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Amity University की छात्रा सुप्रीम कोर्ट पहुंची, पूरे देश की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज 'फंस' गईं

23 साल की आयशा जैन ने याचिका में बताया था कि एमिटी यूनिवर्सिटी ने सारे लीगल डॉक्यूमेंट्स जमा करने के बावजूद उनके रिकॉर्ड्स में नाम बदलने से इनकार कर दिया.

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Supreme Court orders nationwide audit of private universities after Amity University harasses student for changing her name
आयशा ने 2025 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
26 नवंबर 2025 (Published: 11:27 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने देश में बनी अलग-अलग प्राइवेट यूनिवर्सिटी को लेकर एक बड़ा निर्देश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) को निर्देश दिया है कि वो ये बताएं कि इन यूनिवर्सिटीज की स्थापना, इनका रेगुलेशन और निगरानी कैसे किए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने एमिटी यूनिवर्सिटी से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिया है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने कहा कि देश में जिस तरह प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की बाढ़ आई है, उसकी पूरी पड़ताल करना जनहित में जरूरी है.

ये मामला आयशा जैन बनाम एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा से जुड़ा है. कोर्ट ने पूछा है कि आखिर ये प्राइवेट यूनिवर्सिटीज कैसे बनती हैं? इनकी स्थापना का कानूनी आधार क्या है? इन्हें कौन-सी कानूनी ढांचे के तहत चलने की इजाजत दी गई है? राज्य और केंद्र सरकारें इन्हें क्या-क्या लाभ देती हैं? जैसे सस्ती या मुफ्त जमीन, टैक्स में छूट, या अन्य प्रशासनिक सुविधाएं?

कोर्ट ने साफ कहा कि ये संस्थान कौन चलाता है, असली मालिकाना हक किसके पास है, गवर्निंग बॉडी कैसे बनती है, उसमें कौन-कौन शामिल होता है, इन सबकी पूरी जानकारी देनी होगी. सभी सरकारों और UGC को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया है.

यूनिवर्सिटी ने किया परेशान

23 साल की आयशा जैन ने याचिका में बताया था कि एमिटी यूनिवर्सिटी ने सारे लीगल डॉक्यूमेंट्स जमा करने के बावजूद उनके रिकॉर्ड्स में नाम बदलने से इनकार कर दिया. उनका आरोप था कि यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों ने उन्हें लगातार परेशान किया, क्लास अटेंड करने से रोका और यहां तक कि ‘हिंदू नाम छोड़कर मुस्लिम नाम रखने’ पर ताने भी मारे.

याचिका में UGC और शिक्षा मंत्रालय को की गई कई शिकायतों का ज़िक्र था. बताया गया कि दोनों जगह से दखल के बावजूद यूनिवर्सिटी ने सुधार करने से इनकार कर दिया. आयशा ने यूनिवर्सिटी पर अथॉरिटी के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि इस चक्कर में उनका एक पूरा साल बर्बाद हो गया.

2021 में स्टूडेंट ने नाम बदला था

ये विवाद साल 2021 का है. जब ख़ुशी जैन ने अपना नाम बदलकर आयशा जैन कर लिया और गजट ऑफ इंडिया में नोटिफिकेशन भी पब्लिश कराया. 2023 में उन्होंने नए नाम से ही एमिटी फिनिशिंग स्कूल का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा किया. फिर 2024 में एमिटी बिजनेस स्कूल में MBA (एंटरप्रेन्योरशिप) प्रोग्राम में दाखिला लिया. लेकिन यूनिवर्सिटी ने रिकॉर्ड्स अपडेट करने से साफ इनकार कर दिया, जिसकी वजह से कथित तौर पर उन्हें क्लास जाने से रोका गया और एग्जाम भी देने नहीं दिया गया.

बार-बार शिकायतें करने के बावजूद कोई जवाब न मिलने पर आयशा ने 2025 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने यूनिवर्सिटी पर मनमानी और भेदभाव का आरोप लगाया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

इससे पहले इसी मामले की सुनवाइयों में कोर्ट ने एमिटी यूनिवर्सिटी के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई थी. 9 अक्टूबर को कोर्ट ने एमिटी के चेयरमैन और वाइस-चांसलर को व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को हुई तो कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने उसके आदेशों का मजाक बना दिया है. इसके बाद कोर्ट ने रितनंद बालवेड एजुकेशन फाउंडेशन (जो एमिटी यूनिवर्सिटी चलाती है) के प्रेसिडेंट डॉक्टर अतुल चौहान और वाइस-चांसलर को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया.

20 नवंबर को जब ये मामला दोबारा सामने आया, तो दोनों अधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे. उन्होंने अपने हलफनामे दाखिल कर दिए. हालांकि बेंच ने इसे यहीं समाप्त करने के बजाय मामले का दायरा काफी व्यापक कर दिया. कोर्ट ने माना कि इस मामले से जुड़े मुद्दे भारत में निजी उच्च शिक्षा के संचालन और नियमन को लेकर बड़े और दूरगामी सवाल उठाते हैं.

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि वो गहराई से जांच करना चाहता है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटीज आखिर अस्तित्व में कैसे आईं. उन्हें बनाने की अनुमति किन कानूनी प्रावधानों या सरकारी अधिसूचनाओं से मिली. और सरकारों से इन्हें कौन-कौन से लाभ तथा सुविधाएं मिल रही हैं. 

इस तरह मामला अब केवल दो अधिकारियों की अवमानना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के तंत्र की वैधता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है. मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2026 को होगी.

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