बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार की खींचतान बढ़ी, बात बेटी रोहिणी के 'आत्म-सम्मान' तक पहुंच गई
बीते दो दिनों में सोशल मीडिया पर रोहिणी की कुछ ऐसी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, जिनमें साफ नज़र आने लगा है कि लालू परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

क्या लालू यादव के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? क्या तेज प्रताप को घर से निकालने के बाद लालू यादव का परिवार एक बार फिर बिखराव की कगार पर आ पहुंचा है? बिहार की राजनीति में ये सवाल यूं ही नहीं उठ रहे हैं, लालू की बेटी रोहिणी आचार्य सोशल मीडिया पर जो टिप्पणियां कर रही हैं, उनसे इन सवालों को बल मिल रहा है. 19 सितंबर की शाम रोहिणी ने X पर जो लिखा, आप खुद ही देख लीजिए.
मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना कर्तव्य एवं धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. मेरे लिए मेरा आत्म-सम्मान सर्वोपरि है.
कहानी आगे बढ़ाएं उससे पहले रोहिणी का एक और X पोस्ट देखना जरूरी है. ये पोस्ट भी रोहिणी ने कुछ घंटे पहले ही किया था. उन्होंने लिखा,
जो जान हथेली पर रखते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, बेखौफी-बेबाकी-खुद्दारी तो उनके लहू में बहती है.
रोहिणी ने इस पोस्ट के जरिए एक साथ कई निशाने साधे. जो वीडियो शेयर किया वो उस दौरान का है जब उन्होंने पिता लालू यादव को किडनी दान दी थी. रोहिणी ने इशारों में यह बताने की कोशिश की परिवार के सबसे मुश्किल दौर में, मदद के लिए वह सबसे आगे खड़ी थीं.
लेकिन शाम होते-होते उनकी जो दूसरी प्रतिक्रिया आई उसमें परिवार के भीतर की खींचतान साफ नज़र आने लगी. रोहिणी ने तंज और भावुकता दोनों को साधते हुए कहा कि उन्होंने अपना कर्तव्य निभाया और उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है. उन्होंने आत्मसम्मान तक की बात याद दिला दी.
क्रोनोलॉजी में थोड़ा-सा और पीछे चलते हैं. जहां से हमें उनकी नाराज़गी के कारणों के संकेत पता चलेंगे. 18 सितंबर की सुबह रोहिणी ने एक फेसबुक पोस्ट को शेयर किया. खुद नहीं लिखा, सिर्फ शेेयर किया. इस पोस्ट में एक फोटो थी. इसमें तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान उनके रथ (बस) में उस सीट पर संजय यादव बैठे दिख रहे हैं, जो तेजस्वी यादव की थी.
लोग भी लालू परिवार के भीतर उठे तूफान को समझ रहे हैं. जिस पोस्ट को रोहिणी ने शेयर किया उस पर एक शख्स ने लिखा,
फ्रंट सीट हमेशा शीर्ष नेता नेतृत्व के लिए रिजर्व होती है. उनकी गैरमौजूदगी में भी किसी को उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए. वैसे अगर 'कोई' अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है!
पूरे बिहार के साथ-साथ हम तमाम लोग इस सीट (फ्रंट सीट) पर लालू यादव और तेजस्वी यादव को बैठे देखने के अभ्यस्त हैं. उनकी जगह पर कोई और बैठे, ये हमें तो कतई मंजूर नहीं है.
जाहिर तौर पर इस पोस्ट में संजय यादव को निशाना बनाया गया था. और रोहिणी ने इस पोस्ट को शेयर कर अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी.
संजय यादव बीते कुछ सालों से राजनीति में तेजस्वी के आंख-नाक-कान माने जाते हैं. वो तेजस्वी के सलाहकार की भूमिका में तो नज़र आते ही हैं, आरजेडी को नज़दीक से जानने वाले बताते हैं वह पार्टी में रणनीतिकार की भूमिका में भी हैं.
संजय और तेजस्वी की दोस्ती की शुरुआत क्रिकेट के मैदान से हुई थी. कहा जाता है कि तेजस्वी को राजनीति में तेज-तर्रार बनाने में संजय की भूमिका भी अहम रही है. जितना तेजस्वी आगे बढ़े, उतना ही दोनों की दोस्ती और पार्टी में संजय का कद भी बढ़ता गया. दोस्ती का नतीजा ये रहा कि संजय यादव राजद से राज्यसभा सांसद हैं.
लेकिन माना जा रहा है कि संजय का यही बढ़ता कद और पार्टी में उनकी भूमिका अब कुछ लोगों को अखर रही है. और उनमें रोहिणी को भी गिना जा रहा है. विवाद असल में किस बात पर है, इसकी जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है. लेकिन इतना जरूर है कि बढ़ता विवाद चुनाव में तेजस्वी की राजनीति और लालू परिवार दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.
वीडियो: राजधानी: लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ आने की क्या संभावना है?