योगी सरकार ने 'जाति हटाने' वाले आदेश लागू किया, अखिलेश का तंज, 'घर धुलवाने की सोच का क्या?'
Akhilesh Yadav आरोप लगाते रहे हैं कि 2017 में जब उन्होंने आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास छोड़ा था, तो उसे गंगाजल से धोया गया था. अखिलेश का ताल्लुक यादव जाति से है, जो उत्तर प्रदेश की OBC जाति है.

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक जगहों पर जाति लिखने पर रोक लगाने का फैसला किया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया. यूपी के कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने यूपी के विभागों को जाति लिखने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. अब राज्य सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव ने जातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाया है.
अखिलेश यादव ने सवाल किया कि योगी सरकार ने जाति का जिक्र ना करने का आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन 5000 साल से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? उन्होंने तंज कसते हुए X पर लिखा,
"…और 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा?
और वस्त्र (कपड़े), वेशभूषा और प्रतीक चिह्नों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा?
और किसी के मिलने पर नाम से पहले 'जाति' पूछने की जातिगत भेदभाव की मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या किया जाएगा?"
अखिलेश यहीं नहीं रुके. उन्होंने इस आदेश के सहारे योगी सरकार का नाम लिए बिना जातिगत भेदभाव के कारण ‘घर धुलवाने की सोच’ भी याद दिला दी. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा,
"और किसी का घर धुलवाने की जातिगत भेदभाव की सोच का अंत करने के लिए क्या उपाय किया जाएगा?
और किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साजिशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?"
दरअसल, अखिलेश यादव आरोप लगाते रहे हैं कि 2017 में जब उन्होंने आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास छोड़ा था, तो उसे गंगाजल से धोया गया था. अखिलेश का ताल्लुक यादव जाति से है, जो उत्तर प्रदेश की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जाति है. अखिलेश की ताजा पोस्ट इसी ओर इशारा करती है.

इंडिया टुडे से जुड़े कुमार अभिषेक की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का पालने करने के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने यह आदेश जारी किया है. इस आदेश में FIR गिरफ्तारी मेमो आदि में जाति लिखने पर रोक लगाने के लिए कहा गया है. इसके अलावा, पिता/पति के कॉलम के साथ ही अब माता के नाम का कॉलम जोड़ा जाएगा.
थानों के नोटिस बोर्ड, प्राइवेट और पब्लिक गाड़ियों और साइनबोर्ड्स से जातीय संकेत और नारे हटाए जाएंगे. राजनीतिक मकसद से होने वाली जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. सोशल मीडिया पर भी सख्त निगरानी की जाएगी, ताकि जातिगत भेदभाव और भावनाएं भड़काने जैसी एक्टिविटी पर लगाम लग सके.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद दिवाकर ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR) में बदलाव किया जाए ताकि सभी प्राइवेट और पब्लिक गाड़ियों पर जाति आधारित स्लोगन और जाति बताने वाले स्टिकर पूरी तरह से प्रतिबंधित किए जाएं. साथ ही ऐसे चिह्न हटाने और गाड़ियों के मालिकों पर जुर्माना लगाने के लिए भी कहा गया.
हालांकि, SC/ST एक्ट जैसे मामलों में जाति का जिक्र करने की छूट रहेगी. हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए SOP और पुलिस मैनुअल में बदलाव किया जाएगा.
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