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'हंसने के अधिकार पर भी खतरा मंडरा रहा...', दिल्ली दंगों की सुनवाई करने वाले जज ने उठाए सवाल

Former Judge S Muralidhar ने बुलडोज़र कार्रवाई पर कहा- 'ये न्याय नहीं है. बुलडोजर और न्याय शब्द एक दूसरे के विलोम हैं.

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Dr S Muralidhar on Bulldozer Actions
जस्टिस एस मुरलीधर ने बुलडोजर कार्रवाई पर भी तीखी बात बोली है. (फ़ाइल फ़ोटो - इंडिया टुडे)
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हरीश
13 अप्रैल 2025 (Updated: 13 अप्रैल 2025, 03:48 PM IST) कॉमेंट्स
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सीनियर वकील और उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस डॉ. एस मुरलीधर (Dr. S. Muralidhar) ने मौलिक अधिकारों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि ‘हंसने के अधिकार’ को खतरे में डालना चिंताजनक है. कोच्चि इंटरनेशनल फाउंडेशन और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) ने एक सेशन आयोजित किया. टॉपिक, परिवर्तनकारी संविधानवाद और न्यायपालिका की भूमिका. इसी दौरान दिए लेक्चर में एस मुरलीधर ने अपनी बातें रखीं. लाइल लॉ की ख़बर के मुताबिक़, उन्होंने आगे कहा,

आज जिस चीज़ को गंभीर रूप से खतरा है, वो है हंसने का अधिकार. इस अधिकार को मत छीनिए. हमारे पास कम से कम हंसने की क्षमता तो होनी ही चाहिए. यही वो न्यूनतम चीज़ है, जिसकी हमें गारंटी दी जानी चाहिए.

मुरलीधर का कॉमेंट ऐसे समय में आया है, जब कई कॉमेडियंस को क़ानूनी कार्रवाई और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. किसी को आपत्तिजनक कॉमेंट, तो किसी को राजनीतिक बयान के चलते. हाल ही में कुणाल कामरा पर BNS धारा 353 (1) (बी), 353 (2) (सार्वजनिक शरारत) और 356 (2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने कथित तौर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपने स्टैंडअप शो में ‘गद्दार’ कहा था.

ये भी पढ़ें- एस मुरलीधर के तबादले के विरोध में वकील सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ़ खड़े हो गए

Bulldozer Action पर क्या बोले?

अपने लेक्चर में मुरलीधर ने बुलडोज़र कार्रवाई पर भी बात की. उन्होंने कहा,

ये न्याय नहीं है. बुलडोजर और न्याय शब्द एक दूसरे के विलोम हैं. ये कुछ-कुछ 'जिसके हाथ में लाठी, उसकी बैल' जैसा है. ये कहते हुए सत्ता हथियाने जैसा है कि 'मेरे पास पावर है. तुम मुझे बताने वाले कौन होते हो? मैं तुमसे निपट लूंगा. मुझे संविधान मत पढ़ाओ, मुझे क़ानून मत पढ़ाओ.

मुरलीधर ने 'बुलडोज़र न्याय' के ख़िलाफ़ लोगों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा,

हम इसका कितना विरोध करते हैं? हममें से कितने लोग ऐसे हैं, जिन पर कार्रवाई नहीं हुई, फिर भी इसका विरोध किया हो? किसी ने नहीं. हमने बस दूसरी तरफ देखा और कहा कि किसी और के साथ हो रहा है, छोड़ो. हमें इससे कोई समस्या नहीं है. लेकिन यही समस्या है.

बताते चलें, जस्टिस एस मुरलीधर को 2020 के दिल्ली दंगों की महत्वपूर्ण सुनवाई के लिए याद किया जाता है. इसमें उन्होंने हिंसा पर दिल्ली पुलिस और सरकार पर तीखी टिप्पणी की थी. साल 2020 में हुई दिल्ली हिंसा के दौरान आधी रात को कोर्ट बैठी. जगह थी एस मुरलीधर का आवास.

वीडियो: हिंसा पर पुलिस को हड़काने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जज एस मुरलीधर का ट्रांसफर

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