'तेजस्वी की कुर्सी हथियाना चाहते हैं...', संजय यादव के खिलाफ बहन के सपोर्ट में उतरे तेज प्रताप
Tej Pratap Yadav अपनी बहन Rohini acharya के समर्थन में उतर आए हैं और उन्होंने एक बार फिर इशारों-इशारों में Sanjay yadav को ‘जयचंद’ बता दिया है. लेकिन मामला शुरू कहां से हुआ?
.webp?width=210)
बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) से पहले लालू परिवार में खींचतान मची हुई है. बीते दिन, रोहिणी आचार्य (Rohini acharya) ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए तेजस्वी यादव के करीबी और राज्यसभा सांसद संजय यादव (Sanjay yadav) पर निशाना साधा था. अब पार्टी से निकाले गए तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) भी अपनी बहन रोहिणी के समर्थन में उतर आए हैं और उन्होंने एक बार फिर इशारों-इशारों में संजय यादव को ‘जयचंद’ बता दिया है.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, एक भाषण के दौरान तेज प्रताप यादव ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ लोग तेजस्वी की कुर्सी हथियाने की फिराक में हैं. उन्होंने इशारों-इशारों में संजय यादव को 'जयचंद' करार देते हुए कहा कि परिवार में जो भी मतभेद हैं, उनका फायदा उठाकर बाहरी लोग सत्ता हासिल करना चाहते हैं. आगे कहा,
आपने हाल ही में न्यूज चैनल या अखबार के जरिए देखा होगा कि कौन किसकी कुर्सी हथियाना चाहता है. हम जयचंदो का नाम नहीं लेना चाहते हैं.
तेज प्रताप ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि रोहिणी आचार्य ने जो आवाज उठाई है, वह आत्मसम्मान की लड़ाई है और हर किसी को यह समझना होगा.
कहां से शुरू हुआ मामला?लालू यादव की दूसरी बेटी और सारण से लोकसभा चुनाव लड़ चुकीं रोहिणी आचार्य ने 18 सितंबर की सुबह एक फेसबुक पोस्ट शेयर किया, जिसमें संजय यादव के खिलाफ टिप्पणी की गई थी. फेसबुक पर पटना के आलोक कुमार ने एक पोस्ट लिखा, जिसमें तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान उनके रथ (बस) में उस सीट पर संजय यादव बैठे दिख रहे हैं, जो तेजस्वी यादव की है. आलोक कुमार ने लिखा,
फ्रंट सीट हमेशा शीर्ष नेता नेतृत्व के लिए रिजर्व होती है. उनकी गैरमौजूदगी में भी किसी को उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए. वैसे अगर 'कोई' अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है!
पूरे बिहार के साथ-साथ हम तमाम लोग इस सीट (फ्रंट सीट) पर लालू यादव और तेजस्वी यादव को बैठे देखने के अभ्यस्त हैं. उनकी जगह पर कोई और बैठे, ये हमें तो कतई मंजूर नहीं है.
इसके बाद रोहिणी आचार्य ने 19 सितंबर की शाम ‘X’ पर दो पोस्ट किए. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा,
जो जान हथेली पर रखते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, बेखौफी-बेबाकी-खुद्दारी तो उनके लहू में बहती है.
रोहिणी ने इस पोस्ट के जरिए एक साथ कई निशाने साधे. जो वीडियो शेयर किया वो उस दौरान का है जब उन्होंने पिता लालू यादव को किडनी दान दी थी. रोहिणी ने इशारों में यह बताने की कोशिश की परिवार के सबसे मुश्किल दौर में, मदद के लिए वह सबसे आगे खड़ी थीं.
लेकिन शाम होते-होते उनकी जो दूसरी प्रतिक्रिया आई उसमें परिवार के भीतर की खींचतान साफ नजर आने लगी. रोहिणी ने तंज और भावुकता दोनों को साधते हुए कहा कि उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया और उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है. उन्होंने लिखा,
मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना कर्तव्य एवं धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. मेरे लिए मेरा आत्म-सम्मान सर्वोपरि है.

संजय यादव बीते कुछ सालों से राजनीति में तेजस्वी के आंख-नाक-कान माने जाते हैं. वो तेजस्वी के सलाहकार की भूमिका में तो नजर आते ही हैं, RJD को नजदीक से जानने वाले बताते हैं वह पार्टी में रणनीतिकार की भूमिका में भी हैं.
ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार की खींचतान बढ़ी, बात बेटी रोहिणी के 'आत्म-सम्मान' तक पहुंच गई
माना जा रहा है कि संजय का यही बढ़ता कद और पार्टी में उनकी भूमिका अब कुछ लोगों को अखर रही है. और उनमें रोहिणी को भी गिना जा रहा है. इससे पहले भी तेजप्रताप यादव उन पर निशाना साध चुके है. विवाद असल में किस बात पर है, इसकी जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है. लेकिन इतना जरूर है कि बढ़ता विवाद चुनाव में तेजस्वी की राजनीति और लालू परिवार दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.
वीडियो: तेज प्रताप यादव जा रहे कोर्ट, परिवार और करियर खराब करने वालों पर करेंगे केस