गुजरात में किसान को मिली व्हेल की 'उल्टी', कीमत 5 करोड़ से ज्यादा, बेचने निकला पकड़ा गया
एक किसान को व्हेल मछली की ‘उल्टी’ मिली, जिसे एम्बरग्रीस (Ambergris) भी कहा जाता है. इसका वजन पांच किलो से ज्यादा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत पांच करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है.

गुजरात के सूरत में एक किसान के पास से व्हेल मछली की ‘उल्टी’ मिली है, जिसे एम्बरग्रीस (Ambergris) भी कहा जाता है. इसका वजन पांच किलो से ज्यादा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत पांच करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है. एम्बरग्रीस बेहद कीमती होता है, क्योंकि इससे महंगे परफ्यूम और दवाइयां बनाई जाती हैं. भारत में इसकी बिक्री बैन है. किसान जब अवैध रूप से इसे बेचने के लिए जा रहा था, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
क्या है पूरा मामला?आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत शहर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने वराछा हीराबाग सर्कल से एक शख्स को गिरफ्तार किया है. जिसके पास से 5.72 किलो एम्बरग्रीस बरामद हुई है. आरोपी की पहचान भावनगर जिले के हाथब गांव के रहने वाले विपुल भूपतभाई बांभणिया के तौर पर हुई है. विपुल ने पेशे से खुद को किसान बताया है.
जब पुलिस ने पूछा कि इतनी कीमती वस्तु उनके पास कैसे आई तो बताया कि लगभग चार महीने पहले उसे भावनगर के हाथब गांव के समुद्र तट पर मोम जैसा टुकड़ा मिला, तो उसने तुरंत पहचान लिया कि यह कोई साधारण चीज नहीं, बल्कि एम्बरग्रीस है. इसके बाद उसने इसे स्थानीय स्तर पर बेचने की कोशिश की, लेकिन खरीदार न मिलने पर वह इसे सूरत लेकर आ गया. वह एम्बरग्रीस को बेचने की तैयारी में था, लेकिन तभी पुलिस ने उसे पकड़ लिया.

आरोपी को आगे की जांच के लिए गुजरात वन विभाग को सौंप दिया गया है. वन विभाग अब यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि विपुल अकेला काम कर रहा था या फिर किसी बड़े अंतरराज्यीय तस्करी नेटवर्क का हिस्सा है. पुलिस को उसके मोबाइल फोन से कई संदिग्ध संपर्क मिले हैं. फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है.
क्या होता है एम्बरग्रीस?एम्बरग्रीस, स्पर्म व्हेल की उल्टी होती है. स्पर्म व्हेल, मछलियों की एक किस्म है, जो अपने भारी भरकम सिर के चलते अलग ही पहचान में आती हैं. इन्हें पसंद होती हैं मछलियां (खासकर कटल फिश) और स्क्विड. स्क्विड गहरे पानी में रहने वाला एक समुद्री जीव होता है, जो तकरीबन 1 किलोमीटर गहरे समंदर में रहता है और यहीं आकर स्पर्म व्हेल इनका शिकार करती हैं.
स्पर्म व्हेल, स्क्विड और कटल फिश की चोंच और हड्डियां नहीं पचा पातीं. तो वो इन्हें उल्टी करके शरीर से बाहर निकाल देती हैं. लेकिन कई बार ये व्हेल की आंतों में रह जाते हैं. आंत में हिलने डुलने से छोटे-छोटे टुकड़े जुड़कर बड़े हो जाते हैं. इन्हें चिपकाने का काम करता है बाइल - व्हेल के लीवर से निकलने वाला एक पाचक रस. ऐसे व्हेल की आंतों में बनता है एम्बरग्रीस. जो उल्टी के जरिए बाहर आता है.
परफ्यूम कैसे बनता है इस उल्टी से?एक बार जब स्पर्म व्हेल एम्बरग्रीस को शरीर से बाहर निकाल देती हैं. तो यह चिपचिपा और काले रंग का पदार्थ पानी में तैरने लगता है. तब इससे बड़ी तेज़ बदबू निकलती है. लेकिन वक्त के साथ समंदर के पानी और धूप का असर होता है और बदबू कम होने लगती है. काले से इसका रंग बदलकर ग्रे, और फिर आखिर में सफेद हो जाता है - सख्त मोम की तरह. जैसे-जैसे रंग बदलता है बदबू की जगह ले लेती है खुशबू.
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समंदर में तैरते-तैरते एम्बरग्रीस लहरों के साथ किनारे तक आ जाता है. लेकिन कई बार इसमें सालों लगते हैं. वक्त के साथ एम्बरग्रीस की खुशबू बढ़ती जाती है. इसलिए एम्बरग्रीस जितना वक्त समंदर में तैरेगा, उतना ही वो कीमती माना जाता है. इसका इस्तेमाल परफ्यूम, इत्र, ब्यूटी प्रोडेक्ट्स और दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. लेकिन दुनिया की कई सरकारों ने एम्बरग्रीस के इस्तेमाल पर बैन लगाया ताकि इससे स्पर्म व्हेल के शिकार को बढ़ावा न मिले.
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