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'24 घंटे में भारत छोड़ दो', असम सरकार ने 15 'विदेशियों' को अल्टिमेटम दिया है

ये सभी नागांव जिले के अलग-अलग गांवों और कस्बों के निवासी हैं. पिछले कई सालों में इन्हें अलग-अलग मामलों में ट्रिब्यूनल्स द्वारा विदेशी घोषित किया गया था.

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Remove yourselves from India in 24 hours Assam gives ultimatum to 15 people
नागांव के जिला आयुक्त देवाशीष शर्मा ने 17 दिसंबर को इन 15 लोगों के खिलाफ आदेश जारी किए थे. (सांकेतिक फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
18 दिसंबर 2025 (Published: 12:05 AM IST)
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असम के नागांव जिले में 15 लोगों को विदेशी घोषित किए जाने के बाद भारत की सीमा छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया है. ये आदेश राज्य सरकार ने लंबे समय से निष्क्रिय पड़े इमिग्रेंट्स (एक्सपल्शन फ्रॉम असम) एक्ट (IEAA), 1950 के तहत जारी किया. इन व्यक्तियों को आदेश दिया गया है कि वो 24 घंटे के अंदर भारत छोड़ दें. ये लोग 1990 से 2021 के बीच फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए गए थे और वर्तमान में गोलपारा के मतिया डिटेंशन सेंटर में बंद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ी सुक्रिता बारुआ की रिपोर्ट के मुताबिक नागांव के जिला आयुक्त देवाशीष शर्मा ने 17 दिसंबर को इन 15 लोगों के खिलाफ आदेश जारी किए थे. हर आदेश में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के उस फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्हें विदेशी घोषित किया गया था. आदेश में कहा गया कि अधिकारी की राय है कि ‘घोषित विदेशी नागरिक होने के नाते, आपकी भारत/असम राज्य में मौजूदगी सामान्य जनता के हितों के लिए हानिकारक है और राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है’.

आदेश के लिए 1950 के अधिनियम का इस्तेमाल किया गया, जिसमें इन व्यक्तियों को निर्देश दिया गया है कि, ‘आदेश मिलने के 24 घंटों के अंदर धुबरी/श्रीभूमि/साउथ सालमारा-मानकाचार रूट के जरिए खुद को असम, भारत के क्षेत्र से बाहर कर लें’. माने, इन लोगों को बांग्लादेश जाने को कहा गया है.

ये 15 लोग नागांव जिले के अलग-अलग गांवों और कस्बों के निवासी हैं. पिछले कई सालों में इन्हें अलग-अलग मामलों में ट्रिब्यूनल्स द्वारा विदेशी घोषित किया गया था. जिला आयुक्त देवाशीष शर्मा ने बताया,

इन लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. SP की निगरानी में उचित समय पर उन्हें हटाया जाएगा.

इस साल सितंबर में असम कैबिनेट ने 1950 के एक्ट के लिए एक SOP को मंजूरी दी थी. ये SOP साल 1950 से ही ठंडे बस्ते में पड़ी थी. डिपोर्ट करने की औपचारिक प्रक्रिया में दूसरे देश के अधिकारियों को व्यक्ति को सौंपा जाता है. दोनों पक्षों उस व्यक्ति के डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन करते हैं और देखते हैं कि वो उस दूसरे देश का नागरिक है या नहीं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया कि 1950 के एक्ट के तहत उनकी कार्रवाई की योजना उन्हें डिप्लोमैटिक चैनलों को बायपास करने में भी सक्षम बनाएगी. इस एक्ट के तहत पहला ऐसा डिपोर्टेशन पिछले महीने सोनितपुर के जिला आयुक्त द्वारा किया गया था. जिन्होंने इस साल विदेशी घोषित किए गए पांच लोगों को निर्देश दिया कि वो देश के बाहर चले जाएं. हालांकि, वो सभी अपने गांव में नहीं मिले. स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि वो कई साल पहले चले गए थे.

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