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पैगंबर के लिए अंट शंट बोलने वाली शर्मिष्ठा पनोली को नहीं मिली बेल, HC ने जमकर सुनाया भी

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम बेल देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच असीमित नहीं है.

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Sharmishtha Panoli interim bail News
शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
3 जून 2025 (Updated: 3 जून 2025, 06:03 PM IST) कॉमेंट्स
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि देश में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन यह असीमित नहीं’ है. यह किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं देती है. शर्मिष्ठा पनोली ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था, जिसमें धार्मिक पहचान के आधार पर कुछ लोगों को टारगेट किया गया था. मामले ने तूल पकड़ा तो शर्मिष्ठा ने माफी मांगी और वीडियो भी हटा लिया. लेकिन उन पर पुलिस की कार्रवाई जारी रही और उन्हें 30 मई को गिरफ्तार कर लिया गया.

इंडिया टुडे से जुड़े राजेश शाहा की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार 3 जून को मामले में सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को जमकर सुनाया. हाई कोर्ट ने कहा,

हमने सुना है कि वीडियो सोशल मीडिया पर बनाया गया था. इससे एक वर्ग के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है… देखिए हमारे पास फ्रीडम ऑफ स्पीच है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएंगे. हमारा देश विविधतापूर्ण है और यहां सभी जाति, पंथ के लोग रहते हैं. हमें कुछ भी कहते हुए सावधान रहना चाहिए. इससे आसमान नहीं गिरेगा. 

ये भी पढ़ेंः कौन है शर्मिष्ठा पनोली, जिसकी गिरफ्तारी के खिलाफ पवन कल्याण, कंगना, दूसरे देश के नेता तक उतर आए?

पुणे के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल की छात्रा पनोली को कोलकाता की एक अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. पनोली के वकील ने हाई कोर्ट में दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि गिरफ्तारी से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया था. पुलिस ने इस पर जवाब दिया कि नोटिस जारी किया गया था लेकिन उसे पनोली को भेजा नहीं जा सका क्योंकि उनका परिवार कथित तौर पर गुरुग्राम भाग गया था. 

मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए पुलिस से कहा कि पनोली के खिलाफ कोलकाता में दर्ज FIR को ही मुख्य मामला माना जाएगा. इसके अलावा उनके खिलाफ दर्ज अन्य सभी मामलों पर कार्रवाई नहीं होगी. हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को भी निर्देश दिया कि वह ये तय करे कि इसी आरोप पर उसके खिलाफ कोई और एफआईआर दर्ज न हो.

मामले की अगली सुनवाई 5 जून को होगी. 

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