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पंजाब पर कुदरत का कहर जारी, कई परिवार मवेशियों के साथ हाईवे पर रहने को मजबूर

Punjab के फिरोजपुर जिले में कम से कम दस परिवार नेशनल हाइवे पर फंसे हुए हैं, जो रिलीफ कैंप से लगभग एक किलोमीटर दूर है. उनके लिए सड़क ही घर बन गई है, क्योंकि उनके मवेशियों को कैंप में नहीं रखा जा सकता.

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पंजाब में सभी 23 जिले पानी में डूबे हुए हैं (फोटो: आजतक)
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अमन कुमार भारद्वाज
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8 सितंबर 2025 (Published: 11:02 AM IST)
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इन दिनों पूरा पंजाब भयानक बाढ़ (Punjab Flood) की चपेट में है. इस तबाही में मरने वालों की संख्या 46 पहुंची चुकी है. सभी 23 जिले पानी में डूबे हुए हैं. करीब दो हजार गांवों में पानी ही पानी नजर आ रहा है, जबकि 1.75 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है. जो किसान हमारे लिए अन्न उगाते हैं, वो बेघर हो चुके हैं और मदद के लिए पूरी तरह से शासन-प्रशासन पर निर्भर हैं. कई परिवार सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं. 

सड़क ही बन गई घर!

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के फिरोजपुर जिले में कम से कम दस परिवार नेशनल हाइवे पर फंसे हुए हैं, जो रिलीफ कैंप से लगभग एक किलोमीटर दूर है. उनके लिए सड़क ही घर बन गई है, क्योंकि उनके मवेशियों को कैंप्स में नहीं रखा जा सकता. इनमें से एक 52 साल के वजीर सिंह हैं, जो अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के साथ खुले आसमान के नीचे रहते हैं. उन्होंने याद करते हुए बताया, 

जब हम अपने मवेशियों के साथ यहां आए थे, तब लगभग पांच फीट पानी था. हमारे पास इस सड़क पर शरण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. अब सेवा और लंगर वाले ही हमारी निर्भरता हैं. प्रशासन और सरकारी अधिकारी इसी हाइवे से गुजरते हैं, लेकिन कोई हमारी मदद के लिए नहीं रुकता. मुझ पर 6 लाख रुपये का कर्ज है और लगभग 3 लाख रुपये लागत की चार एकड़ फसल बर्बाद हो गई है. हमें उम्मीद है कि कम से कम मुआवजा तो मिलेगा.

वजीर बताते हैं कि परिवार अक्सर रिलीफ कैंप तक पैदल जाता है, लेकिन अपने जानवरों के साथ सड़क पर ही रहना पड़ता है. क्योंकि उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता. उनकी पत्नी सुमिता कहती हैं, 

हम मवेशियों को अकेला नहीं छोड़ सकते, वे हम पर निर्भर हैं. इसलिए हम यहां रहते हैं, भले ही यह खतरनाक हो.

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‘जिंदगी हमेशा संकट में रहती है…’

गट्टी गांव के सरकारी स्कूल में आठवीं कक्षा की छात्रा, उनकी बेटी लक्ष्मी ने बताया कि उसकी पढ़ाई ठप हो गई है. लक्ष्मी ने कहा,

हम खुले आसमान के नीचे रहते हैं. हमारे कपड़े बारिश में भीग जाते हैं और अपने आप सूख जाते हैं. जिंदगी हमेशा संकट में ही रहती है. चाहे युद्ध जैसी परिस्थितियां हों या बाढ़. यहां तक कि हमारे स्कूल में भी पानी भर गया था. मैं चंडीगढ़ में डॉक्टर बनने का सपना देखती हूं, लेकिन अब तो जिंदा रहना ही मुश्किल लगता है.

कुछ मीटर दूर, सुखदेव सिंह और उनके परिवार का भी यही हाल है. उन्होंने बताया कि वे दो एकड़ जमीन पर ठेके पर खेती करते हैं और सब कुछ बर्बाद हो गया है. खाना बनाना, खाना, सोना सब कुछ सड़क पर ही करते हैं. इन परिवारों के लिए, बाढ़ ने न केवल घर और फसलें छीन ली हैं, बल्कि सुरक्षित जीवन का सम्मान भी छीन लिया है. अब भी उन्हें सरकारी मदद और मुआवजे का इंतजार है.

वीडियो: पंजाब बाढ़: सभी 23 जिले बाढ़ प्रभावित घोषित, क्या हैं ग्राउंड पर हालात?

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