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दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर विवाद बढ़ा, राहुल गांधी बोले- 'RSS को चुभता है संविधान'

RSS नेता दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना की समीक्षा वाले बयान पर राहुल गांधी ने निशाना साधा है. राहुल ने कहा कि समानता, धर्म निरपेक्षता और न्याय की बात करने वाला संविधान RSS को चुभता है.

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Rahul gandhi on Dattatreya Hosabale
राहुल गांधी (बायें) ने दत्तात्रेय होसबोले (दायें) के बयान पर हमला बोला है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
27 जून 2025 (Published: 08:22 PM IST) कॉमेंट्स
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर राजनीतिक हंगामा शुरु हो गया है. शुक्रवार 27 जून को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि RSS का नकाब उतर गया है. समानता, धर्म निरपेक्षता और न्याय की बात करने वाला संविधान RSS को चुभता है. राहुल ने कहा कि उन्हें मनुस्मृति चाहिए और वह बहुजनों और गरीबों को फिर से गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं. गुरुवार, 26 जून को दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में मौजूद ‘समाजवादी’ और 'धर्म निरपेक्ष' शब्द पर फिर से विचार करने की बात कही थी.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार 27 जून को इस बयान की आलोचना की. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके RSS और भाजपा पर बड़ा हमला बोला और कहा,  

RSS का नक़ाब फिर से उतर गया. संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है. RSS-BJP को संविधान नहीं मनुस्मृति चाहिए. ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं. संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है.

राहुल ने आगे कहा कि RSS ये सपना देखना बंद करें. उन्हें कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा. राहुल ने कहा कि हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा.

होसबोले ने क्या कहा था?

गुरुवार, 26 जून को आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में आने वाले 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने की मांग की थी. उन्होंने कहा, 

बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं किया था. ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे, जब मौलिक अधिकार रद्द कर दिए गए थे. संसद काम नहीं कर रही थी और न्यायपालिका लंगड़ी हो गई थी. 

होसबोले ने आगे कहा कि बाद में इन सब पर चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से दो शब्दों को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. ऐसे में उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए.

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