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स्पर्म व्हेल की उल्टी मिल जाए, तो आप करोड़पति बन सकते हैं

मुंबई में एक शख्स के पास मिली उल्टी की कीमत 1.7 करोड़ थी.

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स्पर्म व्हेल, और उसकी उल्टी.
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25 जून 2019 (Updated: 25 जून 2019, 08:29 AM IST)
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उल्टी. इसे देखकर क्या, सुनकर ही मन खराब हो जाए. पर आपको पता है कि आप उल्टी से करोड़पति भी बन सकते हैं. दरअसल, कुछ दिन पहले मुंबई पुलिस ने एक आदमी को गिरफ्तार किया था. क्योंकि वो उल्टी बेचने के लिए मुंबई आया था. ये ऐसी वैसी उल्टी नहीं थी. करोड़ों की कीमत वाली थी. इसे अवैध रूप से बेचने पर पुलिस पकड़कर ले जाती है. क्योंकि ये थी व्हेल मछली की उल्टी. जिससे परफ्यूम बनता है.
मुंबई में गिरफ्तार शख्स के पास से 1.3 किलो उल्टी बरामद हुई है. बाज़ार भाव में इसकी कीमत 1 करोड़ 70 लाख के करीब थी. गिरफ्तार शख्स पर वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत केस भी दर्ज कर लिया गया है.
क्या खास है इस उल्टी में?
इस कहानी के तीन किरदार हैं - मछली, उसका खाना और फिर उल्टी. बारी बारी से इनके बारे में आपको बताते हैं.
>> मछली : ये उल्टी स्पर्म व्हेल की थी. व्हेल मछलियों की एक किस्म जो अपने भारी भरकम सिर के चलते अलग ही पहचान में आती हैं. पूरी तरह विकसित स्पर्म व्हेल एक स्कूल बस से भी बड़ी हो सकती है. 49 से 59 फीट लंबाई और 35 से 45 टन तक वज़न हो जाता है. धरती पर आज तक जितने जीव हुए हैं, उनमें सबसे बड़ा दिमाग स्पर्म व्हेल का ही है. दिमाग के अलावा स्पर्म व्हेल के फेफड़े भी कमाल के होते हैं. एक बार में ये 90 मिनिट तक गोता लगा सकती हैं. इतने वक्त में ये खाने की तलाश में ये समंदर में एक किलोमीटर की गहराई तक उतर जाती हैं.
>> मछली का खाना : भारी भरकम स्पर्म व्हेल बड़ी पेटू भी होती हैं. इन्हें पसंद होती हैं मछलियां (खासकर कटल फिश) और स्क्विड. स्क्विड गहरे पानी में रहने वाला एक समुद्री जीव होता है. लंबे बदन के इस जीव के ऑक्टोपस की तरह ही आठ हाथ होते हैं. हाथों के अंदर एक चोंच. दिखने में थोड़ा डरावना होता है तो इसके इर्द गिर्द कई मिथक भी गढ़े गए. स्क्विड रहती है तकरीबन 1 किलोमीटर गहरे समंदर में और यहीं आकर स्पर्म व्हेल इनका शिकार करती हैं.
>> मछली की उल्टी : स्पर्म व्हेल की जो उल्टी मुंबई में स्मगल होती पकड़ी गई, उसे कहते हैं एम्बरग्रिस. लेकिन स्पर्मव्हेल की हर उल्टी एम्बरग्रिस नहीं होती. कंफ्यूज़ मत होइए. धीरे-धीरे समझाते हैं. चक्कर ये है कि व्हेल स्क्विड और कटल फिश की चोंच और हड्डियां नहीं पचा पातीं. तो वो इन्हें उल्टी करके शरीर से बाहर निकाल देती हैं. लेकिन कई बार ये व्हेल की आंतों में रह जाते हैं. आंत में हिलने डुलने से छोटे-छोटे टुकड़े मिलकर बड़े हो जाते हैं. इनमें गोंद का काम करता है बाइल - व्हेल के लीवर से निकलने वाला एक पाचक रस. ऐसे व्हेल की आंतों में बनता है एम्बरग्रिस. ऐसा माना जाता है कि एम्बरग्रिस के चलते व्हेल की आंतें स्क्विड की तीखी चोंच से लगने वाले घाव से बची रहती हैं.
एम्बरग्रिस व्हेल के शरीर में अतंड़ियों में बनता है. लेकिन बाहर कैसे आता है, इसमें मतभेद है. एक मत है कि व्हेल एम्बरग्रिस को उगलती हैं. यहीं से एम्बरग्रिस के व्हेल वॉमिट या व्हेल की उल्टी होने की बात आई. दूसरे मत के अनुसार ये व्हेल के पाखाने के साथ बाहर आता है. एक तीसरा मत भी है. इसके मुताबिक एम्बरग्रिस जाकर व्हेल के मलाशय (रेक्टम) में जाकर फंस जाता है. वहां फंसे-फंसे वो इतना बढ़ जाता है कि व्हेल का मलाशय फट जाता है. लेकिन आज तक कम ही ऐसा हुआ है कि एम्बरग्रिस किसी व्हेल के कंकाल में मिला हो. सिर्फ 5 % मामलों में ऐसा हुआ है.
एमबरग्रिस. स्पर्म व्हेल की उल्टी.
एमबरग्रिस. स्पर्म व्हेल की उल्टी.

परफ्यूम कैसे बनता है इस उल्टी से?
एक बार जब स्पर्म व्हेल एम्बरग्रिस को शरीर से बाहर निकाल देती हैं. तो यह चिपचिपा और काले रंग का पदार्थ पानी में तैरने लगता है. तब इससे बड़ी तेज़ बदबू निकलती है. लेकिन वक्त के साथ समंदर के पानी और धूप का असर होता है और बदबू कम होने लगती है. काले से इसका रंग बदलकर ग्रे, और फिर आखिर में सफेद हो जाता है - सख्त मोम की तरह. जैसे-जैसे रंग बदलता है बदबू की जगह ले लेती है खुशबू. समंदर में तैरते-तैरते एम्बरग्रिस लहरों के साथ किनारे तक आ जाता है. लेकिन कई बार इसमें सालों लगते हैं. वक्त के साथ एम्बरग्रिस की खुशबू बढ़ती जाती है. इसलिए एम्बरग्रिस जितना वक्त समंदर में तैरेगा, उतना ही वो कीमती माना जाता है.
एम्बरग्रिस से एक पदार्थ निकाला जाता है एम्बरीन नाम का. इसमें महक नहीं होती. लेकिन इसे पर्फ्यूम में मिलाने से उसकी खुशबू ज़्यादा वक्त तक बनी रहती है. इंसान परफ्यूम के लिए तकरीबन 1000 साल से एम्बरग्रिस का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन कई सालों तक हमें मालूम ही नहीं था कि ये दरअसल व्हेल की उल्टी है.
इतनी कीमती क्यों होती है ये उल्टी?
स्पर्म व्हेल में भी बहुत कम ही होती हैं जो एम्बरग्रिस बनाती हैं. फिर इसके समंदर में तैरते तैरते या किनारे लगने पर किसी को मिल जाना चांस की बात है. इसीलिए एम्बरग्रिस बेहद महंगा होता है. काले एम्बरग्रिस में सबसे कम एम्बरीन होता है. इसीलिए इसकी कीमत सबसे कम होती है. रंग के साथ-साथ एम्बरीन की मात्रा बढ़ती है और सबसे ज़्यादा दाम मिलते हैं सफेद एम्बरग्रिस के.
क्या एम्बरग्रिस के इस्तेमाल से स्पर्म व्हेल को खतरा है?
जिन परफ्यूम में एमबरग्रिस का इस्तेमाल होता है, वो काफी महंगे भी बेचे जाते हैं. पुराने दौर में एम्बरग्रिस स्पर्म व्हेल के शिकार की एक वजह था. लेकिन चूंकि एम्बरग्रिस बहुत मंहगा होता है, वक्त के साथ परफ्यूम बनाने वाले सिन्थेटिक एमबरग्रिस की तरफ मुड़ गए. लेकिन कुदरती एम्बरग्रिस की आज भी अच्छी खासी डिमांड है.
स्क्विड्स, जो स्पर्म व्हेल का भोजन है.
स्क्विड, जो स्पर्म व्हेल का भोजन हैं.

समंदर में तैरते एम्बरग्रिस को इकट्ठा करने से व्हेल को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. फिर भी दुनिया की कई सरकारों ने एम्बरग्रिस के इस्तेमाल पर बैन लगाया ताकि इससे स्पर्म व्हेल के शिकार को बढ़ावा न मिले. मिसाल के लिए अमेरिका. लेकिन चूंकि फ्रांस जैसे बाज़ारों में इसकी काफी डिमांड है, और खरीददार महंगी कीमत चुकाने को तैयार हैं, तो एम्बरग्रिस इकट्ठा करने वाले और उन्हें बेचने वाले इस काम में लगे रहते हैं. वैसे कई बार ये लोग धोखा भी खा जाते हैं. एमबरग्रिस के चक्कर में समुद्र के किनार पड़े पत्थरों से कंफ्यूज़ हो जाते हैं.
एम्बरग्रिस का इस्तेमाल सिर्फ परफ्यूम के लिए ही नहीं होता. अरब में लोग इसे अनबर कहते थे. इसका इस्तेमाल धूप (खुशबू वाली), और दिल की दवा के तौर पर करते थे.
पुनश्चः
स्पर्म व्हेल को उसका नाम कैसे मिला, इसकी कहानी भी दिलचस्प है. इस व्हेल के बड़े से सिर में एक चिपचिपा पदार्थ मिलता है जिसे कहते हैं स्पर्मासेटी. व्हेल के शिकार करने वालों को ये वीर्य लगता था. माने स्पर्म. हम फिलहाल नहीं जानते कि स्पर्मासेटी का काम क्या होता है. कुछ कहते हैं कि ठंडा होने पर मोम की तरह जम जाने वाले इस पदार्थ से व्हेल को पानी में ऊपर उठने में मदद मिलती है. खैर जो भी हो, इससे व्हेल को नाम ज़रूर मिल गया - स्पर्मासेटी व्हेल. यही छोटा होकर स्पर्म व्हेल बन गया. 1851 में अमेरिका में एक नॉवल लिखा गया 'मोबी डिक' नाम से. ये एक बड़ी सी सफेद स्पर्म व्हेल और कुछ जहाज़ियों (व्हेल हंटर) की कहानी थी. ये नॉवल बड़ा मशहूर हुआ और इसपर फिल्में भी बनीं. मोबी डिक भी एक स्पर्म व्हेल ही थी.

ये खबर हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं मानसी ने की है.




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