The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Supreme Court asks builder to refund over 43 lakh with 18% interest

बिल्डर को मनमानी पड़ी भारी, अब खरीदार को 18% ब्याज के साथ लौटाएगा 43 लाख रुपये

SC asks builder to refund Money with 18% interest: सुप्रीम कोर्ट ने एक प्लॉट खरीदार के हक में फैसला सुनाते हुए कहा है कि बिल्डर को उसी रेट पर पैसे वापस करने होंगे, जिस रेट पर उसने लेट पेमेंट करने पर चार्ज वसूला था. इसी के साथ कोर्ट ने NCDRC के फैसले को भी बदल दिया.

Advertisement
Supreme Court rules in Favor of Homebuyer builder to refund on same Interest as delay payments
कोर्ट ने कहा कि मुआवजे पर इंट्रेस्ट का कोई फिक्स नियम नहीं है. (Photo: File/ITG)
pic
सचिन कुमार पांडे
26 सितंबर 2025 (Published: 04:24 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में प्लॉट खरीदने वाले एक ग्राहक के हक में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर ने जिस रेट पर खरीदार से देर से पेमेंट करने पर पैसे वसूले हैं, उसी रेट पर पैसे वापस करने होंगे. कोर्ट के आदेश के बाद अब बिल्डर को पूरे पैसे 18% के इंटरेस्ट रेट पर वापस करने होंगे.

इसी मामले पर पहले राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने बिल्डर को 9% के इंट्रेस्ट रेट पर रिफंड देने को कहा था. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार ग्राहक ने आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा,

चूंकि बिल्डर ने देर से भरी गई किश्तों पर खरीदार से 18% ब्याज वसूला था, इसलिए नियम के अनुसार उसे अपनी खुद की गलती के लिए उसी रेट पर इंटरेस्ट चुकाना होगा. बिल्डर ने प्लॉट देने में देरी की, देर से पेमेंट मिलने पर 18% इंटरेस्ट लिया, ग्राहक को प्लॉट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, परेशानी झेलनी पड़ी. इसलिए NCDRC का मूल राशि के साथ 9% के इंटरेस्ट रेट पर पैसे लौटाने का फैसला सही नहीं है.

बिल्डर ने किया था विरोध

हालांकि बिल्डर ने NCDRC के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि Consumer Protection Act, 1986 के तहत मुआवज़ा असल नुकसान के आधार पर होना चाहिए. बिल्डर ने पहले के फैसलों का भी हवाला दिया, जहां मुआवजे का रेट 9% ब्याज पर तय किया गया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि ग्राहक को बिल्डरों द्वारा लगाए गए इंटरेस्ट रेट पर ब्याज देने के खिलाफ कोई नियम नहीं है. ऐसे में क्या उचित है, यह हर मामले में अलग-अलग फैक्ट्स पर निर्भर करता है.

2006 में खरीदा था प्लॉट

यह मामला साल 2006 का है. हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार रजनीश शर्मा नाम के शख्स ने हरियाणा में 36.03 लाख रुपये में एक प्लॉट बुक किया था. इसके लिए उन्होंने अगले पांच साल में 28 लाख रुपये भरे. लेकिन बिल्डर ने 2011 में उन्हें दूसरा प्लॉट ऑफर किया. इसके लिए बिल्डर ने उनसे एक्स्ट्रा चार्ज भी लिए. साल 2015 तक रजनीश बिल्डर को 43.13 लाख रुपये दे चुके थे, लेकिन फिर भी उन्हें प्लॉट नहीं दिया गया. इस दौरान देर से किश्त भरने पर उनसे 18% इंटरेस्ट भी लिया गया.

यह भी पढ़ें- 'शादी के बाद महिला का गोत्र बदल जाता है' उत्तराधिकारी कानून पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

इसके बाद रजनीश ने 2017 में एग्रीमेंट रद्द कर दिया और 2018 में NCRDC में अपील की. आयोग ने बिल्डर को डिपॉजिट मनी के साथ 9% की ब्याज दर पर पैसे लौटाने का आदेश दिया. साथ ही मुकदमे में हुई परेशानी के लिए खरीदार को 25000 रुपये और देने को कहा. रजनीश को यह फैसला मंजूर नहीं था. इसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट चले गए, जहां से बुधवार को उनके हक में फैसला आया. कोर्ट ने अब बिल्डर को 18% ब्याज के साथ पैसे लौटाने का आदेश दिया है.

वीडियो: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "भारत में व्यभिचार अपराध नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम हैं", देना पड़ सकता है Compensation

Advertisement

Advertisement

()