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'एंटी-वेस्ट ब्लॉक में नहीं जाएगा भारत', टैरिफ के बावजूद अमेरिका की उम्मीद बाकी है

अमेरिकी-चीन मामलों के एक्सपर्ट गॉर्डन चांग ने कहा कि ट्रंप को टैरिफ के मुद्दे पर और नरमी बरतने की जरूरत है. उन्हें ऐसा जरूर करना चाहिए क्योंकि अमेरिका के पास अब भी मौका है और US ने अब तक भी चीन के हाथों भारत को नहीं खोया है. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत भी अमेरिका और वेस्ट से संबंध खराब नहीं करना चाहता.

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US-China relations expert Gordon Chang On India China Anti West Alliance
SCO के दौरान मोदी, पुतिन और शी. (फोटो- PTI)
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रिदम कुमार
9 सितंबर 2025 (Published: 09:12 AM IST)
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SCO में भारत, चीन और रूस की करीबियों से अमेरिका भी कुछ सकपकाया-सा है. यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इमोशनल होकर कहा था कि उन्होंने चीन के हाथों भारत को खो दिया. लेकिन टैरिफ को लेकर चल रहे तनाव के बीच भारत के प्रति उनके तेवर में नरमी भी देखने को मिली थी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताते हुआ नरमी का संकेत दिया है. अब इसे मुद्दे पर अमेरिकी-चीन मामलों के एक्सपर्ट गॉर्डन चांग की एक अहम टिप्पणी सामने आई है.

फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में चांग ने कहा कि ट्रंप को टैरिफ के मुद्दे पर और नरमी बरतने की जरूरत है. उन्हें ऐसा जरूर करना चाहिए क्योंकि अमेरिका के पास अब भी मौका है और उन्होंने अब तक भी चीन के हाथों भारत को नहीं खोया है. न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत भी अमेरिका से संबंध खराब नहीं करना चाहता. 

उन्होंने SCO में मोदी की अलग-अलग देशों के प्रमुखों के साथ हुई बैठकों के दौरान भारत के कूटनीतिक संकेतों की ओर इशारा किया. चांग ने इसका हवाला देते हुए कहा कि भारत चीन, रूस, नॉर्थ कोरिया और ईरान की ओर से बनाए जा रहे इस पश्चिम-विरोधी ग्रुप (Anti-West Alliance) का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे. 

चांग ने कहा कि पीएम मोदी ने जिस तरह से कुछ खास बैठकों में हिस्सा लिया और कुछ में नहीं लिया, इससे यह माना जा सकता है कि भारत अपनी विदेश नीति में बहुत सावधानी से संतुलन बना रहा है. आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब यह भी है कि भारत ने अपनी रणनीति को इस तरह से चुना कि वह दोनों पक्षों (जिसमें अलग-अलग देशों के फायदे-नुकसान शामिल हैं) के साथ अच्छे रिश्ते बना सके, बिना किसी एक के साथ पूरी तरह से पक्षपाती हुए.

इस दावे को मजबूत करने के लिए एक और अहम तर्क है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में आयोजित SCO सम्मेलन में हिस्सा लिया. इसी दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक की. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर 3 सितंबर को बीजिंग में आयोजित सैन्य परेड में शामिल न होने का फैसला लिया. जबकि रूस, नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान और ईरान के नेता चीन की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने वाले इस कार्यक्रम के लिए रुके और इसमें भाग लिया. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: टैरिफ के बीच यूरोप को उकसा रहे ट्रंप, कैसे जवाब देगा भारत?

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