एसिडिटी और अल्सर की इस दवा से कैंसर का खतरा? सरकार ने दिए जांच के आदेश
DTAB ने सुझाव दिया है कि एक बड़ी समिति बनाई जाए, जो Ranitidine में NDMA बनने की प्रक्रिया और स्टोरेज कंडीशन जैसे सभी पहलुओं की जांच करे. इसके अलावा, ICMR को इसकी स्टडी करने के लिए कहा गया है.

एसिडिटी और अल्सर में इस्तेमाल होने वाली मशहूर दवा रैनिटिडीन (Ranitidine) एक बार फिर सवालों के घेरे में है. दवा में कैंसर पैदा करने वाली अशुद्धि NDMA (N-Nitrosodimethylamine) पाई जाती है. सरकार ने इसे बनाने और इस्तेमाल करने के लिए उचित कदम उठाने का फैसला किया है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलरों को निर्देश दिया है कि रैनिटिडीन की एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट (API) और तैयार दवा दोनों में NDMA की मात्रा की जांच सुनिश्चित करें. इसके साथ ही इसकी शेल्फ लाइफ को भी घटाने की सिफारिश की गई है.
ये आदेश ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने दिए हैं. ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की 28 अप्रैल 2025 को हुई 92वीं बैठक की सिफारिशों के बाद ये फैसला लिया गया है. बैठक में दिसंबर 2024 में गठित एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा हुई थी, जिसमें रैनिटिडीन में NDMA को लेकर चिंता जताई गई थी.
DTAB ने सुझाव दिया है कि एक बड़ी समिति बनाई जाए, जो इस दवा में NDMA बनने की प्रक्रिया और स्टोरेज कंडीशन जैसे सभी पहलुओं की जांच करे. इसके अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को भी कहा गया है कि वो रैनिटिडीन के लंबे समय तक इस्तेमाल से होने वाले असर पर एक स्टडी करे.
AIIMS दिल्ली के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक शंकर ने रैनिटिडीन के बारे में बताते हुए कहा,
"रैनिटिडीन को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने ग्रुप 2A कार्सिनोजेन की कैटेगरी में रखा है, यानी मुमकिन है कि ये इंसानों में कैंसर पैदा कर सकती है. जब फेमोटिडीन और पैंटोप्राजोल जैसे सुरक्षित ऑप्शन मौजूद हैं, तो इसे खाना जारी नहीं रखना चाहिए."
मैक्स द्वारका के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. लोहित चौहान ने बताया,
"यह दवा पहले बहुत चलती थी. अब बड़े शहरों में इसका इस्तेमाल घटा है, लेकिन टियर-1 और 2 शहरों में अभी भी दी जा रही है. NDMA की मौजूदगी की बात पहले से मालूम है. DGCI को NDMA के लेवल के लिए निश्चित सीमा तय करनी चाहिए."
दवाई कंपनियों को अब रिस्क-बेस्ड सुरक्षा कदम अपनाने के लिए कहा गया है. जैसे- शेल्फ लाइफ को सीमित करना, स्टोरेज से जुड़ी सिफारिशों को संशोधित करना और अपनी सप्लाई चेन में NDMA टेस्टिंग प्रोटोकॉल को बढ़ाना. अमेरिका समेत कई देशों में रैनिटिडीन की बिक्री पर रोक लगाई जा चुकी है. भारत में अब इसके सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.
वीडियो: Jhalawar School Collapse: दो बच्चों को खोने वाले पिता का दर्द, सिस्टम पर सवाल