BLOs की मौत वर्कलोड के तनाव से हुई? चुनाव आयोग ने जवाब दे दिया है
ECI BLO deaths claim: स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का काम कर रहे BLO के काम के तनाव की वजह से आत्महत्या करने के दावों को चुनाव आयोग ने 'झूठा' बताया. आयोग ने कहा कि जिन्हें BLO नियुक्त किया गया है, उनपर SIR का नकारात्मक प्रभाव नहीं है.

कई राज्यों में वोटर लिस्ट में सुधार के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराया जा रहा है. ये काम BLO कर रहे हैं. लेकिन खबरें हैं कि BLO पर SIR से जुड़े काम का इतना दबाव है कि कुछ तनाव की वजह से आत्महत्या कर चुके हैं. इसे लेकर कई राजनीतिक पार्टियों ने इलेक्शन कमीशन को भी घेरा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली है. अब चुनाव आयोग ने कोर्ट में सुनवाई से पहले ही जवाब देते हुए दायर याचिकाओं को "राजनीति से प्रेरित" बताया है.
SIR प्रक्रिया के खिलाफ दायर अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और केरल सरकार की याचिका पर ECI ने कहा कि राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए 'बढ़ा-चढ़ाकर और भ्रामक दावे' किए जा रहे हैं. आयोग ने BLO के आत्महत्या करने और कुछ अल्पसंख्यक समुदायों के बीच तनाव का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्ट्स को भी 'झूठी' बताया.
ECI ने SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता गलत और भ्रामक दावे कर रहे हैं. बिहार में SIR सफलतापूवर्क हुआ. वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने पर किसी ने भी अपील दाखिल नहीं की. आगे आयोग ने सवाल उठाया कि DMK ने खुद अपने एजेंट्स नियुक्त कर दिए हैं, तो फिर पार्टी के सचिव RS भारती ने याचिका क्यों दायर की?
चुनाव आयोग ने कहा, “तमिलनाडु राज्य के हर एक नागरिक और राजनीतिक दल का संवैधानिक कर्तव्य है कि वे SIR प्रक्रिया को पूरा करने और वोटर लिस्ट को अंतिम रूप देने के लिए रचनात्मक नजरिया अपनाएं.”
आयोग ने तर्क दिया कि पिछले 20 सालों में वोटर लिस्ट में कई लोगों के नाम जोड़े गए और हटाए गए हैं. जिससे लिस्ट में काफी बदलाव हुए हैं. कुछ वोटर्स एक जगह नाम रजिस्टर करवाते हैं और फिर अपनी जगह बदल लेते हैं. मूल निवास से वोटर लिस्ट से नाम हटवाए बिना किसी अन्य स्थान पर अपना पंजीकरण करा लेते हैं. इससे वोटर लिस्ट में डुप्लीकेट रिकॉर्ड बढ़ रहे हैं. ये स्थिति SIR की आवश्यकता को दिखाती है. आयोग ने कहा कि खुद कई पॉलिटिकल पार्टी ने मौजूदा वोटर लिस्ट में अनियमित और डुप्लीकेट एंट्री की शिकायत कही है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के लिए लगभग 68 हजार BLO और 2 लाख 38 हजार BLA हैं, जिन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक पार्टियों की तरफ से नियुक्त किया गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि राज्य में 96.65% मतदाताओं को पहले से भरे हुए गणना फॉर्म दिए जा चुके हैं. 68.7% फॉर्म प्राप्त और डिजिटली सबमित किए जा चुके हैं.
केरल और पश्चिम बंगाल पर भी बातकेरल में BLO की मौत पर आयोग ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि राज्य में काम के दबाव की वजह से किसी बीएलओ की मौत हुई है. वहीं, पश्चिम बंगाल में SIR मामले में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए मतदाता सूची से लोगों को बाहर किए जाने के आरोपों पर बात की. आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में पुलिस शामिल नहीं है, इसलिए लोगों में दहशत होने का कोई सवाल ही नहीं. आयोग ने ये भी कहा कि सीमाओं पर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया गया. चुनाव आयोग ने BLO पर SIR के नकारात्मक प्रभाव से भी इनकार किया.
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