राहुल गांधी को 'सिरोपा' देने पर बवाल, दो सिख कर्मचारी सस्पेंड, एक का तबादला, चौथे की सेवा खत्म
Rahul Gandhi Siropa Row: राहुल गांधी ने हाल ही में पंजाब में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर राज्य का दौरा किया था. इस दौरे में कांग्रेस सांसद रामदास-अमृतसर में बने गुरुद्वारा बाबा बुड्ढा साहिब पहुंचे थे. वहां उन्हें सिरोपा भेंट किया गया था.

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने बाबा बुड्ढा साहिब गुरुद्वारे के कर्मचारियों के खिलाफ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की है. ये फैसला कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘सिरोपा’ (सम्मान स्वरूप कपड़ा) भेंट करने के बाद मचे बवाल के बीच लिया गया है. राहुल गांधी ने हाल ही में पंजाब में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर राज्य का दौरा किया था.
इस दौरे में कांग्रेस सांसद रामदास-अमृतसर में बने गुरुद्वारा बाबा बुड्ढा साहिब पहुंचे थे. वहां उन्हें सिरोपा भेंट किया गया था. लेकिन बाद में इसे लेकर काफी विवाद हुआ. दावा किया गया कि SGPC कार्यकारिणी के आदेश के मुताबिक, ये केवल सिख धार्मिक हस्तियों को ही दिया जाना चाहिए. क्योंकि ये काम गुरु ग्रंथ साहिब के सामने किया जाता है.
खुद SGPC प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने दावा किया कि किसी भी सिख धर्मस्थल के अंदर किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को सम्मानित करने पर पूर्ण प्रतिबंध है. हरजिंदर सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए. इस आदेश के 48 घंटे बाद SGPC सचिव प्रताप सिंह ने अब इस ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की जानकारी दी है.
इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक, प्रताप सिंह ने घोषणा की कि कथावाचक भाई पलविंदर सिंह और सेवादार भाई हरविंदर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है. जबकि अंतरिम ग्रंथी भाई कुलविंदर सिंह की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं. मैनेजर परगट सिंह को चेतावनी जारी कर उनका तबादला कर दिया गया.
SGPC सचिव के मुताबिक, जांच में पाया गया कि राहुल गांधी ने प्रतिबंधित गर्भगृह क्षेत्र में प्रवेश किया था. वहां सिर्फ ग्रंथी, सेवादार और निर्धारित पोशाक में अधिकृत कर्मचारी ही प्रवेश कर सकते हैं. राहुल गांधी की एंट्री को ‘सिख मर्यादा (आचार संहिता) का सीधा उल्लंघन’ बताया गया है. कहा गया कि दरबार साहिब के अंदर एक नेता को सिरोपा भेंट करना SGPC के उस मौजूदा फैसले के खिलाफ था. जो पवित्र स्थल में VIP लोगों के सम्मान पर रोक लगाता है.
कांग्रेस ने की आलोचनाइस कदम पर राजनीतिक हलकों से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस नेता बरिंदर ढिल्लों ने X पर लिखा कि सिरोपा कोई राजनीतिक समर्थन नहीं, बल्कि सम्मान की सिख परंपरा है. उन्होंने धार्मिक कर्मचारियों को 'सजा देने' के लिए SGPC की आलोचना की. बोले, ‘सवाल ये नहीं कि क्या राहुल गांधी सिरोपा के हकदार थे. बल्कि ये है कि क्या सिख होने के नाते हम किसी को भी ‘सरबत दा भला’ (सभी का कल्याण) से वंचित कर सकते हैं. खासकर किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लगातार फासीवाद और हिंसा के खिलाफ खड़ा रहा हो.’
कांग्रेस नेता ने आगे पूछा, ‘क्या हम गुरु नानक की सार्वभौमिकता को कायम रख रहे हैं या राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए सिख धर्म को झुका रहे हैं?’
इससे पहले, BJP प्रवक्ता आर पी सिंह ने सिरोपा भेंट करने की कड़ी निंदा करते हुए इसे एक गंभीर भूल बताया था. उन्होंने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा था,
हम भी गुरुद्वारा दर्शन के दौरान सिरोपा स्वीकार नहीं करते. अगर किसी ने इस नियम को तोड़ा है, तो उसे जवाब देना चाहिए.
आर पी सिंह ने इस कदम को ‘1984 के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा’ बताया. उन्होंने कांग्रेस शासन के दौरान स्वर्ण मंदिर पर हुए हमले और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों को भी याद दिलाया.
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