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'POSH के दायरे में नहीं आ सकते राजनीतिक दल', सुप्रीम कोर्ट ने ये वजह बताई है

CJI Gavai ने कहा कि राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम 2013 दायरे में नहीं ला सकते. कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा. कोर्ट ने इस फैसले की वजह भी बताई है.

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supreme court reject plea seeking political parties to be brought under POSH act gave this reason
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिर दलों को POSH के दायरे में नहीं ला सकते. (Photo: File/ITG)
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सचिन कुमार पांडे
16 सितंबर 2025 (Updated: 16 सितंबर 2025, 11:22 AM IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम 2013 के दायरे में लाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दलों को वर्क प्लेस यानी कि काम करने की जगह नहीं माना जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. केरल हाईकोर्ट ने इसी प्रकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि राजनीतिक दलों के लिए POSH अधिनियम 2013 के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिए आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना अनिवार्य नहीं है.

आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती 

इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने 'पीड़ित महिला' की व्यापक परिभाषा को नजरअंदाज कर दिया, जो यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है.

रिपोर्ट के अनुसार अधिनियम की धारा 2 (क)(i) में 'पीड़ित महिला' की परिभाषा इस प्रकार दी गई है- कार्यस्थल के संबंध में, किसी भी आयु की, चाहे वह कार्यरत हो या न हो, ऐसी महिला जिसका आरोप है कि प्रतिवादी ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया है. वकील ने तर्क दिया कि पॉश अधिनियम के अनुसार, शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी महिला का उस संगठन में कार्यरत होना आवश्यक नहीं है.

राजनीतिक दलों को नहीं मान सकते वर्कप्लेस: CJI

इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, 'आप राजनीतिक दलों को कार्यस्थल पर कैसे रख सकते हैं, यह देखते हुए कि राजनीतिक दल किसी को भी नियुक्त नहीं करते हैं.' इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक दल अभी भी एक संगठित व्यवस्था में काम करते हैं. उनका एक संगठन है.

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट न याचिका पर आगे विचार करने से इंकार कर दिया. सीजेआई ने कहा, 'जब कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है तो वह नौकरी नहीं होती, कोई भुगतान नहीं होता.' इसके बाद पीठ ने अधिवक्ता योगमाया द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया. इससे पहले, इसी याचिकाकर्ता ने राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम के तहत लाने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी. उक्त जनहित याचिका को केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की स्वतंत्रता के साथ वापस ले लिया गया.

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