दोनों बेटे विदेश में थे, मां ने 'फर्जी' साइन कर SIR फॉर्म भर दिया, तीनों पर FIR हो गई
FIR नूरजहां और उनके दो बेटे आमिर खान और दानिश खान के नाम दर्ज की गई है. जानकारी के अनुसार दोनों कई सालों से दुबई और कुवैत में रह रहे हैं. पुलिस ने बताया कि नूरजहां ने जानबूझकर अपने बेटों के SIR फॉर्म में गलत जानकारी भरी और उनके फर्जी हस्ताक्षर किए.

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में झूठी जानकारी देने पर तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. देश भर में यह पहला केस है, जो SIR में गलत जानकारी देने पर फाइल किया गया है. मामला वोटर लिस्ट के डिजिटाइजेशन और अपडेट प्रक्रिया के दौरान सामने आया. इंडिया टुडे से जुड़े संतोष कुमार शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, केस नूरजहां और उनके दो बेटे आमिर खान और दानिश खान के नाम पर दर्ज किया गया है.
जानकारी के अनुसार, दानिश और आमिर कई सालों से दुबई और कुवैत में रह रहे हैं. पुलिस ने बताया कि नूरजहां ने जानबूझकर अपने बेटों के SIR फॉर्म में गलत जानकारी भरी और उनके फर्जी हस्ताक्षर किए. ये गड़बड़ी बूथ लेवल ऑफिसरों (BLO) द्वारा फॉर्म के डिजिटाइजेशन के दौरान पकड़ी गई. फील्ड वेरिफिकेशन के दौरान पता चला कि दोनों व्यक्ति लंबे समय से अपने पते पर नहीं रह रहे हैं और फिलहाल कुवैत या किसी अन्य देश में रह रहे हैं.
विदेश में रहने के बावजूद उनकी मां ने उनके एनुमरेशन फॉर्म खुद भरकर BLO को अपने सिग्नेचर के साथ जमा कर दिए. ऐसा करना Representation of the People Act, 1950 की धारा 31 का उल्लंघन है. FIR में आगे कहा गया कि,
ये साफ है कि आमिर और दानिश खान नाम के ये दोनों शख्स विदेश में रहते हुए भी जानबूझकर और धोखे से अपनी मां से गलत जानकारी वाला फॉर्म भरवाकर जमा करवाया. RPA 1950 की धारा 31 के तहत वोटर स्टेटस को लेकर झूठा बयान देना या गलत जानकारी देना दंडनीय अपराध है. साथ ही, इन दोनों व्यक्तियों और उनकी मां ने जानबूझकर तथ्य छुपाए और धोखाधड़ी की, जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की संबंधित धाराओं के तहत दंडनीय अपराध है.
रामपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) अजय कुमार द्विवेदी ने मामले को लेकर कहा,
जिले की सभी विधानसभाओं में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है. चुनाव आयोग के नियमों के तहत ये काम चल रहा है. फॉर्म में झूठी जानकारी देना या फैक्ट्स छिपाना चुनाव के नियमों का गंभीर उल्लंघन है.”
FIR में रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1950 की धारा-31 का हवाला दिया गया है, जिसके मुताबिक वोटर के स्टेटस को लेकर झूठी जानकारी देना अपराध है. मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की संबंधित धाराएं भी लगाई गई हैं, क्योंकि परिवार पर फैक्ट्स छिपाने और फ्रॉड करने का आरोप है. अधिकारियों ने साफ किया कि वोटर फॉर्म में असली रिहायश (actual place of residence) ही भरना चाहिए. झूठी जानकारी देना, फैक्ट्स छिपाना या डुप्लीकेट एंट्री करना सख्त कानूनी कार्रवाई के दायरे में आता है.
वीडियो: SIR में लगे BLO की समस्याएं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद होंगी कम?

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