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RTI एक्टिविस्ट को नंगा करके मारा, पूर्व IPS लोकेश्वर सिंह दोषी करार, बड़ी कार्रवाई होगी

RTI एक्टिविस्ट लक्ष्मी दत्त जोशी ने आरोप लगाया था कि 6 फरवरी 2023 को उन्हें पूछताछ के लिए एसपी ऑफिस बुलाया गया था. लेकिन वहां तत्कालीन एसपी लोकेश्वर सिंह और छह अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की.

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Uttarakhand panel indicts former IPS officer Lokeshwar Singh for assaulting RTI activist, misuse of power
जोशी ने आरोप लगाया कि वो भ्रष्टाचार और नागरिक मुद्दों पर सवाल उठाते रहते थे, इसलिए उनके साथ ऐसा किया गया. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
12 दिसंबर 2025 (Published: 06:25 PM IST)
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उत्तराखंड के पूर्व IPS अधिकारी लोकेश्वर सिंह को RTI कार्यकर्ता लक्ष्मी दत्त जोशी को पीटने और अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया है. राज्य स्तरीय पुलिस शिकायत पैनल ने ये फैसला दिया है. पैनल ने अधिकारी के खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश कर दी है. साथ ही, शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा पर ध्यान दिए जाने पर भी जोर दिया है.

एसपी ऑफिस में पीटने के आरोप

इस मामले में RTI एक्टिविस्ट लक्ष्मी दत्त जोशी ने 8 फरवरी 2023 को शिकायत दर्ज कराई थी. इंडिया टुडे से जुड़े अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने आरोप लगाया था कि 6 फरवरी 2023 को उन्हें पूछताछ के लिए एसपी ऑफिस बुलाया गया था. लेकिन वहां तत्कालीन एसपी लोकेश्वर सिंह और छह अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की. जोशी ने मेडिकल डॉक्यूमेंट्स, इंजरी रिपोर्ट और एक्स-रे भी जमा किए. इनमें कई चोटें होने की पुष्टि हुई थी. 

पीड़ित ने बताया था कि पहले भी उनके खिलाफ एक झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था. तब भी लोकेश्वर सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करके उन्हें धमकाया था. जोशी ने आरोप लगाया कि वो भ्रष्टाचार और नागरिक मुद्दों पर सवाल उठाते रहते थे, इसलिए उनके साथ ऐसा किया गया.  

जोशी ने स्पष्ट किया कि वो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, और छोटा-मोटा गारमेंट्स का बिजनेस चलाते हैं. साथ ही दावा किया कि उन्हें कभी किसी भी मामले में सजा नहीं हुई है.

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पैनल का आदेश.
पुलिस अधिकारी ने आरोपों को खारिज किया

लोकेश्वर सिंह ने अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के बीच दाखिल कई हलफनामों में जोशी पर हमला करने के आरोपों से इनकार किया था. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता को केवल वाहन आगजनी की घटनाओं के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. और उसी दिन परिवार के सदस्यों के साथ उन्हें वापस भेज दिया गया था. उन्होंने जोशी को अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति बताया और उनके खिलाफ सालों से दर्ज कई मामलों का जिक्र किया था. इनमें जुआ, मारपीट, लोक सेवक को गाली देना, पुलिस एक्ट, गुंडा एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत कई मामले शामिल हैं.

लोकेश्वर सिंह ने तर्क दिया था कि जोशी के खिलाफ की गई सभी कार्रवाइयां पुलिस को मिली शिकायतों के आधार पर की गई थीं. ये किसी निजी दुश्मनी के कारण नहीं की गईं. उन्होंने जोशी के उस आरोप का भी खंडन किया था कि उनके घर के पास पुलिस क्वार्टर्स से सीवेज डाला जा रहा है. लोकेश्वर ने बताया कि जांच में ऐसे आरोप साबित नहीं हुए, और ये एक्टिविस्ट खुद सरकारी जमीन पर कब्जा करके बैठा था.

काउंटर एफिडेविट में क्या बताया गया?

वहीं लक्ष्मी जोशी ने इन सभी आरोपों का खंडन किया. कहा कि उनके खिलाफ दर्ज हर केस लोकेश्वर सिंह के इशारे पर स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से दर्ज किया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी कोर्ट ने उन्हें किसी भी लंबित मामले में दोषी नहीं ठहराया है. सीवर का मुद्दा बिल्कुल वास्तविक था, सिर्फ शिकायत करने की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया.

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 6 फरवरी की घटना के दौरान उन्हें बिना CCTV कैमरे वाली एक कमरे में ले जाया गया. वहां जबरदस्ती उनके कपड़े उतारे गए. फिर बेरहमी से पीटा गया. खाली कागजों पर जबरन दस्तखत करवाए गए. और फिर वहां के पिछले गेट से धक्के मारकर बाहर फेंक दिया गया.

बाद में पुलिस शिकायत पैनल ने 7 फरवरी 2023 की मेडिकल रिपोर्ट्स की जांच की. जिनमें दर्ज चोटें जोशी के बताए समय के साथ पूरी तरह मेल खाती थीं. पैनल ने दोनों पक्षों की लिखित शिकायतें, नगरपालिका अधिकारियों के सीवेज विवाद संबंधी बयान, जमीन के निरीक्षण रिपोर्ट और जोशी के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों का विवरण भी देखा. 

उधर, लोकेश्वर सिंह ने लगातार यही दावा किया कि कोई मारपीट नहीं हुई और जोशी RTI के द्वारा दबाव बनाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन पैनल ने अधिकारी के बयान में कई विसंगतियां पाईं और शिकायतकर्ता का बयान व मेडिकल डॉक्यूमेंट्स को विश्वसनीय मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की.

वीडियो: पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर पर पॉजिशन के दुरुपयोग का किसने लगाया आरोप?

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