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CEC नियुक्ति पर पीएम मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की बंद कमरे की बैठक में क्या हुआ?

इस बैठक में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC), 8 सूचना आयुक्तों और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति पर चर्चा हुई. इस दौरान राहुल गांधी ने सभी नियुक्तियों पर विस्तृत असहमति पत्र सौंपा. लेकिन बात सिर्फ प्रक्रिया तक नहीं रुकी. उन्होंने इन संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं में सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी उठाया.

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Rahul Gandhi Raises Social Justice Concerns in CIC Appointments During Meeting with PM and HM
बैठक में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC), 8 सूचना आयुक्तों और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति पर चर्चा हुई. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
10 दिसंबर 2025 (Published: 11:27 PM IST)
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संसद में बुधवार, 10 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 'वोट चोरी' के मुद्दे पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने खुली बहस का चैलेंज दिया था. इसके बाद राहुल ने CIC (मुख्य सूचना आयुक्त) की नियुक्ति का मुद्दा उठा दिया है. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ डेढ़ घंटे की अहम बैठक में ये मुद्दा उठाया, और अपना असहमति पत्र सौंपा.

इस बैठक में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC), 8 सूचना आयुक्तों और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति पर चर्चा हुई. इंडिया टुडे से जुड़ीं मौसमी सिंह की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान राहुल गांधी ने सभी नियुक्तियों पर विस्तृत असहमति पत्र (dissent note) सौंपा. लेकिन बात सिर्फ प्रक्रिया तक नहीं रुकी. उन्होंने इन संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं में सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी उठाया.

कांग्रेस के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा कि देश की 90% आबादी, खासकर दलित, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय, को इन शीर्ष पदों से ‘व्यवस्थित रूप से बाहर रखा जा रहा’ है. रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी के हवाले से बताया,

“भारत की 90 प्रतिशत जनता को ऊंचे संस्थानों से बाहर रखा जा रहा है. दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारी पक्षपात है.”

रिपोर्ट के मुताबिक राहुल ने मांग की कि इन पदों के लिए आए आवेदनों की जाति-आधारित संरचना को सार्वजनिक किया जाए ताकि असमानता के बारे में पता चले. सूत्रों के मुताबिक राहुल ने कहा कि सरकार ने खुद माना है कि इन पदों के लिए आए आवेदकों में दलित समुदाय के 7% से भी कम लोग थे. और तो और, शॉर्टलिस्ट में सिर्फ एक दलित उम्मीदवार था. सूत्र ने कहा,

“सरकार का अपना आंकड़ा ही राहुल गांधी के दावे को सही ठहराता है और सामाजिक न्याय की उनकी मांग को मजबूत करता है.”

हालांकि राहुल गांधी को आश्वासन मिला कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से लिया जाएगा, लेकिन राजनीतिक जानकार सतर्क हैं. नियुक्ति करने वाली कमेटी में सरकार के बहुमत और वीटो पावर को देखते हुए ये देखना होगा कि विपक्ष के नेता की सिफारिशें कितना असर डाल पाएंगी.

वीडियो: संसद में आज: राहुल गांधी ने अमित शाह को क्या चैलेंज दिया?

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