UAE ने यमन से अपनी बची हुई सेना वापस बुलाई, सऊदी हमले के बाद बढ़ा तनाव
Saudi-UAE Tensions: सऊदी अरब और यूएई पिछले एक दशक से यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ साथ लड़ रहे थे. लेकिन समय के साथ दोनों के हित अलग हो गए. सऊदी अरब ने यूएई पर आरोप लगाया कि वो STC पर दबाव डालकर उसे सऊदी सीमा की ओर बढ़ने के लिए उकसा रहा है, जो रियाद के लिए रेड लाइन है.

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगलवार, 30 दिसंबर को बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि वो यमन से अपनी बची सेना को वापस बुला रहा है. ये फैसला सऊदी अरब द्वारा यमन के दक्षिणी बंदरगाह मुकल्ला पर किए गए हवाई हमले के कुछ घंटों बाद लिया गया. UAE के ऐलान के तुरंत बाद सऊदी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने हवाई हमला किया. उनका दावा था कि ये हमला अलगाववादी ताकतों के लिए जा रहे हथियारों की खेप पर किया गया था. हालांकि यूएई ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उस खेप में कोई हथियार नहीं थे.
बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रियाद ने इसे यूएई समर्थित दक्षिणी अलगाववादी गुट साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए भेजी गई खेप बताया और इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया. यूएई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि खेप में कोई हथियार नहीं थे और वो सामान उसने अपनी ही सेना के लिए भेजा था.

यूएई रक्षा मंत्रालय ने इसे आश्चर्यजनक बताया और कहा कि वो तनाव बढ़ने से रोकने के लिए तथ्यों के आधार पर समाधान चाहता है.
क्या है पूरा मामला?सऊदी अरब ने यूएई पर आरोप लगाया कि वो STC पर दबाव डालकर उसे सऊदी सीमा की ओर बढ़ने के लिए उकसा रहा है, जो रियाद के लिए रेड लाइन है. यमन के सऊदी समर्थित राष्ट्रपति परिषद के प्रमुख रशाद अल-अलीमी ने यूएई को 24 घंटे के अंदर अपनी सेना वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था. साथ ही यूएई के साथ रक्षा समझौते को रद्द कर दिया था.
यूएई ने कहा कि उसके यमन में बचे हुए सैनिक केवल काउंटर-टेररिज्म (आतंकवाद-रोधी) मिशन के लिए थे. जो 2019 से ही संख्या में काफी कम हो चुके थे. हाल की घटनाओं के बाद इस मिशन की पूरी समीक्षा की गई और इसे स्वेच्छा से समाप्त करने का फैसला लिया गया. बीबीसी में छपी रिपोर्ट के अनुसार यूएई के विदेश मंत्रालय ने रियाद के आरोपों की कड़ी निंदा करते हुए कहा,
“यूएई ने यमन के किसी भी पक्ष पर दबाव नहीं डाला, ना ही ऐसा कोई निर्देश दिए कि वो सैन्य कार्रवाई करें जिससे सऊदी अरब की सुरक्षा को खतरा हो या उसकी सीमाओं को निशाना बनाया जाए."
मंत्रालय ने ये भी जोर देकर कहा कि यूएई ने शुरू से ही STC (दक्षिणी ट्रांजिशनल काउंसिल) की सैन्य कार्रवाइयों के बाद स्थिति को नियंत्रित करने, तनाव कम करने की कोशिशों का समर्थन करने और ऐसे समझौतों को बढ़ावा देने पर फोकस किया है, जो सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने में मदद करें.
सऊदी सेना हवाई हमले का फुटेज जारी कियासऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने पूर्वी यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर की गई इस बड़ी एयरस्ट्राइक का वीडियो भी जारी किया है. फुटेज में दिखाया गया है कि हवाई हमलों से UAE (संयुक्त अरब अमीरात) द्वारा सप्लाई किए गए सैन्य वाहनों और हथियारों को नष्ट कर दिया गया. हमले में बंदरगाह पर पहुंच रहे कॉम्बैट वाहनों और बख्तरबंद गाड़ियों को सटीक बमबारी से उड़ाया गया. जिसमें जोरदार विस्फोट और आग की लपटें साफ नजर आ रही हैं.
गठबंधन का कहना है कि ये ऑपरेशन युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे सैन्य हार्डवेयर को निष्क्रिय करने के लिए किया गया था. खासकर यूएई-समर्थित अलगाववादी ताकतों (STC) के लिए भेजी गए हथियारों की खेप को रोकने के उद्देश्य से इसे अंजाम दिया गया.
सऊदी-यूएई रिश्तों में दरारसऊदी अरब और यूएई पिछले एक दशक से यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ साथ लड़ रहे थे. लेकिन समय के साथ दोनों के हित अलग हो गए. सऊदी अरब यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन करता रहा है. यूएई ने दक्षिणी अलगाववादियों (STC) के साथ गठजोड़ बढ़ाया, जो दक्षिण यमन की स्वतंत्रता चाहते हैं.
ये पहली बार है जब दोनों खाड़ी सहयोगी देशों के बीच इतना खुला और गंभीर विवाद सामने आया है. इस तनाव से तेल बाजार भी प्रभावित हुआ है, क्योंकि दोनों OPEC के बड़े सदस्य हैं. फिलहाल यूएई की वापसी से तात्कालिक तनाव कम हो सकता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या अबू धाबी STC को राजनीतिक या आर्थिक रूप से समर्थन देना जारी रखेगा.
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