कोडीन युक्त सिरप तस्करी केस में बड़ा खुलासा, SIT रिपोर्ट में अखिलेश सरकार दौर के लाइसेंस पर सवाल
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान कई संदिग्ध फर्मों को ऐसे लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनका बाद में दुरुपयोग तस्करी के लिए हुआ.

उत्तर प्रदेश में ‘कोडीन युक्त सिरप’ की तस्करी मामले में बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ करने वाली विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. रिपोर्ट में इस सिंडिकेट से जुड़े कई गंभीर और सनसनीखेज दावे हुए हैं, जो प्रदेश में ड्रग माफियाओं के नेटवर्क का खुलासा करती है.
इंडिया टुडे से जुड़े समर्थ श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक SIT ने बताया कि सिंडिकेट के मुखिया विभोर राणा को साल 2016 में कफ सिरप मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का लाइसेंस मिला था. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान कई संदिग्ध फर्मों को ऐसे लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनका बाद में दुरुपयोग तस्करी के लिए हुआ.
तस्करी के लिए स्टॉक डायवर्ट किया गयानेपाल बॉर्डर पर मदरसा नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई के बाद विभोर राणा और उनकी कंपनी ने तस्करी को अस्थायी रूप से रोक दिया था. सीमा पर बढ़ती सख्ती के कारण आरोपी विभोर ने एबॉट कंपनी से लगभग एक करोड़ बोतल कफ सिरप वापस लेने की मांग की थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विभोर के सहयोगी सौरभ और पप्पन के पास भी बड़ा स्टॉक फंसा हुआ था.
SIT के मुताबिक, विभोर का स्टॉक तस्करी के लिए शुभम जायसवाल को डायवर्ट किया गया था. शुभम जायसवाल के सहयोगी मनोज यादव के वाराणसी स्थित गोदाम से कफ सिरप का बड़ा स्टॉक बरामद किया गया था. इस कफ सिरप सिंडिकेट में हवाला नेटवर्क के माध्यम से माल का डायवर्जन और पैसे का लेन-देन हो रहा था. तस्करी का मुख्य रूट हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों से होकर गुजरता था.
नेपाल सीमा से लगे यूपी के इलाकों में कफ सिरप तस्करी के साथ-साथ धर्मांतरण गिरोह चलाने वाले छांगुर का नेटवर्क भी सक्रिय पाया गया. मध्य प्रदेश में कोडीन युक्त सिरप से हुई मौतों की घटना के बाद जांच में तेजी आई और कई आरोपी जांच के दायरे में आए. सीमा पर बढ़ती सख्ती से तस्करी में बाधा आने के कारण सिंडिकेट माल को इधर-उधर खपाने की कोशिश कर रहा था, जिससे इसका खुलासा हो गया.
विधानसभा में हंगामाउत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार, 22 दिसंबर को कोडीन युक्त कफ सिरप के मुद्दे पर जोरदार हुआ. समाजवादी पार्टी (SP) के विधायकों ने सदन में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन असंतुष्ट होने पर वो नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए. इससे सदन की कार्यवाही में काफी व्यवधान हुआ. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार सत्र की शुरुआत होते ही सपा विधायकों ने कोडीन सिरप की तस्करी और नशे की लत के मुद्दे को उठाया. उन्होंने सरकार से इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि कोडीन की वजह से प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है. उन्होंने पूछा,
"सरकार अपना पक्ष रख रही है कि कोई मौत नहीं हुई, तो इसमें किसी को क्या दिक्कत है?"
इस बयान से नाराज सपा विधायक हंगामा करते हुए वेल में पहुंच गए और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी. सदन में काफी देर तक हंगामा रहा. इस बीच, अन्य मुद्दों पर भी बयानबाजी हुई. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सप्लीमेंट्री बजट पर बोलते हुए कहा कि ये उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जरूरी है. उन्होंने सपा को "एजेंडा-लेस पार्टी" करार दिया और कहा कि 2027 में वो सैफई वापस चले जाएंगे.
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट विधेयक पारित होने पर राज्य के लोगों को बधाई दी. मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सीएम योगी की तारीफ करते हुए कहा कि वे ईमानदारी से काम करते हैं और सप्लीमेंट्री बजट से लोगों की उम्मीदें पूरी होंगी. मंत्री संजय निषाद ने कोडीन मामले पर सपा को घेरा और कहा कि विपक्ष होने के नाते वो विरोध करेंगे, लेकिन ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है. लाइसेंस केंद्र सरकार देती है, फिर भी यूपी सरकार ने कार्रवाई की और अपराधियों को जेल भेजा. किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने सप्लीमेंट्री बजट पर तंज कसा कि सरकार अपना बजट भी खर्च नहीं कर पाती. वंदे मातरम पर कहा कि हर कोई इसे मानता है, लेकिन सत्ता पक्ष जरूरी मुद्दों से भाग रहा है.
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