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न्यूक्लियर हादसों पर जवाबदेही का बोझ हल्का होगा! परमाणु उर्जा में विदेशी कंपनियों की एंट्री से पहले कानूनी बदलाव संभव

प्राइवेट कंपनियों और विदेशी कंपनियों को भी Nuclear Energy बनाने में ऑपरेटर के रूप में एंट्री करने का अधिकार मिल सकता है. वर्तमान में देखा जाए तो यह NPCIL या NTPC लिमिटेड जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों तक ही सीमित है.

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Private companies entry in nuclear energy sector government bill to amend the law
इन संशोधनों का उद्देश्य प्राइवेट कंपनियों को देश के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में एंट्री कराना है (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
19 मई 2025 (Published: 08:41 AM IST) कॉमेंट्स
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केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े कानूनों में दो महत्वपूर्ण संशोधन पेश कर सकती है. इससे उन कानूनी दिक्कतों को दूर करने की उम्मीद जताई जा रही है, जो परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश को आने से रोकती है. यानी प्राइवेट कंपनियों और विदेशी कंपनियों को भी परमाणु ऊर्जा बनाने में ऑपरेटर के रूप में एंट्री करने का अधिकार मिल सकता है. 

पहला संशोधन

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पहला संशोधन नागरिक दायित्व अधिनियम (2010) के प्रावधानों को आसान बनाने से जुड़ा हुआ है. जो हादसे की स्थिति में संस्था की जवाबदेही को कम या सीमित कर देगा. इस कानून को सरल शब्दों में समझे तो इस कानून के तहत परमाणु दुर्घटना से किसी व्यक्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई संस्था को करनी होती है. ये कानून मुआवजे की व्यवस्था करता है. साथ ही यह परमाणु संयंत्र के संचालक को जवाबदेह ठहराता है, जो किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार होता है. भले ही वह उसकी गलती से हुई हो या न हो.

इस कानून को GE-हिताची, वेस्टिंगहाउस और फ्रांसीसी परमाणु कंपनी अरेवा (अब Framatome) जैसी विदेशी कंपनियों ने बाधा बताया था. उनका मानना है कि यह कानून ऑपरेटरों की जवाबदेही को कंपनी पर डालता है. इसलिए विदेशी विक्रेता भविष्य में होने वाले परमाणु दुर्घटना की स्थिति में जवाबदेही उठाने से डरते हैं और भारत के परमाणु क्षेत्र में इंवेस्ट करने से पीछे हटते हैं.

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दूसरा संशोधन

दूसरे संशोधन का उद्देश्य प्राइवेट कंपनियों को देश के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में एंट्री कराना है. ये संशोधन परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में किया जा सकता है. ताकी प्राइवेट कंपनियों और संभवतः बाद में विदेशी कंपनियों को भी न्यूक्लियर एनर्जी के प्रोडक्शन में ऑपरेटर के रूप में एंट्री करने का अधिकार मिल सके. वर्तमान में देखा जाए तो यह NPCIL या NTPC लिमिटेड जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों तक ही सीमित है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इन दोनों विधेयकों को पारित करवाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. हालांकि, सरकार को इन दो विधेयकों को पारित करवाने के लिए विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है. 

वीडियो: दुनियादारी: भारत-पाकिस्तान के पास कितनी परमाणु ताक़त है?

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