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'जिंदगी सिर्फ़ चुनाव लड़ने के लिए नहीं', ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

Delhi Riots accused Tahir Hussain की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. फिर इसे लेकर वो Supreme Court पहुंचे. इसी पर 21 जनवरी को सुनवाई हो रही थी.

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Tahir Hussain
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. (फ़ोटो - आजतक)
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21 जनवरी 2025 (Updated: 21 जनवरी 2025, 03:46 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन की अंतरिम बेल की याचिका पर सुनवाई को 22 जनवरी 2025 तक टाल दिया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. जजों का कहना है कि अगर कोर्ट को लगता है कि ताहिर को नियमित जमानत देनी चाहिए, तो ऐसा क्यों ना किया जाए. कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती (Supreme Court Tahir Hussain Interim Bail Plea).

ताहिर के वकील ने कोर्ट से कहा है कि सिर्फ़ कुछ गवाहों के कहने पर ही ताहिर के ख़िलाफ़ आरोप लगाए गए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा है कि चार्जशीट के मुताबिक़, हत्या के वक़्त ताहिर मौक़े पर मौजूद थे. कोर्ट ने उनसे आगे कहा, ‘आप नियमित जमानत की याचिका लगाएं. आखिर आप अंतरिम जमानत पर इतना जोर क्यों दे रहे है? जिंदगी सिर्फ़ चुनाव लड़ने के लिए नहीं है.’

दरअसल, दिल्ली दंगों के आरोपी मोहम्मद ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसी पर जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है और मामले को 22 जनवरी के लिए सुरक्षित रख लिया.

ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत की याचिका (special leave petition) पर सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन भी सुनवाई हुई थी. 20 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने समय की कमी की वजह से मामले को एक दिन के लिए टाल दिया था. तब कोर्ट ने कहा था कि ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोकना चाहिए. कोर्ट ने 20 जनवरी को कहा था,

जेल में बैठ कर चुनाव जीतना आसान है. ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने से रोकना चाहिए.

बता दें, ताहिर हुसैन दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2025 में मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से उम्मीदवार बनाया गया है. इसी को लेकर ताहिर ने चुनाव में प्रचार करने के लिए 20 जनवरी से 5 फ़रवरी तक अंतरिम जमानत की याचिका दर्ज की है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, ताहिर हुसैन की तरफ़ से सीनियर वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने मामले में दलील दी. उन्होंने कोर्ट से सुनवाई की तारीख़ 21 जनवरी रखने की गुजारिश की थी. कोर्ट ने उनकी गुजारिश स्वीकार की थी. और सुनवाई को एक दिन के लिए टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट के ‘ताहिर जैसे लोगों को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए’ कहने पर ताहिर के वकील ने कहा था कि उनका नामांकन स्वीकार किया जा चुका है.

2020 के दिल्ली दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के स्टाफ अंकित शर्मा की मौत के संबंध में उन पर हत्या का केस दर्ज है. इसे लेकर ताहिर हुसैन ने दिल्ली हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी थी. लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया था। हालांकि, दिल्ली चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की सुविधा के लिए उन्हें हिरासत में पैरोल दी गई थी. अंतरिम जमानत की मांग करते हुए हुसैन ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

यह भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा: ताहिर हुसैन सरेंडर करने कोर्ट गए थे, पुलिस ने दबोच लिया

सुनवाई के दौरान, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट ताहिर के नॉर्थ-पूर्वी दिल्ली दंगों में मुख्य आरोपी होने के तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे. कोर्ट ने आगे कहा था कि ताहिर पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. उसके खिलाफ 11 FIR दर्ज हुई थी. साथ ही, वो मनी लॉन्ड्रिंग और UAPA से जुड़े मामलों में भी गिरफ्तार है.

बताते चलें कि कानून के मुताबिक अपराधी (convict) को चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं है. लेकिन आरोपी (accused) पर ये कानून लागू नहीं होता है. इस पर 2011 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर हुई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि कोर्ट आरोपियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दे. तब सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने कहा था कि ऐसा करने के लिए कानून में संशोधन करने की ज़रूरत है. जो सिर्फ़ विधानमंडल ही कर सकती है. ये कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

                   (ये ख़बर हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं मेघा ने लिखी है.)

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