बर्थडे पर मुस्लिम फ्रेंड्स से मारपीट हुई, अब बरेली की छात्रा दोस्ती पर क्या बोली?
बरेली में बर्थडे वाले दिन कट्टरपंथी समूह के लोगों के हमले का शिकार हुई नर्सिंग छात्रा ने तीन दिन बाद अपनी आपबीती साझा की है. उसने कहा कि घटना के बाद से वह इतना डरी है कि घर से बाहर भी नहीं निकल पा रही.
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‘क्या मुझे धर्म के आधार पर दोस्त चुनना होगा?’ ये सवाल उस नर्सिंग स्टूडेंट ने पूछा है, जिसके जन्मदिन पर हिंदुत्ववादी समूह के लोगों ने जमकर तांडव मचाया था. बरेली के एक कैफे में छात्रा अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन मना रही थी. वहां मौजूद उसके 12 दोस्तों में 2 मुस्लिम समुदाय के थे. इसी बात को लेकर बजरंग दल के पूर्व मेंबर बताए जा रहे ऋषभ ठाकुर और दीपक चौधरी कैफे में घुस आए. अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उन्होंने दोनों मुस्लिम युवकों को बुरी तरह मारा और कहा कि वो ‘लव जिहाद’ कर रहे हैं.
22 साल की नर्सिंग की छात्रा अपने दोस्तों को बचाने के लिए उनसे लड़ती रही. लेकिन उन्होंने कथित तौर पर उस पर भी हमला किया और उसका फोन छीनने की कोशिश की. घटना के बाद से छात्रा डिप्रेशन में है. उसने कहा कि वह घर से बाहर निकलने से भी डर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में छात्रा ने कहा कि उसे बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही है क्योंकि उसके दोस्तों को उसके बर्थडे पर परेशान किया गया. उन पर हमला किया गया. उसने सवाल किया,
क्या अब मुझे अपने दोस्तों का चुनाव उनके धर्म के आधार पर करना होगा?
ये घटना उत्तर प्रदेश के बरेली में शनिवार, 27 दिसंबर को हुई थी, जब फाइनल ईयर की नर्सिंग स्टूडेंट एक कैफे में अपना बर्थडे मना रही थी. छात्रा ने बताया कि उसने अपने 40 क्लासमेट्स को बर्थडे पार्टी के लिए इनवाइट किया था. लेकिन उनमें से सिर्फ 12 आए थे. इनमें वकीब और शान भी शामिल थे. दोपहर करीब 12:30 बजे उसके सारे दोस्त कैफे में इकट्ठा हुए. इसके तकरीबन एक घंटे बाद जब वह अपना बर्थडे केक काट रही थी, तभी कुछ युवकों का एक ग्रुप कथित तौर पर नारे लगाते हुए अंदर घुस आया. छात्रा ने कहा,
उन्होंने मेरे क्लासमेट्स वकीब और शान पर हमला करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने हम में से कई लोगों के धर्म के बारे में पूछा और उनके साथ भी बद्तमीजी की. मेरे दोस्तों ने गुहार लगाई कि हमें जाने दो. लेकिन हमलावर लड़के वकीब और शान को पीटते रहे. दोनों को बहुत चोटें लगी हैं.
छात्रा का आरोप है कि हमलावरों ने उसका फोन भी छीनने की कोशिश की.
इस घटना ने छात्रा की मानसिक हालत पर बुरा असर डाला है. वह सदमे में है और घटना के बाद से अपने इंस्टिट्यूट वापस नहीं गई है. उसने अपना हॉस्टल भी छोड़ दिया है और बरेली में अपनी मौसी के घर पर रह रही है. उसने कहा,
मैं डिप्रेशन से गुजर रही हूं, क्योंकि इस घटना ने मेरी इमेज सिर्फ लोकल लेवल पर ही नहीं बल्कि नेशनल लेवल पर भी खराब की है. मुझे नहीं पता कि इनको (हमलावरों) ये अधिकार किसने दिया कि वे दूसरों को जज करें और तय करें कि मुझे किससे दोस्ती करनी चाहिए.
छात्रा ने कहा कि उसके माता-पिता और रिश्तेदारों ने कभी उसके मुस्लिम दोस्तों पर आपत्ति नहीं की. वह उनके साथ अक्सर सोशल मीडिया पर फोटो डालती है. छात्रा ने बताया, “मैंने बर्थडे पार्टी भी मां-पिता से पूछकर ही रखी थी. उन्हें पता है कि मेरे दोस्त कौन हैं. अगर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, तो ये लोग कौन होते हैं मुझे ‘समझाने’ वाले?”
छात्रा ने कहा कि उसकी परवरिश ऐसी नहीं है कि वह लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करे. उसने दावा किया कि ये हमला 'प्लान्ड' था क्योंकि कमरे में घुसते ही हमलावरों ने वकीब और शान को निशाना बनाया. छात्रा का कहना है कि पुलिस को इस बात की जांच करनी चाहिए कि उन्हें ये बात किसने बताई.
इस घटना के बारे में विस्तार से यहां पढ़ेंः छात्रा की बर्थडे पार्टी में 'हिंदुत्ववादी' भीड़ ने मुस्लिम लड़कों को पीटा
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