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संभल हिंसा: SIT की 1200 पन्नों की चार्जशीट में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का नाम

संभल हिंसा मामले में एसआईटी ने 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसमें सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, जामा मस्जिद के सदर जफर अली समेत 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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संभल हिंसा में बर्क के खिलाफ चार्जशीट दाखिल (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
18 जून 2025 (Published: 10:47 PM IST) कॉमेंट्स
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संभल हिंसा की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इंडिया टुडे से जुड़े अभिनव माथुर की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 1200 पेज की चार्जशीट में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क, जामा मस्जिद के सदर जफर अली समेत 23 आरोपियों के नाम शामिल हैं. ये चार्जशीट 18 जून को संभल जिले के एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश की गई है.

पिछले साल 24 नवंबर को यूपी के संभल जिले में बनी जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. कोर्ट के आदेश के बाद टीम मस्जिद का सर्वे करने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया. पुलिस की टीम पर भी हमले किए गए. इसमें 30 पुलिसकर्मी घायल हो गए. हिंसा में 4 लोगों की जान भी चली गई. 

साजिश के आरोप सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर भी लगे. उनके अलावा 200 से ज्यादा लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया. 78 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मस्जिद के सदर जफर अली भी शामिल हैं. 

जफर अली ने पुलिस से पूछताछ में बताया था कि सर्वे से ठीक पहले की रात सांसद बर्क ने उन्हें फोन किया था. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इस फोन कॉल में बर्क ने जफर अली से सर्वे वाले दिन ‘भीड़ जुटाने’ के लिए कहा था. 

24 नवंबर के सर्वे से पहले जियाउर्रहमान 22 नवंबर को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए जामा मस्जिद भी गए थे. इस दौरान उन्होंने भाषण दिया, जिसमें मस्जिद के सर्वे पर सवाल उठाया गया था. आरोप लगा कि उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद ही 24 नवंबर की ‘सुनियोजित हिंसा’ की भूमिका तैयार हुई.

क्यों है मस्जिद को लेकर विवाद?

संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद बहुत पुराना है. हिंदू पक्ष के लोगों का कहना है कि यह पुराना हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. दावा किया जाता है कि मस्जिद के अंदर मंदिर के कई निशान मौजूद हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार करता है. उनका कहना है कि मस्जिद सदियों पुरानी है और इसमें मंदिर के कोई निशान मौजूद नहीं हैं.

हिंदू पक्ष ने मस्जिद के सर्वे की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद का पहला सर्वे 19 नवंबर 2024 को किया गया. इसके बाद जब 24 नवंबर को दूसरे चरण का सर्वे करने के लिए टीम मौके पर पहुंची, तभी हिंसा भड़क उठी.

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