया को बताया कि चलपती के अलावा मारे गए बाकी नक्सलियों की पहचान अभी नहीं हो पाई है. मरने वालों में दो महिला नक्सली भी थीं.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट रिजर्व जंगल में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी. ये इलाका गरियाबंद जिले में आता है. इसी जानकारी के आधार पर 19 जनवरी की रात अभियान शुरू किया गया. इस ऑपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), छत्तीसगढ़ से सीआरपीएफ का कोबरा बटालियन और ओडिशा से विशेष अभियान दल (SOG) के सुरक्षाकर्मियों की एक जॉइंट टीम शामिल हैं.

इस ऑपरेशन के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत बनाने की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 

“नक्सलवाद को एक और बड़ा झटका. हमारे सुरक्षा बलों ने नक्सल मुक्त भारत बनाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है. सीआरपीएफ, एसओजी ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस ने ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर एक संयुक्त अभियान में 14 नक्सलियों को मार गिराया. नक्सल मुक्त भारत के संकल्प और सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों से नक्सलवाद आज अंतिम सांस ले रहा है.”

सरकार के दावों की माने तो पिछले कुछ समय में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज हुआ है. इस साल छत्तीसगढ़ में अब तक 40 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं. इससे पहले, 16 जनवरी को बीजापुर में एक एनकाउंटर में 12 संदिग्ध नक्सली मारे गए थे. पिछले साल राज्य में अलग-अलग एनकाउंटर में 219 नक्सली मारे गए थे.

वीडियो: जब पत्रकार मुकेश चंद्राकर CRPF जवान को नक्सलियों से बचा लाए?

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